राहुल गांधी के प्रधानमंत्री बनने में कांग्रेस की रणनीति ही बन सकती है रोड़ा, टूट सकता है हसीन सपना

वैसे राहुल गांधी पहले ही साफ़ कर चुके हैं कि उनका मुख्य लक्ष बीजेपी को सत्ता से बेदखल करना है. हाल ही में कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने महिला पत्रकारों के साथ मुलाकात के दौरान कहा था कि "आरएसएस समर्थित व्यक्ति को छोड़कर किसी को भी प्रधानमंत्री के रूप में देखने में कोई आपत्ति नहीं है."

कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी

2019 में बीजेपी को सत्ता से बेदखल करने के लिए कांग्रेस पार्टी ने कमर कस ली हैं. मोदी को टक्कर देने के लिए कांग्रेस ने रणनीति बनाना शुरू कर दी है. सूत्रों की माने तो कांग्रेस इन चुनावों में बीजेपी को हराने के लिए बिहार,उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र और तमिलनाडु में क्षेत्रीय पार्टियों से गठबंधन करने के बारे में विचार कर रही है. पार्टी को लग रहा है यदि इन क्षेत्रीय पार्टियों के साथ गठबंधन किया जाता है तो इसका फायदा उसे चुनाव में जरुर होगा. मगर पार्टी की यह रणनीति प्रधानमंत्री बनने के लिए राहुल गांधी की राह का रोड़ा बन सकती है.

बता दें कि गठबंधन के युग से पहले कांग्रेस देश की लगभग सभी सीटों पर चुनाव लडती थी मगर 90 के दशक से देश की सबसे पुरानी पार्टी छोटे दलों के साथ गठबंधन करने के लिए मजबूर हो गई. 2004 में एनडीए को हराने के लिए कांग्रेस केवल 77 प्रतिशत पर चुनाव लड़ी. यानि पार्टी केवल 464 सीटों पर चुनाव लड़ी.

2019 में भी 2004 जैसी स्थिति:

कांग्रेस के लिए 2019 में हालात 2004 जैसे ही हैं. तब अटल बिहारी की सरकार को चुनौती देने के लिए सोनिया गांधी ने कई क्षेत्रीय दलों के साथ गठबंधन किया था. इस बार राहुल गांधी भी मोदी सरकार के खिलाफ इसी रणनीति पर काम कर रहे हैं. देश के 4 राज्य ऐसे हैं जहां कांग्रेस बेहद कमजोर है और उन्हें क्षेत्रीय दल से गठबंधन के अलावा कोई पर्याय नहीं है. ये 4 राज्य हैं यूपी, बिहार, पश्चिम बंगाल और तमिलनाडू.

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यूपी में कांग्रेस का सपा-बसपा के साथ जाना तय है, बिहार में आरजेडी और तमिलनाडु में डीएमके के साथ पहले ही गठबंधन है. पश्चिम बंगाल में स्थिति अभी साफ़ नहीं है मगर कांग्रेस वहां ममता का सहारा ले सकती हैं. इन 4 राज्यों में लोकसभा की 200 सीटें हैं. अनुमान है कि कांग्रेस इनमे से केवल 40 सीटों पर ही चुनाव लड़ेगी.

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महाराष्ट्र, जम्मू-कश्मीर, झारखंड और कर्नाटक में भी पार्टी वहां के क्षेत्रीय दलों से गठबंधन करेगी. मगर वहां बंटवारे में कांग्रेस को क्षेत्रीय दल के बराबर ही सीट मिल सकती हैं. इसके अलावा तेलंगाना और आंध्र प्रदेश में कांग्रेस और टीडीपी साथ मिलकर चुनावी मैदान में उतर सकती है.

इन 10 राज्यों की कुल 339 सीटों में से कांग्रेस करीब 125 सीटों पर ही चुनाव लड़ सकती हैं.

ऐसी है दुसरे राज्यों की स्थिति:

कांग्रेस पार्टी को राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में बीएसपी के लिए सीटें छोडनी पड़  सकती हैं. वहीं, उत्तर पूर्वी राज्यों में भी कई दलों के साथ मिलकर चुनाव लड़ना पड़ सकता है. ऐसे में पार्टी 350 से कम सीटों पर ही चुनाव लड़ सकती है. ऐसे में राहुल गांधी के प्रधानमंत्री बनाने की संभावना भी कम हो जाती हैं.

राहुल गांधी का बयान:

वैसे राहुल गांधी पहले ही साफ़ कर चुके हैं कि उनका मुख्य लक्ष्य बीजेपी को सत्ता से बेदखल करना है. हाल ही में कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने महिला पत्रकारों के साथ मुलाकात के दौरान कहा था कि "आरएसएस समर्थित व्यक्ति को छोड़कर किसी को भी प्रधानमंत्री के रूप में देखने में कोई आपत्ति नहीं है."

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