Assam Assembly Elections 2021: असम में कभी कांग्रेस के कद्दावर नेता रहे हिमंता बिस्वा शर्मा राहुल गांधी की वजह से बीजेपी में हुए थे शामिल! जानिए इनकी कहानी
असम में चुनावी चकल्लस के बीच एक नाम जो लगातार सुर्खियों में बना हुआ है- हिमंता बिस्वा शर्मा. एक ऐसा नाम जो करीब दो दशकों से असम की राजनीति में मौजूद है. लेकिन आत्मविश्वास से लबरेज और महत्वकांक्षी हिमंता बिस्वा शर्मा पिछले कुछ सालों में असम की राजनीत में अहम धुरी साबित हुए हैं और एक बड़े चेहरे के रूप में उभरे हैं.
Assam Assembly Elections 2021: असम विधानसभा चुनाव के लिए पहले चरण में राज्य की 47 सीटों पर शनिवार को मतदान होगा. असम में इस बार का चुनाव बड़ा दिलचस्प है एक तरफ जहां बीजेपी (BJP) दोबारा सत्ता में लौटने के लिए संघर्ष कर रही है. वहीं, कांग्रेस (Congress) पांच साल के वनवास के बाद सत्ता में वापसी के सपने संजो रहा है. जबकि असम की प्रभावी क्षेत्रीय पार्टियां (Regional Parties) भी अपना पूरा दमखम दिखा रही हैं. बहरहाल, इन तमाम चुनावी चकल्लस के बीच एक नाम जो लगातार सुर्खियों में बना हुआ है- हिमंता बिस्वा शर्मा (Himanta Biswa Sarma). एक ऐसा नाम जो करीब दो दशकों से असम की राजनीति में मौजूद है. लेकिन आत्मविश्वास से लबरेज और महत्वकांक्षी हिमंता बिस्वा शर्मा पिछले कुछ सालों में असम की राजनीत में अहम धुरी साबित हुए हैं और एक बड़े चेहरे के रूप में उभरे हैं.
आज पूर्वोत्तर में बीजेपी के संकटमोचक के रूप में पहचान रखने वाले हिमंता बिस्वा शर्मा कभी कांग्रेस में थे. 1 फरवरी 1969 को गुवाहाटी के गांधी बस्ती, उलूबरी में जन्मे हिमंता की राजनीतिक करियर की शुरुआत साल 2001 में हुई. पहली बार चुनावी अखाड़े में उतरे हिमंता कांग्रेस के टिकट पर जालुकबारी सीट से जीत हासिल कर असम विधानसभा पहुंचे. इसके बाद साल 2006 और साल 2011 में भी उन्होंने यहां से भारी मतों से जीत हासिल की. इस दौरान वे असम सरकार में कई अहम पदों पर रहे. उन्होंने, कृषि, वित्त, स्वास्थ्य और शिक्षा जैसे महत्वपूर्ण विभागों का जिम्मा संभाला. यह भी पढ़ें- Assam Elections 2021: असम चुनाव के लिए बीजेपी ने जारी किया संकल्प पत्र, राज्य में दूसरी पारी के लिए किये ये 5 बड़े वादे.
शुरुआती दिनों में असम के पूर्व मुख्यमंत्री तरुण गोगोई के करीबी रहे हिमंता की बाद में उनसे नहीं बनी. दोनों के संबंधों में खटास आ गई और राहुल गांधी के वजह से भी हिमंता ने जुलाई 2014 में सभी पदों से इस्तीफा दे दिया. फिर अगस्त 2015 में तब के बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह के घर पर हिमंता ने पार्टी की सदस्यता ली और साल 2016 में होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए उन्हें बीजेपी का संयोजक बनाया गया.
बीजेपी में जाने के कुछ वक्त बाद ही हिमंता के राजनीति करने का स्टाइल बदल गया, अब हिमंता बिस्वा शर्मा आक्रामकता की राजनीति करते हैं. अपने विरोधियों पर खुल कर हमला करते हैं. साल 2016 में हिमंता ने लगातार चौथी बार जालुकबारी सीट से चुनाव जीता और फिर कैबिनट मंत्री के रूप में उन्होंने शपथ ली.
हिमंता बिस्वा शर्मा को खेलों में विशेष रूचि है. उन्हें सर्वसम्मति से साल 2017 में भारत के बैडमिंटन एसोसिएशन के अध्यक्ष के रूप में निर्वाचित किया गया था. वह असम बैडमिंटन एसोसिएशन के अध्यक्ष भी हैं. जून 2016 में उन्हें असम क्रिकेट एसोसिएशन के अध्यक्ष नियुक्त किया गया था.
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के बेहद करीबी माने जाने वाले हिमंता बिस्वा शर्मा को पूर्वोत्तर में बीजेपी के संकटमोचक के रूप में जाना जाता है. दरअसल, जून 2020 में जब मणिपुर सरकार पर संकट आया था तब हिमंता बिस्वा शर्मा ही पार्टी के काम आए और उनकी वजह से मणिपुर में बीजेपी सरकार पर छाया संकट टल गया था.
बहरहाल, हिमंता बिस्वा शर्मा इस बार भी जालुकबारी सीट से ताल ठोक रहे हैं. वहीं, कांग्रेस ने यहां से रोमन बोरठाकुर को अपना उम्मीदवार घोषित किया है. उल्लेखनीय है कि असम में तीन चरणों में विधानसभा चुनाव हो रहे हैं. पहले चरण के लिए 27 मार्च, दूसरे चरण के लिए 1 अप्रैल और तीसरे चरण के लिए 6 अप्रैल को वोटिंग होगी. मतों की गिनती 2 मई को होगी और नतीजे भी इसी दिन सामने आएंगे.