वीरान द्वीपों में टेस्ट किए 200 परमाणु बम
प्रतीकात्मक तस्वीर (Photo Credit: Image File)

1960 से 1990 के दशक के बीच फ्रांस ने करीब 200 बमों का परीक्षण किया. ये सभी ताकतवर परमाणु बम थे. इन परीक्षणों की अब जांच होगी.फ्रांस से हजारों किलोमीटर दूर, प्रशांत महासागर में कई दुर्गम द्वीप छितरे पड़े हैं. ऑस्ट्रेलिया और दक्षिण अमेरिका के बीच मौजूद ऐसे ही कुछ द्वीपों को फ्रेंच पोलिनेशिया कहा जाता है और ये यह आज भी फ्रांस का हिस्सा हैं. ये द्वीप ऑस्ट्रेलिया के पूर्व में पड़ते हैं. फ्रांस से वहां तक पहुंचने के लिए या तो अटलांटिक महासागर और दक्षिणी अमेरिकी महाद्वीप का बड़ा हिस्सा पार करना पड़ता है, या फिर हिंद महासागर और एशिया को लांघकर वहां पहुंचा जा सकता है.

टैक्टिकल परमाणु हथियार क्या होता है

इतनी दुर्गम जगह पर 1960 के दशक से 1996 तक फ्रांस ने 200 परमाणु बमों का परीक्षण किया. इनमें से 41 वायुमंडलीय टेस्ट भी थे, जो 1966 से 1974 के बीच किए गए. आखिरी न्यूक्लियर टेस्ट 1996 में किया गया.

पोलिनेशिया की सांसद ने उठाया मुद्दा

फ्रांस की संसद में इस मामले की जांच कराने की लिखित दरख्वास्त पहुंची है. अपील फ्रांस की वामपंथी पार्टियों के गुट जीडीआर ने की है. इसमें कहा गया है, "हमें खुद से पूछना होगा कि परीक्षणों से पहले फ्रांस की सरकार को इनके संभावित असर के बारे में क्या क्या पता था, तब से लेकर आज तक की जानकारी दी जानी चाहिए."

फ्रांसीसी संसद में फ्रेंच पोलिनेशिया की सांसद मेरेआना रेइद अरबेलो ने कहा, इन धमाकों का "असर कई तरह से हुआ: सेहत पर, अर्थव्यवस्था, समाज और पर्यावरण पर." पूरी और विस्तृत जांच की मांग करते हुए अरबेलो ने कहा कि उनका ग्रुप जानना चाहता है कि 1950 के दशक में आखिर किस आधार पर टेस्टिंग साइट को चुना गया.

परमाणु परीक्षणों से हुए नुकसान का मुआवजा कौन देगा

फ्रांस ने पहली बार 2010 में इन परीक्षणों के मामले में मुआवजा प्रक्रिया शुरू की. पेरिस ने माना कि परमाणु बमों के परीक्षणों का असर पोलिनेशिया के लोगों की सेहत और वहां के पर्यावरण पर व्यापक रूप से पड़ा. 2021 में पोलेनेशिया दौरे पर गए फ्रांसीसी राष्ट्रपति इमानुएल माक्रों ने इस गलती को स्वीकारते हुए कहा, कि न्यूक्लियर परीक्षणों के कारण फ्रांस, पोलिनेशिया का "कर्जदार" है. उन्होंने टेस्टिंग से जुड़ी संवेदनशील सैन्य जानकारी के अलावा दूसरी सूचनाएं सामने लाने की बात भी कही.

2023 में फ्रांस के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ एंड मेडिकल रिसर्च के शोध में पता चला कि परमाणु परीक्षणों के कारण पोलिनेशिया के लोगों में थाइरॉयड कैंसर का जोखिम थोड़ा सा बढ़ा मिला.

दुनिया में इस वक्त नौ देशों के पास परमाणु हथियार हैं. फ्रांस के पास चीन और ब्रिटेन के ही बराबर करीब 300 एटम बम हैं. फ्रांस की परमाणु नीति के मुताबिक न्यूक्लियर बमों का इस्तेमाल देश के "अहम हितों" पर गंभीर खतरा मंडराने पर किया जा सकता है. हालांकि खतरे की गंभीरता का मूल्यांकन और फिर परमाणु हथियार इस्तेमाल करना, पूरी तरह फ्रांसीसी राष्ट्रपति के विवेक के हवाले है.

ओएसजे/सीके (एएफपी)