Bijapur Naxalite Surrender: छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित इलाकों में सुरक्षा बलों को एक बड़ी सफलता हाथ लगी है. यहां बीजापुर जिले में 50 नक्सलियों ने पुलिस के सामने आत्मसमर्पण कर दिया है. इन नक्सलियों पर कुल 68 लाख रुपये का इनाम घोषित था. बीजापुर पुलिस अधीक्षक जितेंद्र यादव ने बताया कि हमारी नक्सल विरोधी कार्रवाई जारी रहेगी. नक्सलियों के पास अब तीन ही रास्ते हैं, आत्मसमर्पण, गिरफ्तारी या मुठभेड़ में ढेर होना. केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने इस आत्मसमर्पण को बड़ी सफलता बताया है.
शाह ने 'एक्स' पर लिखा, ''मैं उन सभी का स्वागत करता हूं, जिन्होंने हिंसा का रास्ता छोड़कर मुख्यधारा में लौटने का निर्णय लिया. मोदी सरकार की नीति स्पष्ट है कि जो नक्सली आत्मसमर्पण कर विकास की राह अपनाएंगे, उन्हें पुनर्वास और मुख्यधारा से जोड़ा जाएगा."
बीजापुर में 50 नक्सलियों ने किया सरेंडर
#WATCH | Bijapur, Chhattisgarh | In a big success against naxalism, 50 naxals, with a bounty of about 68 lakhs, surrendered in front of Bijapur police.
Our efforts against naxalism in naxal areas will continue. Its consequence is either surrender, arrest or neutralization:… pic.twitter.com/98I55q108V
— ANI (@ANI) March 30, 2025
गृहमंत्री अमित शाह ने जताई खुशी
बहुत हर्ष का विषय है कि बीजापुर (छत्तीसगढ़) में 50 नक्सलियों ने हिंसा का रास्ता छोड़कर आत्मसमर्पण किया। हिंसा और हथियार छोड़कर विकास की मुख्यधारा में शामिल होने वालों का मैं स्वागत करता हूँ। मोदी जी की नीति स्पष्ट है कि जो भी नक्सली हथियार छोड़कर विकास का मार्ग अपनाएँगे, उनका…
— Amit Shah (@AmitShah) March 30, 2025
गृहमंत्री अमित शाह की अपील
गृह मंत्री ने नक्सलियों से अपील करते हुए कहा कि मैं बाकी बचे नक्सलियों से आग्रह करता हूं कि वे हथियार छोड़कर मुख्यधारा में शामिल हों. हमारा संकल्प है कि 31 मार्च 2026 के बाद देश से नक्सलवाद पूरी तरह खत्म कर दिया जाएगा.
बता दें, केंद्र सरकार ने आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों के लिए कई पुनर्वास योजनाएं चलाई हैं. इन योजनाओं के तहत उन्हें शिक्षा, रोजगार और पुनर्वास की सुविधाएं दी जाती हैं, ताकि वे समाज की मुख्यधारा में लौट सकें.
नक्सलियों के खिलाफ बढ़ती कार्रवाई
छत्तीसगढ़ के बस्तर और बीजापुर जैसे इलाकों में सरकार ने नक्सलवाद के खिलाफ कड़ा रुख अपनाया है. पुलिस और सुरक्षाबल लगातार अभियान चला रहे हैं, जिससे नक्सली आत्मसमर्पण करने के लिए मजबूर हो रहे हैं.
विशेषज्ञों का मानना है कि अगर सरकार की नीतियां इसी तरह जारी रहीं, तो आने वाले वर्षों में नक्सलवाद इतिहास बन जाएगा. पिछले कुछ वर्षों में हजारों नक्सली हथियार डालकर मुख्यधारा में शामिल हो चुके हैं.













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