मध्य प्रदेश: यहां के स्थानीय लोगों ने शुक्रवार को जिला अस्पताल छतरपुर में नसबंदी ऑपरेशन (ट्यूबेक्टॉमी) के बाद महिला मरीजों के साथ 'अमानवीय व्यवहार' करने का आरोप लगाया. मरीजों के परिजनों ने आरोप लगाया कि अस्पताल में बुनियादी सुविधाओं का अभाव है, यहां तक कि बेड और स्ट्रेचर भी उपलब्ध नहीं है. ऑपरेशन के बाद मरीजों को जमीन पर बिछाए गद्दे पर सोना पड़ा. रोगियों और ऑपरेशन की गई महिलाओं को फर्श पर लेटने के मजबूर किया जा रहा है, जिससे संक्रमण फ़ैल सकता है और जिंदगी को खतरा हो सकता है. एक पेशंट के रिश्तेदार ने एएनआई को बताया कि "यहां अस्पताल में कोई सुविधाएं नहीं हैं, बेड न होने के कारण मरीज फर्श पर सोने को मजबूर हैं, यहां तक कि स्ट्रेचर भी उपलब्ध नहीं है ऑपरेशन के बाद दो या तीन कर्मी को पेशंट को उठाकर लाना पड़ रहा है.
परिवार के एक सदस्य के साथ अस्पताल में आए राशिद खान ने कहा, "उन्हें मरीजों की सुरक्षा के लिए कोई चिंता नहीं है. अगर स्थिति ऐसी ही बनी रही तो आने वाले दिनों में अस्पताल में जानमाल का नुकसान हो सकता है." इस बीच अस्पताल के बचाव में सिविल सर्जन आर त्रिपाठी ने कहा कि जिन रोगियों को ट्यूबेक्टॉमी से गुजरना पड़ा था, उन्हें लंबे समय तक भर्ती नहीं रहना पड़ता है और इसलिए उन्हें जमीन पर पड़े गद्दे पर लेटाया जाता है. त्रिपाठी ने कहा, "महिलाओं का नसबंदी ऑपरेशन ग्रामीण क्षेत्रों में किया जा रहा है. उनके लिए एक अलग ऑपरेशन थिएटर बनाया गया है और उनके लिए अलग बेड अलग रखा गया है. उनके साथ कोई अमानवीय व्यवहार नहीं हुआ है. "
देखें वीडियो:
#WATCH Patients were made to sleep on floor, after their sterilization surgery at a govt hospital in Chhatarpur yesterday. Civil Surgeon R Tripathi says, "There are about 30 cases of sterilization per day. To provide bed facilities, we need better infrastructure". #MadhyaPradesh pic.twitter.com/3i6oO6cWDX
— ANI (@ANI) December 1, 2019
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उन्होंने कहा "आमतौर पर दिन में 30 नसबंदी ऑपरेशन किए जाते हैं और इसमें मरीजों को लंबे समय तक अस्पताल में नहीं रहना पड़ता है, इसलिए, उन्हें अलग बेड नहीं दिया जाता है. इस ऑपरेशन में आमतौर पर दो से तीन घंटों में मरीज नॉर्मल हो जाता है.