Uttar Pradesh: रामायण विश्वमहाकोश का प्रथम संस्करण प्रकाशन के लिए तैयार
सीएम योगी (Photo Credits-ANI Twitter)

लखनऊ, 5 मार्च : भारतीय संस्कृति और दुनिया भर के राम भक्तों को योगी सरकार (Yogi Sarkar) गौरव का एक और ऐतिहासिक अवसर देने जा रही है. रामायण विश्वमहाकोश का प्रथम संस्करण प्रकाशन के लिए तैयार हो गया है. जानकी नवमी के अवसर पर शनिवार को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ऐतिहासिक संस्करण (Yogi Adityanath Historical Edition) का विमोचन करेंगे. गोमती नगर के संगीत नाटक अकादमी परिसर में संत गाडगे प्रेक्षा गृह में आयोजित होने जा रहे विमोचन कार्यक्रम में विदेश मंत्रालय के अपर सचिव डा. अखिलेख मिश्र समेत देश और दुनिया के कई विद्वान भी मौजूद रहेंगे. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के विशेष निर्देश पर अयोध्या शोध संस्थान द्वारा तैयार किया जा रहा रामायण विश्वमहाकोश का संस्करण ई बुक के रूप में भी लांच किया जाएगा. रामायण विश्व महाकोश के पहले संस्करण का अंग्रेजी भाषा में विमोचन किया जाएगा. एक महीने बाद हिन्दी और तमिल भाषा में प्रथम संस्करण को प्रकाशित किया जाएगा.

उत्तर प्रदेश संस्कृति विभाग विदेश मंत्रालय के सहयोग से दुनिया के 205 देशों से रामायण की मूर्त व अमूर्त विरासत संजोकर रामायण विश्वमहाकोश परियोजना को साकार करने में जुटा है. इसके लिए विभाग की ओर से रामायण विश्वमहाकोश कार्यशाला का आयोजन किया जा रहा है. कार्यशाला में पश्चिम बंगाल, असम, केरल, कर्नाटक, छत्तीसगढ़, त्रिपुरा, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और दिल्ली देश के कई राज्यों से 70 विद्वान शामिल हैं. रामायण विश्वमहाकोश को 200 खंडों में प्रकाशित करने की योजना है. इसके लिए अयोध्या शोध संस्थान ने देश और दुनिया भर में संपादक मंडल और सलाहकार मंडल का गठन किया है. रामायण विश्वमहाकोश के प्रथम संस्करण का डिजाइन भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, खड़गपुर ने तैयार किया है. यह भी पढ़ें : Bihar: नीतीश सरकार में मंत्री मुकेश सहनी की जगह सरकारी कार्यक्रम में उनके भाई बने ‘उद्घाटनकर्ता’, विधानसभा में हंगामा

रामायण विश्वमहाकोश के पहले संस्करण के साथ उड़िया, मलयालम, उर्दू और असमिया भाषा में भी रामायण के प्रकाशन का विमोचन किया जायेगा. अयोध्या के बारे में सबसे पुरानी और प्रमाणिक पुस्तक 'अयोध्या महात्म' को वैश्विक स्तर पर विस्तारित करने के लिए इसे अंग्रेजी भाषा में विमोचित किया जायेगा. इस मौके पर कार्यशाला में रामायण विश्वमहाकोश के चित्रों की प्रदर्शनी भी लगायी गयी है. इसमें प्रमुख चित्रों को संजोया गया है. इस अवसर पर 'रामायण की नारी' पर आधारित सीनियर एवं जूनियर वर्ग की छात्राओं द्वारा चित्र प्रदर्शनी भी लगाई. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 30 मई, 2018 को अयोध्या शोध संस्थान, अयोध्या की समीक्षा बैठक में विश्व के समस्त रामायण स्थलों का सर्वेक्षण एवं प्रकाशन कराए जाने के निर्देश दिए थे . संस्कृति विभाग ने इस पर अमल करते हुए पहले संस्करण को साकार रूप दे दिया है.

वैश्विक स्तर पर पाकिस्तान, ईरान ईराक, यूरोप समेत दुनिया भर के देशों में लगभग 5000 वर्ष पूर्व से रामायण की मूर्त विरासत, स्थापत्य, मूर्ति और चित्रकला आदि के साक्ष्य मिलते हैं. कार्यशाला में शामिल विद्वानों के मुताबिक यूरोप के लगभग सभी देश राम को अपना पहला पूर्वज स्वीकार करते हैं. विद्वानों का दावा है कि गांधार क्षेत्र में 2500 ई पूर्व 'राम तख्त' प्राप्त होते हैं और गान्धार के अनेक गांवों के नाम राम और सीता पर हैं. तक्षशिला का नाम भरत के बड़े पुत्र तक्ष के नाम से है. पाकिस्तान का पूरा गांधार क्षेत्र रामायण संस्कृति से समृद्ध है. ईराक में 2000 ईपू बेनूला की घाटियों में राम और हनुमान की प्रतिमायें मिलना रामायण क्षेत्र की पुष्टि करता है. ईरान और ईराक के सम्मिलित खुर्द क्षेत्र में रामायण कालीन अनेक सन्दर्भ आज से 5000 वर्ष पूर्व के आज भी विद्यमान हैं. यह भी पढ़ें : WB Assembly Election 2021: ममता बनर्जी ने जारी की टीएमसी के 291 उम्मीदवारों की लिस्ट, कहा-मैं नंदीग्राम से लडूंगी चुनाव

विद्वानों के मुताबिक यूरोप में रोमन सभ्यता के पूर्व इटली में रामायण कालीन सभ्यता विद्यमान है. इसके प्रमाणिक साक्ष्य भी उपलब्ध हैं. वेटिकन सिटी को पूर्व वैदिक सिटी कहा जाता है फ्रांस, जर्मनी, नीदरलैण्ड में भी इस संस्कृति के तत्व विद्यमान हैं. भारतीय विश्वास एवं परम्परा पाताल लोक में अहिरावण, हनुमान एवं मकरध्वज के प्रसंग से पूरी तरह जुड़ी हुई है जिसके प्रमाणिक साक्ष्य वर्तमान में होण्ड्रस, ग्वाटेमाला, पेरू में विद्यमान हैं. पेरू में जून माह में प्रतिवर्ष सूर्य महोत्सव का नियमित आयोजन होता है. सूर्य मन्दिर पेरू, मुल्तान, कोणार्क एवं बहराइच में थे.