9/11 के हमलों की गलती मानने को तैयार खालिद शेख मोहम्मद

अमेरिका पर 11 सितंबर के आतंकवादी हमलों की साजिश रचने वाला खालिद शेख मोहम्मद अपनी गलती मानने के लिए तैयार हो गया है.

प्रतीकात्मक तस्वीर (Photo Credit: Image File)

अमेरिका पर 11 सितंबर के आतंकवादी हमलों की साजिश रचने वाला खालिद शेख मोहम्मद अपनी गलती मानने के लिए तैयार हो गया है. 2001 में हुए इस हमले में हजारों लोगों की जान गई थी.अमेरिका के रक्षा विभाग, पेंटागन ने यह जानकारी दी है. मोहम्मद खालिद शेख और उसके दो सहयोगी वालिद बिन अत्ताश और मुस्तफा अल हावसावी अगले हफ्ते तक क्यूबा की कुख्यात ग्वांतानामो बे जेल में अपने अर्जी दाखिल कर सकते हैं. पेंटागन के अधिकारियों ने गलती मानने के बदले में क्या राहत मिल सकती है, इस बारे में कोई जानकारी नहीं दी है.

बचाव पक्ष के वकीलों ने अनुरोध किया है कि इन्हें गलती मानने पर उम्रकैद की सजा दी जानी चाहिए. संघीय सरकार को हमले में मारे गए करीब 3,000 लोगों में से कुछ के परिजनों ने चिट्ठी लिखी है, जिससे इस बात का पता चला है. हमले के शिकार हुए लोगों के परिजनों के एक समूह की प्रमुख टेरी स्ट्राडा ने बचाव पक्ष से कहा है, "वे लोग कायर थे जब हमले की योजना बना रहे थे और ये लोग आज भी कायर हैं."

अमेरिका के साथ इन लोगों का करार अल कायदा के हमले का मुकदमा शुरू होने के करीब 16 साल बाद हुआ है. करीब 23 साल से ज्यादा बीत चुके हैं जब आतंकवादियों ने ईंधन से भरे चार यात्री विमानों को हाइजैक कर लिया. इनमें से दो विमान मिसाइल की तरह वर्ल्ड ट्रेड सेंटर के टावरों से टकरा दिए गए जबकि तीसरा पेंटागन से. विमान में सवार यात्रियों समेत बड़ी संख्या में लोग वर्ल्ड ट्रेड टावरों के गिरने से मरे. हमलावर चौथा विमान वाशिंगटन की ओर ले जा रहे थे लेकिन क्रू सदस्यों और यात्रियों ने कॉकपिट में जबरन घुसने की कोशिशें की. जिसके नतीजे में विमान पेन्सिल्वेनिया में गिर गया.

इस हमले की वजह से एक नया युद्ध शुरू हुआ जिसे राष्ट्रपति जॉर्ज डब्ल्यू बुश के प्रशासन ने आतंक के खिलाफ युद्ध नाम दिया. इसके तहत अफगानिस्तान और इराक पर सीधे हमला करने के साथ ही अमेरिकी सेना मध्यपूर्व के देशों में हथियारबंद चरमपंथी गुटों के खिलाफ अभियान चलाती रही. कहा जाता है कि इस हमले के बादअमेरिका और दुनिया बदल गई.

मोहम्मद खालिद शेख

अमेरिकी अधिकारियों का कहना है मोहम्मद खालिद शेख ने ही विमानों को हथियार की तरह इस्तेमाल करने का आइडिया दिया था. उसे अल कायदा के प्रमुख ओसामा बिन लादेन की मंजूरी मिली और यही विचार 11 सितंबर का ऐतिहासिक हमला बन गया. अमेरिकी सेना ने 2011 में ओसामा बिन लादेन की हत्या कर दी थी.

ओसामा बिन लादेन के सबसे भरोसेमंद और बुद्धिमान सिपहसलारों मे एक मोहम्मद बिन कासिम को केएसएम के नाम से जाना जाता है. उसे पाकिस्तान से मार्च 2003 में गिरफ्तार किया गया. इसके बाद उसने तीन साल सीआईए की गुप्त जेलों में गुजारे. 2006 में वह ग्वांतानामो बे की जेल में लाया गया.

ग्वांतानामो लाए जाने से पहले उसे सीआईए की हिरासत में 183 बार वाटरबोर्डिंग कराई गई. इसके साथ ही कई और तरह की यातनाओं और कठोर पूछताछ का उसने सामना किया. ये यातनाएं ग्वांतानामो बे में सैन्य आयोग के जरिए इन लोगों पर मुकदमा चलाने की राह में सबसे बड़ी बाधा साबित हुई हैं. यातनाओं की वजह से सबूतों को कोर्ट में अमान्य करार दे दिया जाता है. इन्हीं की वजह से कार्यवाही में बहुत देरी भी हुई है. इसके अलावा कोर्ट तक जाने के लिए अमेरिका से विमान की सेवा लेनी पड़ती है. यह दूरी भी एक बड़ी मुश्किल साबित हुई है.

9/11 का गुबार आज भी अमेरिकियों को मार रहा है

गिरफ्तारी के 20 साल बाद वह अपनी गलती मानने के लिए तैयार हुआ है. मोहम्मद को चरमपंथियों के सर्किल में मुख्तार भी कहा जाता है. फ्राइड चिकेन पसंद करने की वजह से उसे केएफसी कह कर भी साथी चिढ़ाते हैं. अक्खड़, घमंडी और छोटे कद वाले शेख की छवि बात-बात में गुस्सा करने वाले की भी है. अब उसकी उम्र लगभग 60 साल है. इंजीनियर के रूप में प्रशिक्षित शेख ने अमेरिका के खिलाफ कई बड़े हमलों में भूमिका निभाई है.

अमेरिका के खिलाफ कई हमलों की साजिश

11 सितंबर के हमलों के अलावा 1993 में वर्ल्ड ट्रेड सेंटर पर हुए हमलों की योजना बनाने का दावा भी मोहम्मद करता है. इसमें छह लोगों की मौत हुई थी. इसके अलावा अमेरिकी पत्रकार डैनियल पर्ल की भी खुद उसी ने सिर काट कर हत्या की थी.

1960 के दशक के मध्य में कुवैत में रहने वाले पाकिस्तानी परिवार में पैदा हुए मोहम्मद की जड़ें बलूचिस्तान में हैं. उसका कहना है कि उसे 16 साल की उम्र में मुस्लिम ब्रदरहुड की सदस्यता ली थी और यहीं से हिंसक जिहाद के प्रति उमड़ा उसका प्यार पूरे जीवन में शामिल हो गया. 1983 में मोहम्मद अमेरिका पढ़ने के लिए आया. उसने यूनिवर्सिटी की पढ़ाई और इंजीनियरिंग की डिग्री अमेरिका से ही ली है.

कथित कबूलनामों में मोहम्मद ने खुद को अल कायदा के विदेशी अभियानों का मिलिट्री ऑपरेशनल कमांडर बताया है. उसका यह भी कहना है, "मैं खुद को हीरो नही बना रहा हूं." जून 2008 में ग्वांतानामो बे में सुनवाई के दौरान वह गिरफ्तारी के बाद पहली बार लोगों के सामने आया और तब उसने कहा था, "मैं लंबे समय से शहादत के इंतजार में हूं."

एनआर/आरएस (एपी, एएफपी)

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