नागरिकता संशोधन बिल पर हंगामा, SC में इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग ने दायर की याचिका
सुप्रीम कोर्ट (फाइल फोटो)

नई दिल्ली:- राज्यसभा में नागरिकता संशोधन विधेयक (Citizenship Amendment Bill 2019) के पारित हो जाने के बाद भी विरोध का सिलसिला जारी है. नागरिकता संशोधन विधेयक के पारित होने के बाद एक तरफ जहां शरणार्थी जश्न मना रहे हैं वहीं इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग (Indian Union Muslim League) ने सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court ) का दरवाजा खटखटाने का फैसला लिया है. न्यूज एजेंसी एनआईए की खबर के मुताबिक इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग (IUML) आज सुप्रीम कोर्ट में याचिका (Petition) दायर कर दिया है. कांग्रेस नेता और दिग्गज वकील कपिल सिब्बल इस केस को लड़ेंगे. इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग चार सांसदों ने दायर की गई इस याचिका में कहा है कि ये बिल संविधान के अनुच्छेद 14 का उल्लंघन है. संविधान धर्म के आधार पर वर्गीकरण का इजाजत नहीं देता है. इसे रद्द किया जाए.

इससे पहले कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी. चिदंबरम ने बुधवार को कहा था कि इस बिल को संसद में पास होने पर सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी जाएगी और पूरा यकीन है कि वहां इसे खारिज कर दिया जाएगा. उन्होंने राज्यसभा में नागरिकता विधेयक 2019 को असंवैधानिक करार देते हुए कहा था. वहीं राज्यसभा में विधेयक के पक्ष में 125 जबकि विपक्ष में 105 वोट पड़े, कांग्रेस से हाथ मिलाने वाली शिवसेना के सदस्यों ने विधेयक पर वोटिंग में किनारा किया.

बता दें कि विधेयक की आवश्यकता पर जोर देते हुए अमित शाह ने कहा था, कब तक हम देश की समस्या को टालते रहेंगे. लियाकत-नेहरू समझौता (दिल्ली समझौता) आठ अप्रैल 1950 को हुआ था. दोनों देशों ने अल्पसंख्यकों के साथ सम्मान का व्यवहार करने और उन्हें अपने धर्म का पालन करने की स्वतंत्रता प्रदान करने पर सहमति जताई थी. यह वादा था. लेकिन आखिरकार वादा तोड़ दिया गया. नागरिकता संशोधन विधेयक को संसद की मंजूरी मिलने के बाद अब देश के विभिन्न हिस्सों में अवैध तरीके से निवास करने वाले अप्रवासियों के लिए अपने निवास का कोई प्रमाण पत्र नहीं होने के बावजूद नागरिकता हासिल करना सुगम हो जाएगा. भारत की राष्ट्रीय के लिए पात्र होने की समय सीमा 31 दिसंबर 2014 होगी. मतलब इस तिथि के पहले या इस तिथि तक भारत में प्रवेश करने वाले नागरिकता के लिए आवेदन करने के पात्र होंगे. नागरिकता पिछली तिथि से लागू होगी.

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इस बिल को राज्यसभा में पेश करने के बाद गृहमंत्री अमित शाह ने कहा था कि मुसलमानों को इस बिल से डरने की जरूरत नहीं है. इस विधेयक में किसी की नागरिकता लेने का प्रावधान नहीं, बल्कि नागरिकता देने का प्रावधान है. उन्होंने कहा कि इस बिल को पश्चिम बंगाल सहित देश के सभी राज्यों में लागू किया जाएगा. बता दें कि इस बिल का असम से लेकर पूर्वोत्तर के राज्यों में पुरजोर विरोध किया जा रहा है.