कर्नाटक का दंगल: क्या बच पाएगा मुख्यमंत्री येदियुरप्पा का ताज, आज होगा फैसला
येदियुरप्पा सरकार पर आज फैसला मुमकिन (Photo Credits: PTI)

बेंगलुरु: बीजेपी बनाम कांग्रेस-जेडीएस के चुनावी युद्ध में येदियुरप्पा के ताज पर आज शाम चार बजे फैसला हो जायेगा. बीजेपी नेता और कर्नाटक के मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा को विधानसभा में बहुमत साबित करने के लिए 8 सीट कम पड़ रहे है. गौरतलब है कि इस चुनाव में बीजेपी 104 सीटें जीतकर राज्य में सबसे बड़ी पार्टी के तौर पर उभरी है. जबकि कांग्रेस के खाते में 78 और जेडीए ने 38 सीटों पर कब्जा जमाया है. अब देखना है येदियुरप्पा अपना ताज बचा पाते हैं या नहीं.

इसबीच बीजेपी पर नया दांव खेलने के आरोप लग रहा है. राज्यपाल वजुभाई वाला ने बीजेपी के केजी बोपैया को प्रोटेम स्पीकर बनाकर कांग्रेस के लिए मुश्किल खड़ी कर दी है. क्योंकि प्रोटेम स्पीकर के पास वही पॉवर होंगे, जो पूर्णकालिक स्पीकर के पास होते हैं. प्रोटेम स्पीकर नई विधानसभा में चुन कर आए विधायकों को शपथग्रहण तो कराएंगे ही लेकिन सबसे बड़ी बात उनकी पॉवर की है. अपने पॉवर की बदौलत वे दल-बदल कानून पर सत्तारूढ सरकार की नैया पार करा सकते हैं.

हालांकि कर्नाटक में राज्यपाल द्वारा बीजेपी के केजी बोपैया को प्रोटेम स्पीकर नियुक्त करने पर कांग्रेस की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट शनिवार को 10.30 बजे सुनवाई करेगा. उधर बीजेपी नेता प्रीतम गौड़ा ने कहा,''मैं जेडीएस विधायकों के संपर्क में हूं ताकि वे येदियुरप्पा जी को समर्थन दे सकें. किसी की हिम्मत नहीं कि मुझसे इस बारे में पूछ सके और किसी ने अबतक मुझसे पूछा भी नहीं.''

क्‍या होता है फ्लोर-टेस्‍ट?

नई सरकार का विधानसभा या लोकसभा में बहुमत साबित करने को फ्लोर टेस्ट कहते हैं. फ्लोर टेस्ट तीन तरह से साबित होता है. पहला ध्वनिमत, दूसरा संख्याबल और तीसरा हस्ताक्षर के जरिए मतदान दिखाया जाता है.

ध्वनिमत: विधायक हां और न के जरिये अपना पक्ष रखते हैं.

संख्याबल: जब विधायक सदन में खड़े होकर अपना बहुमत दर्शाते हैं.

हस्ताक्षर: इसमें विधानसभा सदस्य लॉबी में आते हैं और रजिस्टर में हस्ताक्षर करते हैं.

गौरतलब है कि कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धारमैया, जेडीएस नेता एचडी कुमारस्वामी और दोनों पार्टियों के अन्य नेताओं ने शुक्रवार शाम को महत्वपूर्ण बैठक की. बैठक के दौरान शनिवार को सदन में भाजपा के बहुमत परीक्षण के दौरान पार्टी द्वारा अपनाई जाने वाली रणनीति पर चर्चा की गई. दोनों पार्टिया विधायकों को विधानसभा में बहुमत परीक्षण से पहले खरीद-फरोख्त से बचाने के लिए हैदराबाद ले जाने के कुछ ही घंटों के बाद दोनों नेता भी हैदराबाद पहुंचे.