Belgaum Row: महाराष्ट्र और कर्नाटक के बीच बढ़ा विवाद, मुंबई को केंद्र शासित प्रदेश घोषित करने की मांग- जानिए पूरा मामला
महाराष्ट्र (Maharashtra) के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे द्वारा कर्नाटक (Karnataka) के मराठी भाषी इलाकों को केंद्र शासित प्रदेश घोषित किया जाने की मांग के बाद दोनों पड़ोसी राज्यों के बीच सियासत गरमा गई है.
मुंबई: महाराष्ट्र (Maharashtra) के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray) द्वारा कर्नाटक (Karnataka) के मराठी भाषी इलाकों को केंद्र शासित प्रदेश घोषित किया जाने की मांग के बाद दोनों पड़ोसी राज्यों के बीच सियासत गरमा गई है. कर्नाटक के डिप्टी सीएम लक्ष्मण सावदी (Laxman Savadi) ने देश की आर्थिक राजधानी मुंबई (Mumbai) को कर्नाटक में शामिल किये जाने की मांग की ही. उन्होंने कहा कि जब तक ऐसा नहीं किया जाता है, मैं केंद्र सरकार से अनुरोध करता हूं कि वह मुंबई को केंद्र शासित प्रदेश घोषित करें.
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने बुधवार को कहा कि उनके राज्य की सीमा से लगते कर्नाटक के मराठी भाषी बहुल इलाकों को मामले पर सुप्रीम कोर्ट का अंतिम फैसला आने तक केंद्र शासित प्रदेश घोषित किया जाना चाहिए. दोनों राज्यों के बीच सीमा विवाद पर लिखी किताब का विमोचन करने के मौके पर उद्धव ठाकरे ने कर्नाटक सरकार की उन इलाकों में रह रहे मराठी भाषी आबादी पर कथित अत्याचार को लेकर आलोचना की. उन्होंने कहा कि इन इलाकों को महाराष्ट्र में शामिल करने के मामले में जीतने के लिए लड़ने की जरूरत है. बेलगाम मुद्दे पर महाराष्ट्र के मंत्री एक नवंबर को काली पट्टी बांधकर विरोध दर्ज कराएंगे
उद्धव ठाकरे ने कहा, ‘‘जब मामले की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट में चल रही है, कर्नाटक ने बेलगाम (Belgaum) का नाम बदलकर उसे अपनी दूसरी राजधानी घोषित कर दी और वहां विधानमंडल की इमारत का निर्माण किया और वहां विधानमंडल का सत्र आयोजित किया. यह अदालत की अवमानना है.’’
उद्धव ठाकरे ने कहा, ‘‘ कर्नाटक द्वारा कब्जा किए गए मराठी भाषी इलाकों को सुप्रीम कोर्ट का अंतिम फैसला आने तक केंद्र शासित प्रदेश घोषित किया जाना चाहिए.’’ उन्होंने कहा, ‘‘ हमने पिछले अनुभवों से सीखा है और जीतने के लिए लड़ेंगे. कर्नाटक द्वारा कब्जा किए गए मराठी भाषी इलाके महाराष्ट्र में शामिल होंगे.’’
मुख्यमंत्री ने महाराष्ट्र एकीकरण समिति (एमईएस) पर निशाना साधते हुए अरोप लगाया कि स्वार्थपरक राजनीतिक फायदे के लिए मराठी के मुद्दों को कमजोर कर रही है. उन्होंने कहा, ‘‘ पहले, एमईएस के आधे दर्जन विधायक जीते, बेलगाम का महापौर मराठी भाषी है. शिवसेना कभी बेलगाम की राजनीति में नहीं घुसी क्योंकि वह एमईएस को कमजोर नहीं करना चाहती थी.’’
महाराष्ट्र में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) और कांग्रेस के साथ महा विकास अघाडी (एमवीए) बनाकर 2019 में सरकार बनाने वाली शिवसेना के मुखिया ने कहा कि कानूनी लड़ाई को समयबद्ध तरीके से जीतने की योजना बनाने की जरूरत है और यह सुनिश्चित करने की जरूरत है कि कर्नाटक में मराठी भाषी जनता और नेता एकजुट हों.
उन्होंने कहा, ‘‘ हम शपथ लें कि जबतक जीतेंगे नहीं आराम नहीं करेंगे. अगर लंबित मुद्दे इस सरकार (एमवीए की) के कार्यकाल में नहीं सुलझे तो कभी नहीं सुलझेंगे.’’ उद्धव ठाकरे ने आरोप लगाते हुए कहा, ‘‘कर्नाटक में किसी भी पार्टी की सरकार या मुख्यमंत्री हो, उनकी एक समानता होती है और वह है मराठी लोगों और पर अत्याचार.’’
उल्लेखनीय है कि महाराष्ट्र बेलगाम, करवार और निप्पनी सहित कर्नाटक के कई हिस्सों पर दावा करता है, उसका तर्क है कि इन में बहुमत आबादी मराठी भाषी है. यह मामला कई वर्षों से देश की शीर्ष कोर्ट में लंबित है.