Punjab Politics: इस्तीफा देने के बाद कैप्टन अमरिंदर सिंह ने कहा- मैंने इस्तीफा दिया, क्योंकि अपमानित महसूस कर रहा था
पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह (Photo Credits- Facebook)

चंडीगढ़, 18 सितंबर: पंजाब (Punjab) के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह (Amarinder Singh) ने शनिवार को एक दिन के 'राजनीतिक ड्रामा' के बाद अपने पद से इस्तीफा दे दिया और कहा कि उन्होंने खुद को अपमानित महसूस करते हुए इस्तीफा दे दिया. साथ ही उन्होंने कहा, "भविष्य की राजनीति का विकल्प हमेशा होता है और मैं उस विकल्प का इस्तेमाल करूंगा." 52 साल से राजनीति में सक्रिय मुख्यमंत्री ने पद से इस्तीफा देने के बाद मीडिया से कहा, "मैंने अपना इस्तीफा दे दिया है. भविष्य की राजनीति का विकल्प हमेशा होता है और मैं उस विकल्प का इस्तेमाल करूंगा."यह भी पढ़े: अमरिंदर सिंह के इस्तीफे पर हरियाणा के गृहमंत्री अनिल विज का तंज, कहा- इसकी पटकथा तो उसी दिन लिख दी गई थी जिस दिन सिद्धू कांग्रेस में शामिल हुए थे

बिना ज्यादा कुछ बोले उन्होंने स्पष्ट किया, "मैंने अपने आप इस्तीफा नहीं दिया है."उन्होंने कहा, "मैं कांग्रेस में हूं, अपने सहयोगियों से चर्चा करूंगा और फिर आगे की कार्रवाई तय करूंगा."राज्य में चुनाव होने में छह महीने से भी कम समय रह गया है, ऐसे में अपने इस्तीफे को सही ठहराते हुए अमरिंदर सिंह ने कहा, "पिछले दो महीनों में आलाकमान ने तीन बार विधायकों को तलब किया."अमरिंदर सिंह ने कहा, "मैंने सुबह फैसला लिया. मैंने सुबह कांग्रेस अध्यक्ष से बात की थी. मैंने उनसे कहा था कि मैं इस्तीफा दे रहा हूं."मुख्यमंत्री और उनकी मंत्रिपरिषद का इस्तीफा कांग्रेस विधायक दल (सीएलपी) की एक महत्वपूर्ण बैठक से कुछ ही मिनट पहले आया है. समझा जाता है कि पार्टी आलाकमान ने मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह को इस्तीफा देने के लिए कहा, ताकि नए पदाधिकारी का चयन संभव हो सके. पार्टी के कुछ वरिष्ठ नेताओं के मुताबिक, आलाकमान ने अमरिंदर सिंह को साफ तौर पर पद छोड़ने को कहा था.

मिनट-दर-मिनट बदलती राजनीतिक खींचतान शुक्रवार रात करीब 11.42 बजे शुरू हुई, जब पंजाब कांग्रेस प्रभारी हरीश रावत ने शनिवार को तत्काल सीएलपी की बैठक करने के फैसले के बारे में ट्वीट किया. करीब 10 मिनट बाद पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू ने सभी विधायकों को सीएलपी की बैठक में उपस्थित रहने का निर्देश दिया. रावत की घोषणा को हाईकमान की ओर से नए पदाधिकारी को नियुक्त करने के संकेत के रूप में देखा गया, जिसके नेतृत्व में पार्टी मार्च 2022 में होने वाले विधानसभा चुनाव में जाएगी. पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सुनील जाखड़ ने ताजा घटनाक्रम पर प्रतिक्रिया देते हुए ट्वीट किया, "श्री राहुल गांधी को गॉर्डियन नोट के इस पंजाबी संस्करण के लिए अलेक्जेंड्रिया समाधान अपनाने पर बधाई."उन्होंने आगे कहा, "पंजाब कांग्रेस में चल रहे विवाद को आश्चर्यजनक रूप से हल करने के इस साहसिक निर्णय ने न केवल कांग्रेस कार्यकर्ताओं को उत्साहित किया है, बल्कि अकालियों की रीढ़ को सिकोड़ दिया है."सीएलपी की बैठक बुलाने का निर्णय बहुमत के विधायकों द्वारा हस्ताक्षरित नए पत्र के मद्देनजर लिया गया। इन विधायकों ने अमरिंदर सिंह के प्रति असंतोष व्यक्त किया और उन्हें मुख्यमंत्री पद से हटाने की मांग की.