बीबीसी की इंडिया: द मोदी क्वेश्चन नाम की डाक्यूमेंट्री (India: The Modi Question BBC Documentary) को लेकर लगातार विवाद बना हुआ है. 300 से अधिक प्रतिष्ठित नागरिकों ने इस डाक्यूमेंट्री पर एक खुला पत्र लिखा है, जिसमें 13 पूर्व न्यायाधीशों के अलावा कई पूर्व नौकरशाह के हस्ताक्षर हैं. पत्र के जरिए बीबीसी की आलोचना की गई है. ये भी पढ़ें- BBC Documentary: केंद्र का बड़ा एक्शन, Twitter से हटाए गए बीबीसी की ‘प्रोपेगेंडा डॉक्यूमेंट्री’ के ट्वीट्स
क्या लिखा है पत्र में
इस पत्र में कहा गया है कि डाक्यूमेंट्री के जरिए भारत की छवि खराब करने की कोशिश की गई है. पत्र में ब्रिटिश औपनिवेशिक दौर का भी जिक्र किया गया है. बीबीसी की इंडिया: द मोदी क्वेश्चन नाम की सीरीज गुजरात में 2002 में हुए दंगों के बारे में है, जब मोदी राज्य के मुख्यमंत्री हुआ करते थे.
पत्र में कहा गया, “इस बार नहीं. हमारे नेता के साथ नहीं. भारत के साथ नहीं. हमारे वक्त पर कभी नहीं!” पत्र में आगे कहा गया, “एक बार फिर, बीबीसी की भारत को लेकर नकारात्मकता और कठोर पूर्वाग्रह डाक्यूमेंट्री “इंडिया: द मोदी क्वेश्चन” के जरिए फिर से सामने आया है. बीबीसी का यह दावा कि “उच्चतम संपादकीय मानकों के साथ गहन रिसर्च कर इसे तैयार किया गया है और यह डाक्यूमेंट्री सीरीज ‘भारत के हिंदू बहुसंख्यक और मुस्लिम अल्पसंख्यक के बीच तनाव की जांच करती है और उन तनावों के संबंध में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की राजनीति की पड़ताल करती है.” हमारे पास ब्रिटिश राज के कई उदाहरण हैं, उनकी यह नीति हिंदू-मुस्लिम तनाव को फिर से जीवित करने और ब्रिटिश राज की फूट डालो और राज करो की नीति का निर्माण करती है. यह सीरीज भ्रामक और स्पष्ट रूप से एकतरफा रिपोर्टिंग पर आधारित है.
BBC की सफाई
बीबीसी ने विवादित डाक्यूमेंट्री पर सफाई देते हुए कहा कि यह काफी शोध करने के बाद बनाई गई डाक्यूमेंट्री है, जिसमें अहम मुद्दों को निष्पक्षता से उजागर करने की कोशिश की गई है.
UK के PM सुनक पीएम मोदी के बचाव में उतरे
डाक्यूमेंट्री को लेकर ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक के प्रधानमंत्री मोदी का बचाव किया है. सुनक ने कहा कि वह विपक्षी लेबर पार्टी के सांसद, पाकिस्तानी मूल के इमरान हुसैन द्वारा किए गए प्रधानमंत्री मोदी के चरित्र-चित्रण से सहमत नहीं हैं.