सिमडेगा (झारखंड). कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने आज यहां वादा किया कि झारखंड में कांग्रेस गठबंधन की सरकार बनी तो किसानों का कर्ज माफ कर दिया जाएगा और साथ ही उन्होंने पड़ोसी छत्तीसगढ़ की तरह ही राज्य में बदलाव की बात कही. झारखंड भी छत्तीसगढ़ की तरह एक आदिवासी बहुल राज्य है, जहां पिछले साल कांग्रेस पार्टी सत्ता में आई थी. झारखंड विधानसभा चुनावों में अपनी पहली रैली के दौरान उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ में सत्ता में आने के एक साल के भीतर ही कांग्रेस सरकार ने राज्य की तस्वीर बदल दी है.
गांधी कहा, “छत्तीसगढ़ में जब भाजपा सरकार थी, तब आदिवासियों से जमीन ली गई और उद्योगपतियों को दी गई. हम वहां आदिवासी विधेयक, वन अधिकार कानून लाए, और भाजपा के गलत कामों को ठीक किया. इतिहास में पहली बार टाटा से जमीन वापस ली गई और आदिवासियो को दी गई.” उन्होंने कहा, “जहां भी भाजपा की सरकार है, वहां उद्योगपतियों को आसानी से जमीन मिल जाती है, लेकिन किसानों और आदिवासियों को धान की वाजिब कीमत नहीं मिलती. हमने छत्तीसगढ़ में धान किसानों के लिए सही कीमत सुनिश्चित की और कांग्रेस के शासन वाले राज्यों में कर्ज माफ किया.” कांग्रेस नेता ने कहा कि यदि कांग्रेस गठबंधन की राज्य में सरकार बनी तो वह छत्तीसगढ़ की ही तरह गरीबों और आदिवासियों की जमीन उन्हें लौटायेगी और किसानों का कर्जा माफ करेगी. यह भी पढ़े-झारखंड विधानसभा चुनाव 2019: जीत के लिए अमित शाह ने भरी हुंकार, कहा- आपका मत तय करेगा कि प्रदेश विकास के पथ पर जाएगा या नक्सलवाद की राह पर
उन्होंने साथ ही आरोप लगाया कि केन्द्र की भाजपा सरकार आम जनता के हित में नहीं, बल्कि उद्योगपतियों के हित में काम कर रही है. गांधी ने कहा कि आज देश में सबसे बड़ा मुद्दा बेरोजगारी का है. उन्होंने कहा कि जिस प्रकार उद्योग बंद हुए हैं, उससे लोगों के रोजगार चले गये और इस स्थिति को बदलने के लिए गरीबों की जेब में पैसा डालना होगा.
उन्होंने कहा, “जैसे ही हम किसानों का ऋण माफ करेंगे, वह बाजार से सामान खरीदना प्रारंभ करेगा तो उद्योग फिर से चल निकलेंगे और रोजगार के अवसर उपलब्ध होंगे. यही विचार कर कांग्रेस ने लोकसभा चुनावों में न्याय योजना की बात की थी. ”गांधी ने केंद्र सरकार पर आरोप लगाया, ‘‘यह नरेन्द्र मोदी की सरकार नहीं है. यह अंबानी और अडाणी की सरकार है. इसका लक्ष्य गरीबों का पैसा लेकर अंबानी और अडाणी की जेब में डालने कहा है.’’
उन्होंने आरोप लगाया, ‘‘आपके मनरेगा का, भोजन के अधिकार का, गरीबों को दिये जाने वाले अनाज का, जो पैसा बंद किया गया है, वह सब सीधा इन्हीं उद्योगपतियों की जेब में जाता है. आपको एक रुपया भी नहीं मिलता है.’’गांधी ने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार को देश के 20-25 सबसे बड़े उद्योगपति मिलकर चला रहे हैं.