नई दिल्ली: भारत के पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह का गुरुवार रात 92 वर्ष की आयु में निधन हो गया. उम्र से संबंधित स्वास्थ्य समस्याओं के कारण उनकी स्थिति बिगड़ने के बाद उन्हें दिल्ली के एम्स में भर्ती कराया गया था. उनका निधन भारत में एक युग के अंत का प्रतीक है. उन्होंने भारत की आर्थिक उदारीकरण की दिशा में जो योगदान दिया, वह पीढ़ियों तक याद किया जाएगा.
भारत के 14वें प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह अपने विद्वत्तापूर्ण दृष्टिकोण और सरल व्यक्तित्व के लिए जाने जाते थे. 1991 से 1996 तक वित्त मंत्री के रूप में उन्होंने भारत को आर्थिक संकट से बाहर निकालने के लिए ऐतिहासिक सुधार किए. प्रधानमंत्री के रूप में उन्होंने 2004 से 2014 तक भारत की सेवा की. डॉ. सिंह न केवल एक मितभाषी नेता थे, बल्कि उनके शब्द गहरी सोच और दृढ़ विश्वास को दर्शाते थे.
डॉ. मनमोहन सिंह के कुछ प्रेरणादायक उद्धरण
डॉ. सिंह के विचार और उनके कथन उनकी विचारधारा, सिद्धांतों और दर्शन को प्रतिबिंबित करते हैं. उनके ये आइकॉनिक उद्धरण आज भी कई लोगों को प्रेरित करते हैं:
- “जिंदगी कभी विरोधाभासों से मुक्त नहीं होती.”
- “मैंने अपना काम पूरी ईमानदारी, सत्यनिष्ठा और बिना किसी भय या पक्षपात के किया है.”
- “हमें सभ्यताओं के बीच संवाद की जरूरत है. बहुलतावाद, विविधता का सम्मान, सहिष्णुता और विभिन्न आस्थाओं का सम्मान आवश्यक है.”
- “भारत अब पूरी तरह जाग चुका है. हम विजयी होंगे. हम सभी बाधाओं को पार करेंगे.”
- “मैं ईमानदारी से मानता हूं कि इतिहास मेरे प्रति समकालीन मीडिया की तुलना में अधिक दयालु होगा.”
- “एकता और धर्मनिरपेक्षता सरकार का आदर्श वाक्य होगा. हम भारत में विभाजनकारी राजनीति को सहन नहीं कर सकते.”
- “राज्य के मामलों में भावनाओं से भरा होना चाहिए, लेकिन कभी भावुक नहीं होना चाहिए.”
- “न्यायपालिका को अपने मामलों को संविधान की भावना के अनुरूप स्व-विनियमित करने के तरीके खोजने के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए.”
- “यह लोगों के दिमाग की लड़ाई है… कोई भी कारण आतंकवाद के सहारे को सही नहीं ठहरा सकता.”
- “आप पाकिस्तान के प्रति जो भी राय रखें, हमारा प्रयास यही था कि हमें पाकिस्तान के साथ जुड़ना होगा. वे हमारे पड़ोसी हैं. हम अपने दोस्तों का चयन कर सकते हैं, लेकिन अपने पड़ोसियों का नहीं.”
- “मैं हमेशा मानता हूं कि भारत एक ऐसा देश है जिसे ईश्वर ने अद्वितीय उद्यमशीलता कौशल का आशीर्वाद दिया है.”
- “भविष्य स्वाभाविक रूप से अनिश्चित होता है.”
डॉ. सिंह की विरासत
डॉ. मनमोहन सिंह की शख्सियत उनकी मितभाषिता और गहरी विद्वत्ता का प्रतीक थी. उनका योगदान न केवल भारत की अर्थव्यवस्था को बदलने में था, बल्कि धर्मनिरपेक्षता और संवाद को बढ़ावा देने में भी था. उनके द्वारा कहे गए शब्द और किए गए कार्य आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा स्रोत बने रहेंगे.
डॉ. सिंह के निधन से भारत ने एक महान नेता, विद्वान और दूरदर्शी को खो दिया है. उनके विचार और योगदान हमेशा हमारे दिलों में जीवित रहेंगे.