दिल्ली के लोधी श्मशान घाट पर शनिवार को पूर्व विदेश मंत्री के. नटवर सिंह का अंतिम संस्कार किया गया. राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा, केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत और कई अन्य प्रमुख नेता इस अंतिम विदाई के साक्षी बने. नटवर सिंह का निधन 10 अगस्त की रात गुरुग्राम के मेदांता अस्पताल में हुआ था, जहां वे लंबे समय से बीमार थे.
कौन थे नटवर सिंह? एक नजर उनके जीवन पर
नटवर सिंह का जन्म 1931 में राजस्थान के भरतपुर जिले में हुआ था. उन्होंने दिल्ली के सेंट स्टीफंस कॉलेज से इतिहास की पढ़ाई की, और इसके बाद कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी (यूके) और पेकिंग यूनिवर्सिटी (चीन) में उच्च शिक्षा प्राप्त की.
1953 में मात्र 22 साल की उम्र में उन्होंने भारतीय विदेश सेवा (IFS) में कदम रखा. उन्होंने अपने करियर के दौरान कई महत्वपूर्ण पदों पर कार्य किया, जिनमें यूके में भारत के उप उच्चायुक्त (1973-77), जाम्बिया में उच्चायुक्त (1977), और पाकिस्तान में भारत के राजदूत (1980-82) शामिल हैं.
#WATCH | Delhi: Rajasthan CM Bhajanlal Sharma, Union Minister Gajendra Singh Shekhawat and other leaders attend the last rite rituals of former External Affairs Minister Natwar Singh, at Lodhi Cremation Centre.
Natwar Singh passed away at Medanta Hospital in Gurugram (Haryana)… pic.twitter.com/vJUrAmevmU
— ANI (@ANI) August 12, 2024
राजनीति में प्रवेश और मंत्रिपद
1980 के दशक की शुरुआत में उन्होंने राजनीति में कदम रखा और 1984 में भरतपुर से सांसद बने. राजीव गांधी के नेतृत्व में वे 1985-1989 के बीच केंद्रीय इस्पात, खनन और कृषि राज्य मंत्री रहे. 2004 से 2005 के बीच, उन्होंने मनमोहन सिंह सरकार में विदेश मंत्री के रूप में अपनी सेवाएँ दीं.
#WATCH | EAM Dr. S Jaishankar pays tribute to former External Affairs Minister #NatwarSingh, at his residence.
Natwar Singh passed away at Medanta Hospital in Gurugram (Haryana) on the night of 10th August, due to prolonged illness. pic.twitter.com/165bquGc1c
— DD India (@DDIndialive) August 12, 2024
सम्मान और विवाद
नटवर सिंह को 1984 में भारत के तीसरे सबसे बड़े नागरिक सम्मान पद्म भूषण से नवाजा गया. इसके अलावा, 1983 में गुटनिरपेक्ष आंदोलन शिखर सम्मेलन में उनके योगदान के लिए उन्हें पद्म विभूषण भी मिला.
VIDEO | Union Minister S Jaishankar (@DrSJaishankar) pays last respects to former External Affairs Minister and veteran Congress leader K Natwar Singh, who passed away on August 10. His last rites are being held today.
(Full video available on PTI Videos -… pic.twitter.com/PC3ImTS5Bt
— Press Trust of India (@PTI_News) August 12, 2024
लेकिन उनका राजनीतिक करियर बिना विवादों के नहीं रहा. 2006 में तेल के बदले खाद्य घोटाले के आरोपों के बाद उन्हें विदेश मंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा. इस घोटाले में इराक ने संयुक्त राष्ट्र की निगरानी में तेल की बिक्री की थी, लेकिन कुछ लोगों ने इस कार्यक्रम का दुरुपयोग करके अपने निजी लाभ के लिए इसका उपयोग किया. नटवर सिंह का नाम भी इस रिपोर्ट में शामिल हुआ था, लेकिन उन्होंने आरोप लगाया कि उन्हें कांग्रेस पार्टी को बचाने के लिए बलि का बकरा बनाया गया.
2008 में, 25 साल की लंबी पार्टी सदस्यता के बाद उन्होंने कांग्रेस पार्टी से अलग होने का फैसला किया. इसके बाद, उन्होंने 2014 में अपनी आत्मकथा "वन लाइफ इज़ नॉट इनफ" प्रकाशित की, जिसमें उन्होंने भारतीय राजनीति के कई विवादास्पद पहलुओं का खुलासा किया.
एक युग का अंत
93 वर्ष की उम्र में नटवर सिंह का निधन केवल एक व्यक्ति का नहीं, बल्कि एक युग का अंत था. वे न केवल एक प्रतिष्ठित राजनयिक और राजनेता थे, बल्कि उन्होंने भारतीय राजनीति और अंतरराष्ट्रीय संबंधों में अपना एक अमिट स्थान बना लिया था. उनके जीवन और कार्यों को हमेशा याद किया जाएगा.