नयी दिल्ली. उच्चतम न्यायालय ने 33 लोगों की अपील पर दिल्ली सरकार और पुलिस से 23 जुलाई तक शुक्रवार को जवाब मांगा. इन लोगों ने दिल्ली उच्च न्यायालय के 1984 के सिख विरोधी दंगों के मामले में उन्हें दोषी ठहराने और पांच साल के कारावास की सजा सुनाने के फैसले को चुनौती दी है।
न्यायालय ने सॉलीसीटर जनरल तुषार मेहता की दलीलों पर गौर किया कि जवाब दाखिल करने के लिये कुछ और वक्त दिया जाना चाहिये.
प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पीठ ने इससे पहले दोषियों की अपील पर दिल्ली सरकार और पुलिस को नोटिस जारी किया और उनसे 23 जुलाई तक अपना जवाब दाखिल करने को कहा. दोषियों को सिख विरोधी दंगों के दौरान बलवा, मकानों में आग लगाने और राष्ट्रीय राजधानी के त्रिलोकपुरी इलाके में कर्फ्यू का उल्लंघन करने के अपराधों के लिये पांच साल कारावास की सजा सुनाई गई थी. यह भी पढ़े-1984 सिख विरोधी दंगे: कमलनाथ के खिलाफ SIT फिर से खोलेगी केस, भूमिका की होगी जांच
जानिए पूरा मामला?
बता दें कि 31 अक्टूबर 1984 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद देश के कई हिस्सों में हिंसा भड़की और लोगों ने सिखों को निशाना बनाना शुरू कर दिया था. दिल्ली में हुए कत्लेआम के बाद कानपूर में भी सबसे ज्यादा सिखों को मारा गया था.
इससे पहले, शीर्ष अदालत ने उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ 34 दोषियों की अपीलों पर अधिकारियों को नोटिस जारी किया था. उच्च न्यायालय ने इन लोगों को दोषी ठहराने के निचली अदालत के फैसले को बरकरार रखा था. एक अपीलकर्ता की हाल में मौत हो गई थी.