नई दिल्ली: भारत में अवैध तरीके से रह रहे रोहिंग्या मुसलमानों की घुसपैठ पर लगाम लगाने के लिए केंद्र ने सभी राज्य सरकारों से राज्य में एंट्री करने वालों के खिलाफ कदम उठाने को कहा है. इसके साथ ही केंद्र ने रोहिंग्या शरणार्थियों को आधार कार्ड या किसी भी तरह का पहचान पत्र देने से मना किया है. सरकार के एक सूत्र की मानें तो यह तैयारी इसलिए की जा रही है ताकि इन जानकारियों को पड़ोसी मुल्क म्यांमार के साथ साझा किया जाए और भारत में रह रहे रोहिंग्याओं को उनके देश वापस भेजा जा सके. गृह मंत्रालय ने कहा, "गैर कानूनी ढंग से देश में रह रहे लोग देश की सुरक्षा के लिए बड़ी चुनौती हो सकते हैं। इन लोगों के देश विरोधी गतिविधियों में शामिल होने की खबर भी कई बार मिल चुकी है.
गौरतलब है कि म्यांमार देश में हिंसा का शिकार होने के बाद लाखों की संख्या में रोहिंग्या मुसलमान पलायन करते हुए बांग्लादेश, पाकिस्तान और भारत की ओर आए हैं।
ये है गृह मंत्रालय का सभी राज्य सरकारों को निर्देश-
भारत में रहने वाले हर शरणार्थी की पहचान होनी चाहिए. साथ ही उनके नाम, जन्म की तारीख, जन्म स्थान, माता-पिता का नाम, किस देश से हैं सबकी जानकारी इकट्ठा होनी चाहिए. शरणार्थियों को चिन्हित जगहों पर रखा जाए. राज्य की पुलिस और सुरक्षा एजेंसी इनकी गतिविधियों पर कड़ी नजर रखे.
इसके साथ ही गैरकानूनी रूप से देश में घुसे शरणार्थी की बायोमैट्रिक पहचान लेनी चाहिए, जिससे ये लोग आगे अपनी पहचान न बदल सकें. साथ ही इस बात का ध्यान रखना होगा कि इन लोगों का आधार कार्ड न बन पाए। जिससे भविष्य में ये भारतीय होने का दावा न कर सकें.
गौर हो कि एक अनुमान के मुताबिक भारत के अलग-अलग हिस्सों में करीब 40,000 रोहिंग्या गैर कानूनी रूप से रह रहे हैं. इनमें से जम्मू कश्मीर में 7,096, हैदराबाद में 3,059, हरियाणा के मेवात में 1,114, पश्चिमी उत्तर प्रदेश में 1200, दिल्ली के ओखला में 1,061 और जयपुर में 400 रोहिंग्या बसे हुए हैं.
इसके विपरीत सेंट्रल एजेंसियों के अनुसार पश्चिम बंगाल और असम में मौजूद दलालों का एक नेटवर्क रोहिंग्याओं के लिए देश में दाखिल होते ही नकली दस्तावेज बनाने का काम कर रहा है. दूसरी तरफ पश्चिम बंगाल में मुस्लिम संगठनों द्वारा चलाए जा रहे कुछ NGO भी इन्हें कैंप में रहने की सुविधा मुहैया करवा रहे हैं.