दिल्ली हाईकोर्ट ने बुधवार को एक मामले की सुनवाई के दौरान कहा कि प्रधानमंत्री के खिलाफ साजिश रचना देशद्रोह के समान है और यह एक गंभीर अपराध है. न्यायमूर्ति जसमीत सिंह ने आगे कहा कि किसी पर प्रधानमंत्री के खिलाफ साजिश रचने का आरोप बिना सोचे-समझे नहीं लगाया जा सकता, इसके लिए ठोस सबूत होने चाहिए.
मामला क्या है?
यह मामला बीजू जनता दल (बीजेडी) के सांसद और वरिष्ठ वकील पिनाकी मिश्रा द्वारा वकील जय अनंत देहराई के खिलाफ दायर मानहानि के मुकदमे से जुड़ा है. देहराई ने मिश्रा पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ साजिश रचने का आरोप लगाया था.
अदालत ने कहा- "प्रधानमंत्री के खिलाफ साजिश रचना IPC के तहत एक अपराध है. यह देशद्रोह है. आप प्रधानमंत्री के खिलाफ साजिश रचने के गंभीर आरोप लगा रहे हैं. आपको इसे साबित करना होगा, वरना आपके खिलाफ निषेधाज्ञा जारी की जाएगी. मिश्रा बार के एक सम्मानित सदस्य हैं, आप भी हैं. आप ऐसा नहीं कर सकते.
पिनाकी मिश्रा का पक्ष
मिश्रा ने कहा कि देहराई ने उनके खिलाफ भ्रष्टाचार के झूठे आरोप लगाए हैं और उन्हें "कैनिंग लेन, ओडिया बाबू" और "पुरी का दलाल" जैसे अपमानजनक शब्दों से संबोधित किया है. मिश्रा ने कहा कि उनका बीजेपी और प्रधानमंत्री के साथ वैचारिक रूप से जुड़ाव है और उन्होंने कभी भी प्रधानमंत्री के खिलाफ कोई साजिश नहीं रची है.
जय अनंत देहराई का पक्ष
देहराई ने कहा कि उन्होंने मिश्रा और तृणमूल कांग्रेस नेता महुआ मोइत्रा के बीच बातचीत को सुना है, जिसमें मिश्रा मोइत्रा को प्रधानमंत्री के खिलाफ आरोप लगाने की सलाह दे रहे थे. देहराई ने कहा कि वो मिश्रा के खिलाफ सीबीआई में शिकायत दर्ज करा चुके हैं और उनके पास सबूत हैं.
अदालत का रुख
अदालत ने देहराई को सबूत पेश करने के लिए कहा है. कोर्ट ने कहा कि वो मीडिया को बोलने से नहीं रोकेगी. इस मामले की अगली सुनवाई में देहराई अपने सबूत पेश करेंगे. उसके बाद अदालत तय करेगी कि मिश्रा के खिलाफ मानहानि का मामला बनता है या नहीं.
Source - Barandbench.com