झारखंड (Jharkhand) में आजसू और बीजेपी के बीच औपचारिक 'तलाक' के बाद भगवा पार्टी ने रणनीति तय की है कि विधानसभा चुनाव में मुख्यमंत्री रघुबर दास (Raghubar Das) को पार्टी का चेहरा न बनाकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) और पार्टी प्रमुख व केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह (Amit Shah) के नेतृत्व में लड़ा जाए. साथ ही राज्य सरकार की उपलब्धियों पर रोशनी डालने के बजाय राष्ट्रीय मुद्दों को उठाया जाए.
झारखंड में नामांकन दाखिल करने की आखिरी तारीख 13 नवंबर के बाद सत्ताधारी राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) की दो सहयोगी पार्टियों के बीच गठबंधन टूट गया. राजग की घटक जनता दल-यूनाइटेड (Janata Dal-United) और लोक जनशक्ति पार्टी (Lok Janshakti Party) ने भी अकेले-अकेले चुनाव लड़ने का निर्णय लिया है.
ऐसे में बीजेपी ने त्रिकोणीय मुकाबलों का सामना करने के लिए केंद्रीय नेतृत्व के नेतृत्व में चुनाव लड़ने की रणनीति बनाई है. पार्टी को भरोसा है कि इस रणनीति से उसे तितरफा फायदा होगा. पार्टी के सामने सबसे बड़ी समस्या मुख्यमंत्री चेहरे को लेकर है, क्योंकि राज्य बीजेपी में रघुबर दास को अलोकप्रिय माना जा रहा है और यह बात पार्टी के कार्यकारी अध्यक्ष जे.पी. नड्डा व अध्यक्ष अमित शाह तक पहुंच चुकी है.
सूत्रों का कहना है कि सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया है कि इस चुनाव में बीजेपी मुख्यमंत्री चेहरे को आगे नहीं करेगी. एक वरिष्ठ बीजेपी नेता ने रघुबर के संदर्भ में कहा, "हम जानते हैं, उनसे मोहभंग हो गया है. लेकिन स्वीकार करता हूं कि चुनाव से पहले हम आत्मघाती स्थिति में होंगे. वह हमारे 'रामचंद्र' हैं."
यह पूछे जाने पर कि प्रधानमंत्री कितनी रैलियों को संबोधित करेंगे, बीजेपी नेताओं ने आईएएनएस से कहा, "मैं इतना ही कह सकता हूं कि बूथ अध्यक्षों से लेकर प्रधानमंत्री तक, सभी चुनाव प्रचार में सक्रिय रहेंगे." सूत्रों का कहना है कि प्रधानमंत्री झारखंड में महाराष्ट्र या हरियाणा से ज्यादा रैलियों को संबोधित करेंगे. हालांकि बीजेपी के कई नेताओं ने स्वीकार किया कि इस बार चुनाव जीतना 2014 के चुनाव जितना आसान नहीं है.