दरियागंज में हुए हिंसक प्रदर्शन के संबंध में हिरासत में लिए गए 40 लोगों के लिए दिल्ली की एक अदालत का निर्देश कुछ राहत लेकर आया है. अदालत ने दिल्ली पुलिस को हिरासत में लिए गए लोगों से वकीलों को मिलने देने और उन्हें कानूनी सहायता उपलब्ध कराने का निर्देश दिया है. मुख्य मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट अरुल वर्मा ने दरियागंज पुलिस थाने के प्रभारी को शुक्रवार रात को तब ये निर्देश जारी किए, जब वकील हिरासत में लिए लोगों से मिलने की अनुमति मांगने के लिए उनके आवास पर पहुंच गए.
अधिवक्ता कृति अवस्थी और आदित्य पुजारी ने मुख्य मेट्रोपोलिन मजिस्ट्रेट को बताया कि थाने में नाबालिगों समेत कुछ अन्य लोगों को हिरासत में रखा गया है और वे इलाके के मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट या ड्यूटी मजिस्ट्रेट से नहीं मिल सके. वर्मा ने थाना प्रभारी को हिरासत में मौजूद घायलों को जरूरी इलाज उपलब्ध कराने का भी निर्देश दिया.
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न्यायाधीश ने नाबालिगों को हिरासत में लेने को लेकर दिल्ली पुलिस की यह कहते हुए खिंचाई भी की कि अगर कोई नाबालिग कानून विरोधी गतिविधि में कथित तौर पर लिप्त है, तो भी उसे पहली बार में हिरासत में नहीं लिया जाना चाहिए और जरूरत पड़ने पर उनके साथ कानून के प्रावधानों के मुताबिक सुलूक किया जाना चाहिए.
न्यायाधीश ने कहा, "पुलिस थाने में नाबालिग को हिरासत में लिया जाना कानून का घोर उल्लंघन है." बाद में, पुलिस ने कहा कि शुक्रवार को हिरासत में लिए गए आठ नाबालिगों को रिहा कर दिया गया. वकील पुजारी ने कहा कि यह स्पष्ट होना चाहिए कि वकील नये कानून के खिलाफ प्रदर्शन करने दरियागंज नहीं गए थे. उन्होंने पीटीआई-भाषा से कहा, "हम वहां बस कानूनी मदद उपलब्ध कराने गए थे. नाबालिगों को उनके दस्तावेज जांचने के बाद कल रात छोड़ा गया."
उन्होंने कहा कि वकील सुबह तक वहां थे और हिरासत में लिए गए लोगों को हर संभव कानूनी मदद उपलब्ध कराई गई. पुलिस ने शनिवार को बताया कि दरियागंज में हुई हिंसा के संबंध में 15 लोगों को गिरफ्तार किया गया. उन्होंने कहा कि गिरफ्तार किए गए लोगों पर बलवा एवं पुलिसकर्मियों को ड्यूटी से रोकने के लिए बल के प्रयोग के आरोप हैं. पुलिस ने कहा कि शुक्रवार शाम प्रदर्शनकारियों ने सुभाष मार्ग इलाके में खड़ी एक कार को आग के हवाले कर दिया था.