भारत ने जब से चावल निर्यात पर बैन का ऐलान किया है, विदेशों में रहने वाले भारतीयों में घबराहट का माहौल है.ऑस्ट्रेलिया के वोलोनगॉन्ग शहर में रहने वाले भारतीय मूल के लोगों के व्हॉट्सऐप ग्रुप में एक के बाद एक मेसेज भेजे जा रहे हैं, जो लोगों को चावल का स्टॉक जमा कर लेने को कह रहे हैं. भारत ने पिछले हफ्ते जब चावल के निर्यात में कटौती का ऐलान किया तो विदेशों में रहने वाले भारतीयों के बीच चिंता पसर गयी.
ऑस्ट्रेलिया में रहने वालीं प्रियंवदा शर्मा कहती हैं, "मुझे पूरी बात तो नहीं पता लेकिन सुन रहे हैं कि भारत से चावल नहीं आएगा. फिर तो मुश्किल हो जाएगी. हम तो वही चावल खाते हैं.”
पूरे भारतीय समुदाय में चिंता
यह चिंता सिर्फ ऑस्ट्रेलिया में नहीं बल्कि अमेरिका, कनाडा, ब्रिटेन और यूरोप के कई देशों में रहने वाले भारतीयों के बीच पसरी है. लोग अतिरिक्त चावल खरीद रहे हैं ताकि उनका स्टॉक भरपूर रहे. अमेरिका में कई भारतीय दुकानों पर लोगों को चावल के एक से ज्यादा बैग खरीदते देखा जा सकता है. कई जगह तो इसके लिए लाइनें भी देखी गयी हैं.
न्यूयॉर्क के पास सिराकूज में रहने वालीं प्रभा राव भी ऐसे चिंतित लोगों में से हैं लेकिन वह बताती हैं कि स्थानीय दुकानदार ने उन्हें भरोसा दिलाया है कि चावल की कमी नहीं होगी. वह कहती हैं कि दुकानदार ने सभी ग्राहकों को ईमेल भेजकर कहा है कि चावल की कमी नहीं होगी.
चावल की कमी
अल निन्यो के कारण एशिया के कई हिस्सों में बारिश सामान्य से कम हुई है. गर्मी बढ़ी है और आशंका है कि इसका असर चावल के उत्पादन पर असर पड़ेगा. लेकिन भारत में मानसून का मौसम इस बार बहुत क्रूर रहा है. कई हिस्सों में तो ऐतिहासिक बारिश हुई है और बाढ़ के हालात रहे. फसलें तबाह हुईं और चावल उत्पादन को लेकर चिंताएं बढ़ गयी.
इन सारे कारणों को आधार बनाते हुए भारत सरकार ने इसी महीने बासमती को छोड़कर चावल की अन्य किस्मों के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया था. भारत के उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय ने एक बयान जारी कर कहा कि घरेलू बाजार में सप्लाई और महंगाई को काबू में रखने के मकसद से यह फैसला किया गया है.
पिछले एक साल में चावल की कीमतों में 11 फीसदी की वृद्धि हो चुकी है. सरकार ने कहा है कि पिछले एक महीने में ही चावल 3 प्रतिशत महंगा हो चुका है. भारत जितना चावल निर्यात करता है उसका करीब तीन चौथाई हिस्सा बासमती होता है जबकि एक चौथाई दूसरा चावल होता है.
न्यूयॉर्क से प्रभा राव कहती हैं कि व्हॉट्सऐप पर आ रहे मेसेज लोगों को कन्फ्यूज कर रहे हैं. वह कहती हैं, "व्हॉट्सऐप पर बहुत सारे ऐसे मेसेज आ रहे हैं जो कह रहे हैं कि चावल उपलब्ध ही नहीं होगा. मुझे लगता है कि शुरुआत में लोगों में काफी भ्रम था क्योंकि चावल हमारे लिए बहुत जरूरी है. जब हमने पहली बार खबर सुनी तो थोड़ा भ्रम हुआ लेकिन लोगों में घबराहट फैल गयी और उन्हें लगा कि चावल होगा ही नहीं.”
लोगों में घबराहट का असर
भारत में चावल की बहुत सारी किस्में उपलब्ध हैं, जिनका निर्यात होता है. अलग-अलग क्षेत्र के लोग अलग-अलग तरह का चावल पसंद करते हैं. बासमती सबसे मशहूर किस्मों में से एक है और उसके निर्यात पर कोई पाबंदी नहीं लगायी गयी है.
पाबंदी दरअसल, छोटे चावल पर लगाया गया है, जिसमें खुश्बू कम होती है और स्टार्च ज्यादा होता है. विदेशी बाजारों में अक्सर बासमती चावल को ज्यादा पसंद किया जाता है. न्यूयॉर्क के करी हिल में भारतीय सामान की दुकान में बासमती चावल की कोई कमी नहीं है. हालांकि अन्य दुकानों पर स्थिति थोड़ी अलग है.
अपने फेसबुक पेज पर डैलस की इंडिया बाजार नाम की दुकान ने अपने ग्राहकों को कहा है कि घबराएं नहीं. फेसबक पोस्ट कहती है, "हम अपने ग्राहकों की मांग पूरी करने की पूरी कोशिश कर रहे हैं.”
फिर भी लोगों के बीच घबराहट काफी है और कई दुकानों पर चावल खत्म हो गया है. एनबीसी के डैलस रेडियो केएक्सएएस से बातचीत में इंडिया बाजार के प्रेसिडेंट आनंद पबारी ने बताया, "लोग तो 10-12-15 थैले खरीद रहे थे. पागलपन के हालात थे.”
वीके/एए (एपी)