लद्दाख विवाद से लेकर IOC में कश्मीर पर दिए बयान तक, भारत और चीन के विदेश मंत्रियों के बीच इन अहम मुद्दों पर 3 घंटे तक हुई बातचीत

भारत दौरे पर आये चीन के विदेश मंत्री वांग यी (Wang Yi) और MEA एस जयशंकर (S Jaishankar) के बीच आज (25 मार्च) द्विपक्षीय वार्ता हुई. इस बैठक में यूक्रेन संकट, इस्लामिक सहयोग संगठन (ओआईसी) में चीन की ओर से कश्मीर पर की गई टिप्पणी और लद्दाख गतिरोध समेत कई मुद्दों पर चर्चा हुई.

चीनी विदेश मंत्री वांग यी ने की MEA एस जयशंकर से मुलाकात (Photo Credits: Twitter)

नई दिल्ली: भारत दौरे पर आये चीन के विदेश मंत्री वांग यी (Wang Yi) और MEA एस जयशंकर (S Jaishankar) के बीच आज (25 मार्च) द्विपक्षीय वार्ता हुई. इस बैठक में यूक्रेन संकट, इस्लामिक सहयोग संगठन (ओआईसी) में चीन की ओर से कश्मीर पर की गई टिप्पणी और लद्दाख गतिरोध समेत कई मुद्दों पर चर्चा हुई. इस मुलाकात के दौरान पूर्वी लद्दाख में बाकी बचे सभी विवादित क्षेत्रों से सैनिकों को जल्द से जल्द और पूरी तरह पीछे हटाने पर जोर दिया गया. OIC: कश्मीर मुद्दे पर चीन ने की टिप्पणी, भारत ने फटकारा, कहा- हमारे आंतरिक मामले में अन्य देशों को बोलने का हक नहीं

चीनी विदेश मंत्री वांग यी के साथ बैठक के बाद विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा “मेरी बातचीत चीन के विदेश मंत्री वांग यी के साथ अभी समाप्त हुई है. हमने लगभग 3 घंटे तक चर्चा की और खुले और स्पष्ट तरीके से एक व्यापक मूल एजेंडे को संबोधित किया. हमने अपने द्विपक्षीय संबंधों पर चर्चा की जो अप्रैल 2020 से चीनी कार्रवाइयों के परिणामस्वरूप बाधित हुई.”

उन्होंने कहा “वर्तमान स्थिति को मैं एक 'वर्क इन प्रोग्रेस' कहूंगा. हालांकि यह धीमी गति से हो रहा है... इसे आगे ले जाने की आवश्यकता है क्योंकि डिसइंगेजमेंट के लिए (LAC पर) आवश्यक है. 1993-96 के समझौतों का उल्लंघन हुआ है जिसमें बड़ी संख्या में सैनिकों की मौजूदगी (LAC पर) है. इसको देखते हुए हमारे संबंध (वर्तमान में चीन के साथ) सामान्य नहीं हैं.”

हालांकि इस द्विपक्षीय चर्चा में क्वाड बैठक पर कोई चर्चा नहीं हुई. जबकि यूक्रेन मुद्दे पर बातचीत की गई. जयशंकर ने कहा “यूक्रेन पर हमने अपने-अपने दृष्टिकोणों और परिप्रेक्ष्य पर चर्चा की लेकिन सहमति व्यक्त की कि डिप्लोमसी और बातचीत को प्राथमिकता दी जानी चाहिए.”

चीन के विदेश मंत्री के साथ बैठक में भारतीय छात्रों का भी मुद्दा उठाया गया. उन्होंने कहा “मैंने चीन में पढ़ रहे भारतीय छात्रों की दुर्दशा को भी दृढ़ता से रखा, जिन्हें कोरोना प्रतिबंधों का हवाला देते हुए वापस जाने की अनुमति नहीं है. हमें उम्मीद है कि चीन भेदभाव रहित रुख अपनाएगा क्योंकि इसमें कई युवाओं का भविष्य शामिल है. चीन के विदेश मंत्री वांग यी ने मुझे आश्वासन दिया कि वापस जाने के बाद इस मामले में संबंधित अधिकारियों से बात करेंगे. उन्होंने इस कठिन परिस्थिति में मेडिकल छात्रों की विशेष चिंताओं को भी समक्षा.

चीन के विदेश मंत्री वांग यी के साथ बैठक के दौरान पाकिस्तान में हुए इस्लामिक सहयोग संगठन (ओआईसी) के विदेश मंत्रियों की परिषद (सीएफएम) के 48वें सत्र में कश्मीर को लेकर की गई टिप्पणी का मुद्दा भी उठा. विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने बताया “हां यह सवाल आया था. मैंने इसका जिक्र किया। मैंने उन्हें समझाया कि हमें वह बयान आपत्तिजनक क्यों लगा. यह एक ऐसा विषय था जिस पर कुछ देर तक चर्चा हुई. एक बड़ा संदर्भ भी था. मैंने बताया कि हम आशा करते हैं कि चीन भारत के संबंध में एक स्वतंत्र नीति का पालन करेगा और अपनी नीतियों को अन्य देशों और अन्य संबंधों से प्रभावित नहीं होने देगा.”

बता दें कि मई 2020 में पूर्वी लद्दाख में दोनों देशों के बीच गतिरोध शुरू होने के बाद चीन के किसी वरिष्ठ नेता की भारत की पहली यात्रा है. ऐसी खबरें आई थी कि यात्रा का प्रस्ताव चीन की ओर से आया था.

भारत और चीन पूर्वी लद्दाख में गतिरोध का हल निकालने के लिए उच्च स्तरीय सैन्य वार्ता भी कर रहे हैं. दोनों पक्षों ने बातचीत के बाद कुछ स्थानों से अपने सैनिक वापस भी बुलाए हैं. पूर्वी लद्दाख क्षेत्र में लंबित मुद्दों को हल करने के लिए 11 मार्च को भारत और चीन के बीच 15वें दौर की उच्च स्तरीय सैन्य वार्ता हुई थी. इस वार्ता में कोई समाधान नहीं निकल पाया था.

गौरतलब है कि पैंगोंग झील के इलाकों में भारत और चीन की सेनाओं के बीच विवाद के बाद, पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी में 15 जून, 2020 को हिंसक संघर्ष से तनाव बढ़ गया. इसमें 20 भारतीय सैनिक शहीद हो गए थे. चीन के कई सैनिक भी मारे गए थे. दोनों पक्षों ने धीरे-धीरे वहां हजारों सैनिकों तथा भारी हथियारों को पहुंचाकर अपनी तैनाती बढ़ाई है. वर्तमान में संवेदनशील क्षेत्र में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर दोनों ओर में से प्रत्येक हिस्से में लगभग 50,000 से 60,000 सैनिक तैनात हैं. (एजेंसी इनपुट के साथ)

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