
Maharashtra Marathi Hindi Dispute: मुंबई के वर्ली में 5 जुलाई को महाराष्ट्र की राजनीति ने अप्रत्याशित मोड़ ले लिया. शिवसेना (उद्धव गुट) प्रमुख उद्धव ठाकरे और महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (MNS) अध्यक्ष राज ठाकरे—दोनों भाइयों ने दो दशक बाद एक ही मंच साझा किया. वजह बनी नई शिक्षा नीति (NEP) और उसमें हिंदी को बाध्यकारी करने का प्रस्ताव, जिसे शिवसेना और MNS ने “मराठी अस्मिता” पर सीधा हमला बताया. मंच से उद्धव ने दो टूक कहा, “मुंबई के 1992 दंगों में मराठी लोगों ने हिंदुओं को बचाया था. आज भी भाषा और अस्मिता के लिए हम साथ मिलकर लड़ेंगे.”
राज ठाकरे ने बात को आगे बढ़ाते हुए महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को इस मेल-मिलाप का श्रेय दिया. उन्होंने कहा, “जो बालासाहेब नहीं कर पाए, वह काम फडणवीस ने कर दिखाया. 20 साल बाद हम फिर साथ आए हैं.”
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मारो पर वीडियो मत बनाओ: राज ठाकरे
Mumbai, Maharashtra: MNS chief Raj Thackeray says, "In the Mira-Bhayander incident, some Hindi channels showed that MNS slapped a Gujarati shopkeeper. They did not slap him because he is Gujarati. Non-Marathis need to learn Marathi, okay? They can learn. And I want to tell you… pic.twitter.com/Rx8n0XCp0G
— IANS (@ians_india) July 5, 2025
'हिंदू और हिंदुस्तान स्वीकार्य, लेकिन हिंदी नहीं..'
Mumbai, Maharashtra: Shiv Sena (UBT) Chief Uddhav Thackeray says, "Shiv Sena supported to remove 370 article, that time he said Ek Nishan, Ek pradhan, Ek Vidhan. Yes symbol is only one and it's our Indian flag not BJP flag. Hindu and hindustan is acceptable for us but not hindi… pic.twitter.com/JKAQ38xat5
— IANS (@ians_india) July 5, 2025
महाराष्ट्र में मराठी बोलनी चाहिए: राज ठाकरे
राज ठाकरे ने मराठी भाषा को लेकर उठे ताजा विवाद पर तल्ख अंदाज में कहा, “चाहे वह गुजराती हो या कोई और, महाराष्ट्र में उसे मराठी बोलनी चाहिए. पीटने की जरूरत नहीं, मगर अगर कोई ड्रामा करता है तो ‘कान के नीचे’ मारा जा सकता है. बस वीडियो मत बनाना.” राज के इस बयान पर जहां भीड़ से तालियां बजीं, वहीं विपक्ष ने इसे खुलेआम हिंसा को उकसावा बताया.
भाषा के नाम पर गुंडागर्दी बर्दाश्त नहीं: फडणवीस
उधर, सीएम फडणवीस ने मीडिया से साफ कहा, “भाषा के नाम पर गुंडागर्दी या जातीय उन्माद बर्दाश्त नहीं होगा. लेकिन अगर अपनी भाषा के लिए शांतिपूर्ण प्रदर्शन करते हैं, तो लोकतंत्र में उसका सम्मान है.” दबाव बढ़ता देख राज्य कैबिनेट ने हिंदी-वाले प्रस्ताव को फिलहाल ठंडे बस्ते में डाल दिया, साथ ही ‘तीन-भाषा नीति’ पर “पुनर्विचार” का एलान किया है.
विवाद की असली वजह क्या है?
दरअसल, झगड़े की जड़ राज्य सरकार का वह ड्राफ्ट सर्कुलर है, जिसमें कक्षा I से X तक हिंदी को अनिवार्य करने की बात थी. MNS और शिवसेना ने इसे तुरंत “हिंदी थोपना” कहकर विरोध शुरू किया. चूंकि BMC और 2029 की विधानसभा चुनाव शिवसेना (उद्धव) के लिए “करो या मरो” हैं, उद्धव को भी मराठी कार्ड दोबारा मजबूती से खेलना था. इसीलिए दोनों ठाकरे बंधु पहली बार बिना कटाक्ष के साथ आए.
महाराष्ट्र की गद्दी भी हमारी होगी: ठाकरे ब्रदर्स
मंच से उद्धव ने ऐलान किया, “हम BMC जीतेंगे और आगे महाराष्ट्र की गद्दी भी हमारी होगी.” राज ने समर्थन में सिर हिलाया तो भीड़ ने “जय भवानी, जय शिवाजी” के नारे लगाए.
फिलहाल, मराठी बनाम हिंदी के मुद्दे पर ठाकरे बंधु एक सुर में हैं. जिन लोगों ने “मराठी मानूस” के नाम पर कभी साथ चुनाव लड़ा था, वे अब फिर से एक ही नारे के नीचे खड़े हैं. “महाराष्ट्र में रहना है तो मराठी बोलना सीखो!”