दिल्ली हाईकोर्ट ने दीपक तलवार की याचिका पर ईडी से मांगा जवाब, इस मामले में 12 फरवरी को होगी सुनवाई

दिल्ली उच्च न्यायालय (High Court) ने संयुक्त अरब अमीरात से भारत वापस भेजे गये कॉरपोरेट लॉबिस्ट दीपक तलवार (Deepak Talwar) की याचिका पर मंगलवार को प्रवर्तन निदेशालय को नोटिस जारी किया.

दीपक तलवार (Photo Credit- ANI)

नई दिल्ली: दिल्ली उच्च न्यायालय (High Court) ने संयुक्त अरब अमीरात से भारत वापस भेजे गये कॉरपोरेट लॉबिस्ट दीपक तलवार (Deepak Talwar) की याचिका पर मंगलवार को प्रवर्तन निदेशालय को नोटिस जारी किया. तलवार ने अपनी हिरासत को चुनौती दी है. न्यायमूर्ति सिद्धार्थ मृदुल और न्यायमूर्ति ढींगरा सहगल की एक पीठ ने प्रवर्तन निदेशालय को इस नोटिस का 11 फरवरी तक जवाब दायर करने का निर्देश दिया है.

इस मामले में अब 12 फरवरी को सुनवाई होगी. तलवार की ओर से अदालत में वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने दलील दी कि उनके मुवक्किल को दुबई (Dubai) में पकड़ कर भारतीय अधिकारियों के हवाले कर दिया गया है. उन्होंने दलील दी, "भारतीय सरकार ने मेरे मुवक्किल को अगवा किया, जबकि चार फरवरी को पेश होने के लिए समन जारी था.

यह कोई प्रत्यर्पण नहीं था और उन्होंने उसे उठा लिया." अदालत में प्रवर्तन निदेशालय की ओर से केंद्र सरकार के स्थायी वकील अमित महाजन ने याचिका पर जवाब देने के लिए समय मांगा. तलवार इस समय निदेशालय की हिरासत में हैं. दुबई में अधिकारियों ने 30 जनवरी को तलवार को पकड़ा था और दुबई में रहने वाले कारोबारी राजीव सक्सेना के साथ गत गुरुवार शाम भारत भेज दिया था. यहां पहुंचते ही उसे हिरासत में ले लिया गया था.

इससे पहले, निदेशालय ने निचली अदालत में आरोप लगाया कि तलवार ने विदेशी निजी एयरलाइंस का पक्ष लेने के लिए बातचीत में एक बिचौलिये की तरह काम किया, जिससे राष्ट्रीय वाहक कंपनी भारत को नुकसान हुआ. निदेशालय ने कहा कि उन्हें तलवार से पूछताछ कर नागरिक उड्डयन मंत्रालय, नेशनल एविएशन कंपनी ऑफ़ इंडिया लिमिटेड (National Aviation Company of India Limited) और एयर इंडिया (Air India) के उन अधिकारियों का पता लगाना है, जिन्होंने कतर एयरवेज, अमीरात और एयर अरबिया सहित विदेशी एयरलाइनों का पक्ष लिया.

एजेंसी ने दावा किया कि आरोपी द्वारा प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष तौर पर नियंत्रित इकाइयों ने कतर एयरवेज, अमीरात और एयर अरबिया से बड़ी रकम ली और तलवार के प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष मालिकाना हक वाली कंपनियों को 23 अप्रैल 2008 से छह जनवरी 2009 के बीच कुल 6.05 करोड़ डॉलर की रकम मिलने संबंधी विवरण पेश किया.

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कॉरपोरेट सामाजिक जिम्मेदारी (सीएसआर) के तहत विदेशी फंडिंग के जरिए ली गई 90.72 करोड़ रुपए की विदेशी मुद्रा के गलत इस्तेमाल के मामले में ईडी और सीबीआई द्वारा दर्ज मामले में तलवार की तलाश थी.

यह धनराशि यूरोप की प्रमुख प्रक्षेपास्त्र निर्माता कंपनी से उनके गैरसरकारी संगठन को एम्बुलेंस और दूसरे उपकरणों के लिये मिली थी. केन्द्र में कांग्रेस नेतृत्व वाली पूर्व संप्रग सरकार के शासन के दौरान कुछ विमानन सौदा में उनकी भूमिका भी सवालों के घेरे में है.

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