मध्य प्रदेश में जारी सियासी घमासान के बीच मुख्यमंत्री कमलनाथ ने इस्तीफा दे दिया है. इसी के साथ सूबे में भारतीय जनता पार्टी(BJP) का ऑपरेशन कमल कामयाब हो गया. इस्तीफे का ऐलान करने से पहले कमलनाथ ने बीजेपी पर जमकर हमला किया. उन्होंने कहा कि 15 महीनों में मेरा प्रयास रहा कि हम प्रदेश को नई दिशा दें, प्रदेश की तस्वीर बदलें. मेरा क्या कसूर था? इन 15 महीनों में मेरी क्या गलती थी. इसी के साथ कांग्रेस के खेमे में सन्नाटा पसर गया है तो वहीं बीजेपी के खेमे में खुशियां नजर आने लगी है. सीएम कमलनाथ के ऐलान के बाद बीजेपी नेता ज्योतिरादित्य सिंधियां ने ट्वीट कर लिखा, मध्य प्रदेश में आज जनता की जीत हुई है. मेरा सदैव ये मानना रहा है कि राजनीति जनसेवा का माध्यम होना चाहिए, लेकिन प्रदेश सरकार इस रास्ते से भटक गई थी. सच्चाई की फिर विजय हुई है. सत्यमेवजयते.
बीजेपी के नेता और पूर्व सीएम शिवराज सिंह चौहान ने भी ट्वीट कर लिखा है, सत्यमेवजयते. बता दें अपनी सरकार को बचाने के लिए कमलनाथ ने हर संभव कोशिश की. लेकिन उन्हें कामयाबी नहीं मिल पाई. दरअसल ज्योतिरादित्य सिंधियां का कांग्रेस छोड़ना और उसी समय एमपी के सियासी गलियारों में हलचल शुरू हो गई थी. इसी बीच ज्योतिरादित्य सिंधियां के समर्थन में कांग्रेस के कई विधायकों ने कमलनाथ की सरकार में बगावत में उतर आए थे. यह भी पढ़ें:- मध्य प्रदेश में ऑपरेशन कमल सफल, कमलनाथ ने किया इस्तीफे का ऐलान.
शिवराज सिंह चौहान ने भी ट्वीट कर लिखा:-
सत्यमेव जयते! https://t.co/yJO30wvRsg
— Shivraj Singh Chouhan (@ChouhanShivraj) March 20, 2020
ज्योतिरादित्य सिंधियां ने ट्वीट कर लिखा:-
मध्य प्रदेश में आज जनता की जीत हुई है। मेरा सदैव ये मानना रहा है कि राजनीति जनसेवा का माध्यम होना चाहिए, लेकिन प्रदेश सरकार इस रास्ते से भटक गई थी। सच्चाई की फिर विजय हुई है। सत्यमेवजयते।
— Jyotiraditya M. Scindia (@JM_Scindia) March 20, 2020
कमलनाथ के इस्तीफा देने से पहले ही मध्यप्रदेश विधानसभा स्पीकर एन.पी. प्रजापति ने 16 विधायकों के इस्तीफे स्वीकार कर लिया था.उन्होंने कहा कि विधानसभा का इतिहास है कि इतनी ज्यादा संख्या में विधायकों के इस्तीफे स्वीकार करना एक अध्यक्ष को कितना भारी लगता है, कितना दुखी मन होता है. लेकिन क्या करें सदस्य खुद इस्तीफा दे रहे हैं.
गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को सुनवाई के दौरान शुक्रवार को शाम पांच बजे तक विधानसभा में शक्ति परीक्षण का आदेश दिया था. 22 बागी विधायकों का इस्तीफा स्वीकार होने के बाद कमलनाथ सरकार के बचे रहने की उम्मीदें पहले ही खत्म हो गई थी.