हैदराबाद: भारतीय जनता पार्टी का मानना है कि तेलंगाना विधानसभा चुनाव अकेले लड़ने की उसकी रणनीति राज्य में उसे अपनी वास्तविक शक्ति को आंकने का मौका देगी. पार्टी का कहना है कि महाराष्ट्र एवं असम जैसे राज्यों में अपनी प्रगति से प्रेरणा लेते हुए वह अकेले लड़ने की दिशा में आगे बढ़ेगी. भाजपा ने 2014 में तेलंगाना और अविभाजित आंध्र प्रदेश में एन चंद्रबाबू नायडू नीत तेदेपा के साथ गठबंधन में चुनाव लड़ा था.
लेकिन भाजपा ने कुछ सालों बाद तेलंगाना में तेदेपा के साथ गठबंधन तोड़ लिया था. खुद को तेलंगाना राज्य की पक्षधर बताते हुए सत्ता में आयी तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस) अक्सर तेदेपा को “आंध्र पार्टी” बताती है. भाजपा की तेलंगाना इकाई के प्रवक्ता कृष्ण सागर राव ने कहा कि दशकों तक अविभाजित आंध्र प्रदेश और फिर तेलंगाना में “गठबंधन के बोझ” के चलते पार्टी को अपने ‘कार्यकर्ताओं’ को उम्मीदवार के तौर पर उतारने का मौका नहीं मिल पाया.
राव ने पीटीआई-भाषा से कहा, “और हमारी असली ताकत कभी सामने नहीं आ पाई और यहां तक कि इन बीते दशकों में पार्टी भी अपनी वास्तविक शक्ति को नहीं आंक सकी.”