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हरियाणा विधानसभा चुनाव 2019: इन मुद्दों पर हो सकती है वोटिंग

हरियाणा विधानसभा चुनाव 2019 के लिए पार्टियों के बीच चुनावी संघर्ष जारी है. हरियाणा में मुख्य मुकाबला सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी), कांग्रेस, इंडियन नेशनल लोकदल (आईएनएलडी) और जननायक जनता पार्टी (जेजेपी) के बीच है. हरियाणा की सभी 90 विधानसभा सीटों पर 21 अक्टूबर को वोट डाले जाएंगे तो वहीं, नतीजों की घोषणा 24 अक्टूबर को होगी.

राजनीति Team Latestly|
हरियाणा विधानसभा चुनाव 2019: इन मुद्दों पर हो सकती है वोटिंग
प्रतीकात्मक तस्वीर (Photo Credits: PTI)

Haryana Assembly Elections 2019: हरियाणा विधानसभा चुनाव 2019 के लिए पार्टियों के बीच चुनावी संघर्ष जारी है. हरियाणा में मुख्य मुकाबला सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (BJP), कांग्रेस, इंडियन नेशनल लोकदल (INLD) और जननायक जनता पार्टी (JJP) के बीच है. हरियाणा की सभी 90 विधानसभा सीटों पर 21 अक्टूबर को वोट डाले जाएंगे तो वहीं, नतीजों की घोषणा 24 अक्टूबर को होगी. हरियाणा विधानसभा चुनाव में करीब 1.83 करोड़ मतदाता अपने मताधिकार का इस्तेमाल करेंगे. हरियाणा के मुख्य निर्वाचन अधिकारी अनुराग अग्रवाल के अनुसार, राज्य में 19,442 मतदाता केंद्र बनाए गए हैं, जिनमें से 5,511 शहरी इलाकों में हैं जबकि 13,931 ग्रामीण क्षेत्रों में हैं.

मनोहर लाल खट्टर मुख्यमंत्री के तौर पर पांच साल का कार्यकाल पूरा करने के बाद इस चुनाव में फिर से बीजेपी के चेहरे हैं. बीजेपी ने मनोहर लाल खट्टर के नेतृत्व में इस चुनाव में 'मिशन 75' का लक्ष्य रखा है. बीजेपी, कांग्रेस, जेजेपी के अलावा मायावती की बहुजन समाज पार्टी (BSP) भी इस चुनावी रणक्षेत्र में अपनी किस्मत आजमा रही है. इसके अलावा पंजाब में बीजेपी की गठबंधन सहयोगी अकाली दल हरियाणा विधानसभा चुनाव में आईएनएलडी के साथ एलायंस कर के उतरी है. यह भी पढ़ें- हरियाणा विधानसभा चुनाव 2019: खेमेबाजी में बंटी कांग्रेस और कमजोर INLD से बीजेपी को होगा फायदा, आसान होगी खट्टर की सत्ता में वापसी!

हरियाणा में इन मुद्दों पर हो सकती है वोटिंग-

हरियाणा और महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव ऐसे वक्त में हो रहे हैं जब देश आर्थिक मंदी के दौर से गुजर रहा है. ऑटो समेत अन्य सेक्टरों में इसका खासा असर देखा जा रहा है. वहीं, बेरोजगारी का मुद्दा भी वोटरों को काफी प्रभावित करेगा. केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय (सीएसओ) ने केंद्र में मोदी सरकार की ताजपोशी के अगले ही दिन बेरोजगारी के आंकड़े जारी किए थे. इसके अनुसार, बेरोजगारी की दर 45 साल के सर्वोच्च स्तर पर है. इसके अलावा किसानों की समस्या भी इन चुनावों में अहम मुद्दा हो सकता है.

हरियाणा में करीब 27 फीसदी जाट हैं और वहां की राजनीति में इनका काफी प्रभाव है. हरियाणा का जाट समुदाय अब तक यहां पांच मुख्यमंत्री दे चुका है. कांग्रेस और आईएनएलडी के लिए जाट वोट दशकों से कोर वोटर रहे हैं. भूपिंदर सिंह हुड्डा हरियाणा में कांग्रेस के जाट फेस हैं. वहीं, आईएनएलडी भी चुनावी सफलता के लिए जाट वोटरों पर निर्भर है. हालांकि, 2019 के लोकसभा चुनाव में जाट हार्टलैंड और हुड्डा के गढ़ सोनीपत और रोहतक से भूपिंदर सिंह हुड्डा और उनके बेटे दीपेंद्र चुनाव हार गए थे. हरियाणा में करीब 23 विधानसभा सीटें हैं जहां जाट समुदाय का प्रभाव है. हालांकि, बीजेपी इन जाट बहुल सीटों पर कब्जा करने में जुट गई है.

जननायक जनता पार्टी हरियाणा में अपना पहला विधानसभा चुनाव लड़ रही है. दरअसल, पिछले साल चौटाला परिवार में दरार आ गई थी जिसकी वजह से आईएनएलडी में विभाजन हो गया था. अजय सिंह चौटाला और उनके बेटे व हिसार से पूर्व सांसद दुष्यंत चौटाला ने जेजेपी का गठन किया था. आईएनएलडी और जेजेपी के अलग-अलग चुनाव लड़ने से बीजेपी-विरोधी वोटों में बंटवारा हो सकता है और ऐसे में भगवा पार्टी को सीधा लाभ होगा.

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हरियाणा विधानसभा चुनाव 2019: इन मुद्दों पर हो सकती है वोटिंग

हरियाणा विधानसभा चुनाव 2019 के लिए पार्टियों के बीच चुनावी संघर्ष जारी है. हरियाणा में मुख्य मुकाबला सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी), कांग्रेस, इंडियन नेशनल लोकदल (आईएनएलडी) और जननायक जनता पार्टी (जेजेपी) के बीच है. हरियाणा की सभी 90 विधानसभा सीटों पर 21 अक्टूबर को वोट डाले जाएंगे तो वहीं, नतीजों की घोषणा 24 अक्टूबर को होगी.

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प्रतीकात्मक तस्वीर (Photo Credits: PTI)

Haryana Assembly Elections 2019: हरियाणा विधानसभा चुनाव 2019 के लिए पार्टियों के बीच चुनावी संघर्ष जारी है. हरियाणा में मुख्य मुकाबला सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (BJP), कांग्रेस, इंडियन नेशनल लोकदल (INLD) और जननायक जनता पार्टी (JJP) के बीच है. हरियाणा की सभी 90 विधानसभा सीटों पर 21 अक्टूबर को वोट डाले जाएंगे तो वहीं, नतीजों की घोषणा 24 अक्टूबर को होगी. हरियाणा विधानसभा चुनाव में करीब 1.83 करोड़ मतदाता अपने मताधिकार का इस्तेमाल करेंगे. हरियाणा के मुख्य निर्वाचन अधिकारी अनुराग अग्रवाल के अनुसार, राज्य में 19,442 मतदाता केंद्र बनाए गए हैं, जिनमें से 5,511 शहरी इलाकों में हैं जबकि 13,931 ग्रामीण क्षेत्रों में हैं.

मनोहर लाल खट्टर मुख्यमंत्री के तौर पर पांच साल का कार्यकाल पूरा करने के बाद इस चुनाव में फिर से बीजेपी के चेहरे हैं. बीजेपी ने मनोहर लाल खट्टर के नेतृत्व में इस चुनाव में 'मिशन 75' का लक्ष्य रखा है. बीजेपी, कांग्रेस, जेजेपी के अलावा मायावती की बहुजन समाज पार्टी (BSP) भी इस चुनावी रणक्षेत्र में अपनी किस्मत आजमा रही है. इसके अलावा पंजाब में बीजेपी की गठबंधन सहयोगी अकाली दल हरियाणा विधानसभा चुनाव में आईएनएलडी के साथ एलायंस कर के उतरी है. यह भी पढ़ें- हरियाणा विधानसभा चुनाव 2019: खेमेबाजी में बंटी कांग्रेस और कमजोर INLD से बीजेपी को होगा फायदा, आसान होगी खट्टर की सत्ता में वापसी!

हरियाणा में इन मुद्दों पर हो सकती है वोटिंग-

हरियाणा और महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव ऐसे वक्त में हो रहे हैं जब देश आर्थिक मंदी के दौर से गुजर रहा है. ऑटो समेत अन्य सेक्टरों में इसका खासा असर देखा जा रहा है. वहीं, बेरोजगारी का मुद्दा भी वोटरों को काफी प्रभावित करेगा. केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय (सीएसओ) ने केंद्र में मोदी सरकार की ताजपोशी के अगले ही दिन बेरोजगारी के आंकड़े जारी किए थे. इसके अनुसार, बेरोजगारी की दर 45 साल के सर्वोच्च स्तर पर है. इसके अलावा किसानों की समस्या भी इन चुनावों में अहम मुद्दा हो सकता है.

हरियाणा में करीब 27 फीसदी जाट हैं और वहां की राजनीति में इनका काफी प्रभाव है. हरियाणा का जाट समुदाय अब तक यहां पांच मुख्यमंत्री दे चुका है. कांग्रेस और आईएनएलडी के लिए जाट वोट दशकों से कोर वोटर रहे हैं. भूपिंदर सिंह हुड्डा हरियाणा में कांग्रेस के जाट फेस हैं. वहीं, आईएनएलडी भी चुनावी सफलता के लिए जाट वोटरों पर निर्भर है. हालांकि, 2019 के लोकसभा चुनाव में जाट हार्टलैंड और हुड्डा के गढ़ सोनीपत और रोहतक से भूपिंदर सिंह हुड्डा और उनके बेटे दीपेंद्र चुनाव हार गए थे. हरियाणा में करीब 23 विधानसभा सीटें हैं जहां जाट समुदाय का प्रभाव है. हालांकि, बीजेपी इन जाट बहुल सीटों पर कब्जा करने में जुट गई है.

जननायक जनता पार्टी हरियाणा में अपना पहला विधानसभा चुनाव लड़ रही है. दरअसल, पिछले साल चौटाला परिवार में दरार आ गई थी जिसकी वजह से आईएनएलडी में विभाजन हो गया था. अजय सिंह चौटाला और उनके बेटे व हिसार से पूर्व सांसद दुष्यंत चौटाला ने जेजेपी का गठन किया था. आईएनएलडी और जेजेपी के अलग-अलग चुनाव लड़ने से बीजेपी-विरोधी वोटों में बंटवारा हो सकता है और ऐसे में भगवा पार्टी को सीधा लाभ होगा.

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