मतदान सर्वेक्षण (एग्जिट पोल) पर अगर भरोसा किया जाए तो नरेंद्र मोदी सरकार की सत्ता में वापसी होने जा रही है. मगर अतीत में देखा गया है कि चुनाव सर्वे एजेंसियों का अनुमान असली नतीजों के करीब नहीं पहुंच पाते. वर्ष 2014 में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) 'मोदी लहर' पर सवार होकर 336 सीटों के साथ सत्ता में आई थी. मगर बड़े मतदान सर्वेक्षकों में सिर्फ टुडेज चाणक्य ने राजग का आकड़ा 300 के पार जाने का अनुमान लगाया था. इसको छोड़कर बाकी सबका अनुमान गलत साबित हो गया था.
चाणक्य ने राजग को 340 सीटें मिलने का अनुमान लगाया था और भाजपा को 291 दिया था, जबकि भाजपा 282 सीटें जीती. उस बार एबीपी-नीलसन ने राजग को 281 सीटें दी थी, जबकि टाइम्स नाउ ने 249 दिया था. सीएनएएन-आईबीएन-सीएसडीएस लोकनीति ने राजग को 272-280 के बीच दिखाया था. अन्य के अनुमानों पर गौर करें तो हेडलाइंस टुडे और इंडिया टीवी-सी वोटर ने राजग को क्रमश: 261-283 और 289 सीटें मिलने का अनुमान लगाया था.
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इसी तरह, वर्ष 2009 में सबका अनुमान गलत साबित हो गया था. एग्जिट पोल में बताया गया था कि राजग, संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) से सत्ता छीन लेगा, जबकि संप्रग ने सत्ता पर अपकी पकड़ बरकरार रखी और कांग्रेस 2004 में मिली 145 सीटों के मुकाबले बढ़त लेकर 206 तक जा पहुंची. स्टार न्यूज-एसी नीलसन का अनुमान था कि राजग को 197 सीटें मिलेंगी, मगर 159 सीटें मिली थीं. टाइम्स नाउ ने उसे 183 दिया था. अन्य सर्वेक्षणों में एनडीटीवी और हेडलाइंस टुडे ने राजग को क्रमश: 177 व 180 दिया था.
वर्ष 2004 में आउटलुक-एमडीआरए और स्टार-सी वोटर ने अनुमान लगाया था कि अटल बिहारी वाजपेयी भाजपा की 290 और राजग की 275 सीटों के साथ सत्ता में वापसी करने जा रहे हैं, मगर ऐसा हो न पाया. अन्य मतदान सर्वेक्षकों में आजतक और एनडीटीवी ने भी अनुमान लगाया था कि राजग कांग्रेस से बेहतर प्रदर्शन करते हुए 248 से 250 सीटें ले आएगा, मगर गलत साबित हो गया.