भोपाल: आगामी पांच राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनाव और उसके बाद लोकसभा चुनावों की तैयारी में सभी दल पूरे दम-खम के साथ जुट चुके है. केंद्र और देश के अधिकतर राज्यों में सत्ता पर काबिज बीजेपी को मात देने के लिए सभी विपक्षी पार्टियां रणनीति बनाने में लगी है. इसी कड़ी में कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने भी अपने वोट बैंक को बढ़ाने के लिए खास स्ट्रेटजी बनाई है. जिसका फायदा पार्टी को पिछली विधासभा चुनावों में भी मिला था.
बीजेपी का प्रमुख वोट बैंक समझे जानेवाले हिंदू अपर कास्ट को अपने पाले में लाने के लिए राहुल गांधी ने मंदिर दर्शन की रणनीति बनाई है. मध्यप्रदेश में 28 नवंबर को होने वाले विधानसभा चुनाव के मद्देनजर राहुल गांधी ने सोमवार को प्रसिद्ध महाकालेश्वर मंदिर में पूजा अर्चना की और इसी के साथ ही राजनीतिक तौर पर अहम माने जाने वाले मालवा-निमाड़ क्षेत्र से जीत के लिए चुनावी बिगुल फूंका.
सफेद धोती पहनकर की महाकाल मंदिर में पूजा-
राहुल गांधी ने मंत्रोच्चार के बीच ऐतिहासिक महाकाल मंदिर के गर्भगृह में सफेद धोती पहनकर ज्योतिर्लिंग की पूजा अर्चना की. गांधी लगभग आधे घंटे तक मंदिर में रहे. प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ और प्रदेश कांग्रेस चुनाव अभियान समिति के अध्यक्ष ज्योतिरादित्य सिंधिया भी मंदिर में मौजूद थे. उज्जैन का महाकालेश्वर मंदिर भगवान शिव के देश भर में फैले 12 ज्योतिर्लिंगों में शामिल है.
BJP को दिया जवाब-
चुनावी दौर में राहुल के अलग-अलग मंदिरों में पारम्परिक वेश-भूषा में दिखायी देने पर बीजेपी ने आरोप लगाया था कि कांग्रेस अध्यक्ष हिन्दुओं की आँखों में धूल झोंकने के लिये "फैंसी ड्रेस हिंदूवाद" का प्रदर्शन कर रहे हैं. राहुल ने तल्ख लहजे में सवाल किया, ‘‘क्या देश के मंदिर भाजपा और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की संपत्ति हैं ? क्या वहां जाने का ठेका केवल मोदी और शाह के पास है?"
उन्होंने कहा, ‘‘मेरा किसी भी मंदिर में भगवान के दर्शन का मन करेगा, तो मैं वहां जरूर जाऊंगा. मुझे मंदिर जाने के लिये बीजेपी से प्रमाणपत्र लेने की जरूरत नहीं है. मैं हिन्दू धर्म को बीजेपी से बेहतर समझता हूँ.’’
गुजरात चुनाव से अपनाया नया रूप-
बता दें कि राहुल गांधी का यह नया अवतार पिछले साल के अंत में गुजरात चुनाव से पहले लांच हुआ. शायद तब राहुल गांधी को एके एंटनी की वो बहुचर्चित रिपोर्ट याद आ गई होगी, जिसमें कहा गया था कि कांग्रेस की चुनावों में मात मुस्लिमों की तरफ ज्यादा झुकाव के कारण हो रही है. माना जाता है कि राहुल ने इसी रिपोर्ट के बाद खुद को हिंदुत्व की तरफ भी मोड़ा.
कांग्रेस मुखिया ने खुद में बदलाव की शुरुवात गुजरात विधानसभा चुनाव से की. खुद पर सॉफ्ट हिंदुत्व का तमगा लगवाने के लिए राहुल ने खूब मंदिर दर्शन किए. मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो गुजरात में पूरे चुनाव प्रचार के दौरान राहुल ने करीब 27 मंदिरों के दर्शन किए. यहीं नहीं पूरी पार्टी भी राहुल गांधी को धार्मिक व्यक्ति साबित करने की मुहिम में जुट गई. पार्टी कार्यकर्ता से लेकर टॉप लेवल के नेताओं ने राहुल के नए अवतार को जमकर प्रमोट किया.
कांग्रेस ने किया जमकर प्रमोट-
जब राहुल के गुजरात के प्रसिद्ध सोमनाथ मंदिर में जाने से एक विवाद हुआ तो पार्टी प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने बल देकर राहुल को महज ब्राह्मण नहीं बल्कि जनेऊधारी ब्राह्मण बता डाला. इसके साथ ही पार्टी बीजेपी पर निशाना साधते हुए लोगों को यह भी मैसेज देने लगी कि कांग्रेस का मुस्लिम तुष्टिकरण के तमगे से कुछ मतलब नहीं है.
कई चुनाव विश्लेषकों ने राहुल के नए अवतार का फायदा भी गिनाया. इसका नतीजा गुजरात में भी दिखा जहां कांग्रेस सालों से सदन से दूर नजर आ रही थी लेकिन इस नई रणनीति से कांग्रेस ने 77 सीटें न केवल जीती बल्कि सदन में अपनी स्थिति मजबूत करते हुए बीजेपी को कड़ा टक्कर दिया.
एक रिपोर्ट के मुताबिक राहुल गांधी ने चुनाव अभियान के दौरान गुजरात के 12 बड़े मंदिरों में दर्शन किए. जिसके अंतर्गत पड़नेवाली 12 में से 10 सीटों पर कांग्रेस ने जीत दर्ज की. इसमें से 5 सीटें ऐसी थी जिसे साल 2012 में हुए विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने जीता था.
कर्नाटक में भी खेला सॉफ्ट हिंदुत्व कार्ड-
राहुल का यहीं रूप कर्नाटक चुनाव में भी दिखा. जहां भी उन्होंने जितने के लिए गुजरात वाला ही ट्रिक अपनाया. गुजरात चुनाव के जैसे ही कर्नाटक चुनाव में राहुल गांधी खूब मठों में गए. कईं महंतों को पार्टी से जोड़ा. इसके साथ ही लिंगायत कार्ड भी खेला. जिसका पार्टी को फायदा भी हुआ और एंटी इनकंबेंसी से जूझ रही कांग्रेस दोबारा गठबंधन के साथ सत्ता पाने में सफल हुई. कांग्रेस ने 78 सीटों पर कब्ज़ा जमाया और 38 सीटें हासिल करने वाले जेडीएस के साथ गठबंधन कर बीजेपी को सत्ता से दूर कर दिया.
चुनावों में फायदा होता देख राहुल गांधी अब बीजेपी शासित राज्यों में चुनाव प्रचार के दौरान सबसे पहले मंदिरों के दर माथा टेकने पहुंच रहे हैं. इस दौरान कांग्रेस कार्यकर्ताओं के लगाये गये कुछ पोस्टरों में उन्हें "शिव भक्त" भी बताया जा रहा है. यह तो आनेवाले समय में ही पता चलेगा की कांग्रेस को क्या गुजरात और कर्नाटक के जैसे मंदिर दर्शन का फायदा बाकी जगहों और खासकर लोकसभा चुनावों में भी मिलता है या नहीं.