PMO अब बना ‘सेवा तीर्थ’,  देश के सभी राजभवनों का नाम हुआ लोकभवन
PM Narendra Modi | PTI

नई दिल्ली: प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) अब एक नए नाम और नई सोच के साथ देश के सामने आने वाला है, ‘सेवा तीर्थ’. इसके साथ ही देशभर के राजभवन और राज निवास का नाम बदलकर क्रमशः ‘लोक भवन’ और ‘लोक निवास’ किया जा रहा है. केंद्र सरकार के इस फैसले को भारत की प्रशासनिक और सांस्कृतिक यात्रा में एक बड़ा बदलाव माना जा रहा है.

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने इसे विकसित भारत की ओर बढ़ते कदमों में एक "महत्वपूर्ण मील का पत्थर" बताया. उन्होंने कहा कि पिछले 11 वर्षों में मोदी सरकार ने सत्ता नहीं, बल्कि सेवा को अपना मूल मंत्र बनाया है. जहां देश का सर्वोच्च नेता खुद को प्रधान सेवक मानकर 24x7 जनता के लिए काम करता है.

अमित शाह ने बताया कि इसी भावना को आगे बढ़ाते हुए पीएमओ का नाम ‘सेवा तीर्थ’ रखा गया है. वहीं, राजभवन और राज निवास को ‘लोक भवन’ और ‘लोक निवास’ का नया नाम दिया गया है, जो लोकतंत्र को और अधिक जनता से जोड़ने वाला कदम है.

सरकार सत्ता नहीं, सेवा की पर्याय रही है: सरकार

सेवा तीर्थ: नया PMO, नई सोच

सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट के तहत तैयार हो रहा नया PMO परिसर अब सेवा तीर्थ कहलाएगा. पहले इसे एग्जीक्यूटिव एन्क्लेव कहा जाता था. इस परिसर में शामिल होंगे- कैबिनेट सचिवालय, राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद सचिवालय, इंडिया हाउस, जहां विदेशी मेहमानों के साथ उच्च स्तरीय वार्ताएं होंगी.

सरकार का कहना है कि यह बदलाव केवल नाम नहीं, बल्कि शासन की बदलती संस्कृति का प्रतीक है, जहां काम का केंद्र सत्ता नहीं, सेवा है.

शासन में गहरा वैचारिक बदलाव

राजभवनों के नाम बदलकर लोक भवन किया जाना भी इसी व्यापक सोच का हिस्सा है. सरकारी सूत्रों के अनुसार भारत की सार्वजनिक संस्थाएं एक शांत लेकिन गहरे परिवर्तन से गुजर रही हैं. जहां लोकतंत्र में शक्ति का केंद्र अधिकार से जिम्मेदारी की ओर बढ़ रहा है.

सूत्रों ने इसे “सत्ता से सेवा और अधिकार से कर्तव्य” की ओर बढ़ता बदलाव बताया. यानी शासन व्यवस्था का उद्देश्य केवल आदेश देना नहीं, बल्कि लोगों की सेवा करना है.

सेंट्रल सचिवालय का नया नाम: कर्तव्य भवन

सेंट्रल सचिवालय को भी नया नाम ‘कर्तव्य भवन’ दिया गया है, जो इस विचार को मजबूत करता है कि सार्वजनिक सेवा सिर्फ नौकरी नहीं, बल्कि देश के प्रति एक कर्तव्य है.