
Operation Sindoor: भारत ने एक बार फिर दुनिया को दिखा दिया है कि वह आतंक के खिलाफ किसी भी हद तक जा सकता है. भारतीय वायुसेना द्वारा हाल ही में चलाए गए 'ऑपरेशन सिंदूर’ में पाकिस्तान में मौजूद नौ खतरनाक आतंकी कैंपों को निशाना बनाकर तबाह कर दिया गया है. ये वही ठिकाने हैं जहां कभी अजमल कसाब और डेविड हेडली जैसे आतंकियों को ट्रेनिंग दी गई थी.
भारतीय खुफिया एजेंसियों की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक, इन आतंकवादी शिविरों को पाकिस्तानी सेना और ISI की पूरी मदद मिल रही थी. न सिर्फ ट्रेनिंग, बल्कि इन कैंपों को आधुनिक संचार उपकरण, फंडिंग और लॉजिस्टिक सपोर्ट भी मिल रहा था. रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि पाकिस्तानी सेना के उच्च अधिकारी अक्सर इन कैंपों का दौरा करते थे.
आतंकवाद की फैक्ट्री: लश्कर, जैश और हिज्बुल के गढ़
जिन कैंपों को नष्ट किया गया, वे प्रमुख रूप से तीन आतंकी संगठनों से जुड़े थे: मौलाना मसूद अजहर का जैश-ए-मोहम्मद (JeM), हाफिज सईद का लश्कर-ए-तैयबा (LeT), सैयद सलाउद्दीन का हिज्बुल मुजाहिदीन (HM). इन संगठनों ने इन कैंपों को आतंकवादियों की 'फैक्ट्रियां' बना दिया था, जहां भारत के खिलाफ नफरत भरकर युवाओं को आतंकी बनने की ट्रेनिंग दी जाती थी.
मुरिदके का 'मरकज तैयबा': कसाब और हेडली की ट्रेनिंग ग्राउंड
लश्कर का मुख्य अड्डा ‘मरकज तैयबा’, मुरिदके (पाकिस्तान) में स्थित है. यहीं पर 26/11 के हमलों में शामिल अजमल कसाब समेत सभी 10 आतंकियों को 'दौरा-ए-रिब्बत' नामक इंटेलिजेंस ट्रेनिंग दी गई थी. यही नहीं, यहां पर ओसामा बिन लादेन ने 1 करोड़ पाकिस्तानी रुपये की मदद दी थी, जिससे मस्जिद और गेस्टहाउस बनाया गया.
डेविड हेडली और तहव्वुर राणा, जो 26/11 के साजिशकर्ता थे, वे भी कई बार यहां आए थे. उनके साथ पाकिस्तानी सेना के रिटायर्ड अधिकारी अब्दुल रहमान सय्यद उर्फ पाशा और लश्कर के ऑपरेशनल कमांडर जकी-उर-रहमान लखवी भी मौजूद रहते थे.
बहावलपुर का 'मरकज सुब्हान अल्लाह': पुलवामा हमले का मास्टरमाइंड ठिकाना
जैश-ए-मोहम्मद का मुख्य ऑपरेशनल हेडक्वार्टर ‘मरकज सुब्हान अल्लाह’, बहावलपुर में स्थित है. यही ठिकाना 2019 के पुलवामा हमले की साजिश में इस्तेमाल हुआ था. यही नहीं, इस जगह पर मसूद अजहर, उनके भाई मुफ़्ती अब्दुल रऊफ़, मौलाना अम्मार समेत उनके कई परिजन भी रहते हैं.
जम्मू बॉर्डर के पास का आतंक लॉन्च पैड
नरोवाल जिले के शकरगढ़ तहसील में स्थित जैश का एक और ठिकाना – सरजल-तेहरा कलां – भारत में आतंकियों की घुसपैठ के लिए इस्तेमाल होता था. यह जगह अंतरराष्ट्रीय सीमा से केवल 6 किलोमीटर दूर है और यहां से आतंकवादी सुरंगें बनाकर जम्मू-कश्मीर में दाखिल होते थे. इसके जरिए ड्रोन से हथियार, गोलाबारूद और ड्रग्स भी भारत भेजे जाते थे.
आतंक के अड्डों का अंत
‘ऑपरेशन सिंदूर’ के तहत इन सभी आतंकी अड्डों को सटीक हमलों के जरिए नष्ट कर दिया गया, जिससे भारत के खिलाफ आतंक की कमर तोड़ दी गई है. यह कार्रवाई सिर्फ एक जवाब नहीं, बल्कि एक कड़ा संदेश है कि भारत अब आतंक के खिलाफ सिर्फ निंदा नहीं करेगा, बल्कि निर्णायक कदम उठाएगा.