नई दिल्ली, 30 मार्च: राहुल गांधी को लोकसभा से बाहर किए जाने पर हो-हल्ला मचाने के लिए कांग्रेस पर निशाना साधते हुए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा है कि पूर्व सांसद को राहत के लिए ऊपरी अदालत में जाना चाहिए. उन्होंने कहा कि देश में पहली बार किसी सांसद या विधायक को अयोग्य नहीं ठहराया गया है. शाह ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर आरोप लगाने के बजाय उनको फैसले को चुनौती देनी चाहिए.
राहुल गांधी को 'मोदी' समुदाय पर अपमानजनक टिप्पणी के लिए सूरत की एक अदालत ने दोषी ठहराया है जिसके बाद उन्हें संसद से बाहर कर दिया गया. नियम के मुताबिक लोकसभा अध्यक्ष ने उन्हें अगले ही दिन सदन से अयोग्य घोषित कर दिया और उसके बाद गांधी को अपना आधिकारिक बंगला खाली करने के लिए भी कहा गया. नफरती भाषण पर न्यायालय की टिप्पणी शिंदे-फडणवीस सरकार के लिए शर्म की बात: अजित पवार
कांग्रेस पूरे प्रकरण को अपने नेता के खिलाफ एक साजिश के रूप में पेश कर रही है और आगामी विधानसभा चुनावों में इसका राजनीतिक लाभ लेने की कोशिश कर रही है. लेकिन राहुल गांधी ने सजा के खिलाफ अब तक ऊपरी अदालत में अपील नहीं की है.
ऊपरी अदालत में अपील नहीं करने के राहुल गांधी के अहंकार पर सवाल उठाते हुए, अमित शाह ने कहा, यह अहंकार कहां से पैदा होता है? लालू प्रसाद, जे. जयललिता और राशिद अल्वी सहित 17 लोगों ने अपनी सदस्यता खो दी, लेकिन किसी ने हंगामा नहीं मचाया. यह सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर आधारित है, यह देश का कानून है. गांधी परिवार अपने लिए एक अलग कानून क्यों चाहता है? भारत के लोगों को यह तय करने की जरूरत है कि हमें एक परिवार के लिए अलग कानून की जरूरत है या नहीं.
न्यूज 18 के 'राइजिंग इंडिया' समिट में बोलते हुए शाह ने कहा कि राहुल गांधी को हटाने के पीछे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर आरोप लगाने का प्रयास निराधार है और मतदाताओं पर इसका कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा क्योंकि कानून ने केवल अपना काम किया है.
शाह ने प्रतिशोध की राजनीति के आरोपों का खंडन करते हुए कहा कि राहुल गांधी बच गए होते अगर उन्होंने 2013 में सदन से सांसदों की अयोग्यता पर अध्यादेश नहीं फाड़ा होता.
शाह ने कहा, कांग्रेस लालू प्रसाद को बचाना चाहती थी, इसलिए वह अध्यादेश लेकर आई थी. लेकिन राहुल गांधी ने इसे बकवास बताया और फाड़ दिया. अगर आज कानून लागू होता, तो राहुल गांधी बच जाते.
शाह ने सवाल किया, जब अन्य सांसदों को अयोग्य घोषित किया गया तो लोकतंत्र खतरे में क्यों नहीं था? अब वह अपनी छाती क्यों पीट रहे हैं, जब उन्होंने ही अध्यादेश फाड़ा था.
शाह ने वीर सावरकर पर अपनी हालिया टिप्पणी के लिए राहुल गांधी की भी खिंचाई की. अपनी अयोग्यता के बाद, राहुल गांधी ने कहा था, मेरा नाम सावरकर नहीं है, मेरा नाम गांधी है और एक गांधी किसी से माफी नहीं मांगता है.
शाह ने कहा कि राहुल गांधी को देश के लिए बलिदान देने वाले सावरकर के लिए ऐसे शब्दों का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए. शाह ने कहा, इंदिरा गांधी ने सावरकर की बहुत प्रशंसा की, उन्होंने कहा, वह माफी नहीं मांगना चुन सकते थे, लेकिन फिर उन्होंने जमानत मुचलका क्यों भरा?
शाह ने गुजरात के गृह मंत्री रहते हुए एक मुठभेड़ मामले में सीबीआई द्वारा उनकी गिरफ्तारी का जिक्र करते हुए विपक्ष के इस आरोप पर भी तंज कसा कि उन्हें निशाना बनाने के लिए केंद्रीय एजेंसियों का इस्तेमाल किया गया था.
उन्होंने कहा, मैं आपको बताता हूं कि कैसे एजेंसियों का दुरुपयोग किया जाता है, मैं इसका शिकार रहा हूं.. कांग्रेस ने हमारे खिलाफ भ्रष्टाचार का मामला दर्ज नहीं किया था. जब मैं गुजरात का गृह मंत्री था तब एक मुठभेड़ हुई थी. मेरे खिलाफ मामला दर्ज किया गया और मुझे सीबीआई ने गिरफ्तार कर लिया. पूछताछ के दौरान 90 प्रतिशत सवालों में मुझसे कहा गया कि मुझे परेशान होने की जरूरत नहीं है और उन्होंने कहा कि अगर मैं नरेंद्र मोदी का नाम लेता हूं तो वे मुझे छोड़ देंगे. फिर भी, हमने विरोध नहीं किया और न ही काले कपड़े पहने, या संसद के कामकाज को रोका. मोदी के खिलाफ एक एसआईटी का गठन किया गया जिसे सुप्रीम कोर्ट ने खुद ही खारिज कर दिया.
उन्होंने कहा, ''पूछताछ के दौरान मुझसे कहा गया, 'मोदी का नाम दे दो, दे दो. मैं क्यों उनका नाम लेता. मेरे चलते कई निर्दोष पुलिस अधिकारी जेल चले गए. आज वही कांग्रेस अपने किस्मत पर रो रही है. उन्हें अपने व्यवहार पर विचार करना चाहिए.
कर्नाटक में विधानसभा चुनाव में पार्टी की संभावना पर शाह ने कहा कि भाजपा आराम से 224 सीटों वाली कर्नाटक विधानसभा में आधे का आंकड़ा पार कर लेगी और राज्य में स्पष्ट बहुमत हासिल कर लेगी. कर्नाटक में 10 मई को मतदान है.
उन्होंने कहा कि पार्टी मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान के विधानसभा चुनावों में पहले की तुलना में बेहतर प्रदर्शन करेगी.