नई दिल्ली. नागरिकता संशोधन विधेयक (Citizenship Amendment Bill) को लेकर देश की राजनीति गरमाई हुई है. केंद्र सरकार जहां इस बिल के समर्थन के कसीदे पढ़ रही है.वही विपक्ष इस बिल का विरोध कर रही है. बताना चाहते है कि इस बिल का खुलकर शिवसेना और जेडीयू समर्थन कर रही है.इससे पहले इस बिल को मोदी कैबिनेट से हरी झंडी मिलने के बाद विपक्ष पूरी तरह हमलावर नजर आ रहा है. इस विधेयक को लेकर बुधवार को ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईेएमआईएम) के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने केंद्र सरकार को आड़े हाथ लेते हुए कहा कि यदि मीडिया रिपोर्ट सही है कि पूर्वोत्तर राज्यों को प्रस्तावित नागरिकता (संशोधन) विधेयक (सीएबी) कानून से छूट दी जाएगी तो यह अपने आप में आर्टिकल 14 का उल्लंघन है. ओवैसी ने कहा कि आपके पास देश में नागरिकता पर 2 कानून नहीं हो सकते.
न्यूज एजेंसी एएनआई के अनुसार सोमवार को लोकसभा में नागरिकता संशोधन विधेयक (Citizenship Amendment Bill) पेश किए जाने की उम्मीद है और इसे अगले दिन सदन में चर्चा के लिये लिया जा सकता है. गौर हो कि केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बुधवार को नागरिकता संशोधन विधेयक को मंजूरी दे दी थी. यह भी पढ़े-नागरिकता संशोधन विधेयक: असदुद्दीन ओवैसी का मोदी सरकार पर बड़ा हमला, कहा- ये महात्मा गांधी और आंबेडकर का अपमान
लोकसभा में नागरिकता संशोधन बिल सोमवार को किया जाएगा पेश-
Sources: Citizenship Amendment Bill (CAB) to be introduced in Lok Sabha on Monday (9th December). pic.twitter.com/oU0qVj4YMH
— ANI (@ANI) December 5, 2019
जानकारी के लिए बता दें कि इस विधेयक में पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से शरणार्थी के तौर पर आए उन गैर मुसलमानों को नागरिकता प्रदान करने का प्रावधान है जिन्हें धार्मिक उत्पीड़न का सामना करना पड़ा हो. इस बिल के लोकसभा में पास होने के बाद इसे राज्यसभा में पेश किया जायेगा.यह विधेयक लोकसभा (Lok Sabha) में पारित हो जायेगा क्योंकि निचले सदन में भारतीय जनता पार्टी को बड़ा बहुमत है. इसके साथ ही राज्यसभा (Rajya Sabha) में भी उसे इस बिल को पास करने में कोई ज्यादा दिक्कत नहीं आएगी।
देश के गृहमंत्री अमित शाह (Home Minister Amit Shah) सहित बीजेपी के बड़े नेताओं ने इस मसले पर राजनीतिक दलों एवं पूर्वोत्तर के नागरिक समूहों से व्यापक चर्चा की है और उनकी चिंताओं को दूर करने का प्रयास किया है. कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस सहित कुछ विपक्षी पार्टियों ने इसका विरोध किया है.