नीतीश कुमार के विश्वासपात्र आरसीपी सिंह को मिली JDU की कमान, कंधे पर ये बड़ी जिम्मेदारी
बिहार की राजनीति के लिए आज (27 दिसंबर) का दिन बहुत महत्वपूर्ण साबित हुआ है. सूबे के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Nitish Kumar) के विश्वासपात्र आरसीपी सिंह (RCP Singh) को सत्ताधारी पार्टी जेडीयू (जनता दल यूनाइटेड) का नया अध्यक्ष चुना गया.
पटना: बिहार की राजनीति के लिए आज (27 दिसंबर) का दिन बहुत महत्वपूर्ण साबित हुआ है. सूबे के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Nitish Kumar) के विश्वासपात्र आरसीपी सिंह (RCP Singh) को सत्ताधारी पार्टी जेडीयू (जनता दल यूनाइटेड) का नया अध्यक्ष चुना गया. आज हुई राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक के दौरान जेडीयू अध्यक्ष (JDU President) नीतीश कुमार ने पार्टी के शीर्ष पद के लिए आरसीपी सिंह के नाम का प्रस्ताव दिया, जिसका अन्य सदस्यों ने भी समर्थन किया.
मिली जानकारी के मुताबिक राज्यसभा सांसद आरसीपी सिंह को रविवार को सर्वसम्मति से जेडीयू का राष्ट्रीय अध्यक्ष चुना गया. वह तीन साल तक पार्टी की जिम्मेदारी संभालेंगे. बिहार के नालंदा (Nalanda) के 62 वर्षीय नेता मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से पदभार संभाला. वह नीतीश कुमार के करीब और बहुत विश्वासपात्र माने जाते है. उन्होंने कुमार के प्रमुख सचिव के रूप में भी काम किया है. राजनीति में आने से पहले आरसीपी सिंह यूपी कैडर के एक आईएएस अधिकारी थे.
उल्लेखनीय है कि बिहार में नीतीश कुमार के नेतृत्व में चार दलों की सरकार चल रही है. इस गठबंधन में बीजेपी सबसे बड़ा दल है. बीजेपी और जेडीयू अन्य दो छोटे दलों के साथ हाल में संपन्न विधानसभा चुनाव में साथ उतरे थे, लेकिन चुनाव परिणाम के बाद बिहार में पहली बार बीजेपी अधिक सीट लाकर 'बड़े भाई'की भूमिका में पहुंच गई है. कहा जा रहा है कि लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) के कारण जेडीयू को कम सीटें मिली है. ऐसे में बिहार में पार्टी को फिर मजबूत करने की जिम्मेदारी सिंह के कंधों पर है.
इस बीच, पटना में जेडीयू की शनिवार से प्रारंभ दो दिवसीय राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में संभावना जताई जा रही है कि जेडीयू और बीजेपी के रिश्ते को लेकर भी अहम चर्चा जरूर हुई होगी. दरअसल शुक्रवार को अरूणाचल प्रदेश में जेडीयू के सात विधायकों में से छह विधायक बीजेपी में शामिल हो गए. इसके बाद विपक्ष लगातार जेडीयू और बीजेपी के रिश्ते पर सवाल खड़ा कर रहा है. हालांकि बीजेपी का दावा है कि बिहार में जेडीयू सहित चार दलों के गठबंधन की सरकार मजबूती से चल रही है और अरुणाचल प्रदेश की घटना का वहां कोई प्रभाव नहीं पड़ने वाला है. हालांकि अब यह देखना होगा कि जेडीयू के नए राष्ट्रीय अध्यक्ष पार्टी को किस दिशा में लेकर आगे बढ़ते है. साथ ही उनकी अगुवाई में अरुणाचल की राजनीति का कितना असर बिहार की राजनीति पर पड़ता है.