नई दिल्ली. कश्मीरी संस्कृति और सभ्यता के जानकार सुशील पंडित ने कहा है कि कश्मीर में सिर्फ सरकार के प्रयास से कश्मीरियत नहीं लौट पाएगी. अभी कश्मीर से सिर्फ 370 और 35ए हटाया गया है, बाकी सब उसी तरह से कब्जे में है. इसके लिए जरूरी है कि वहां की सदियों पुरानी विद्वत परंपरा रीति-रिवाज की लोगों को जानकारी हो. कश्मीरी पंडित सुशील ने कहा कि लोगों को जानकारी होनी चाहिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जिस योग को पूरी दुनिया में फैलाने में जुटे हैं, उस योग के जन्मदाता महर्षि पतंजलि कश्मीर से ही थे। इसी तरह विश्व का सबसे प्राचीन इतिहास राजतरंगिनी के लेखक कल्हण भी कश्मीर से थे. भरतमुनि ने प्रसिद्ध नाट्यशास्त्र कश्मीर की वादियों में ही बैठकर लिखा था.
हरियाणा के हसनगढ़ में आरएसएस से जुड़ी संस्था 'हमारा परिवार' के कार्यक्रम में सुशील पंडित ने 370 हटने के पहले और बाद की स्थिति के बारे मे चर्चा करते हुए बताया कि पहले जम्मू-कश्मीर की कोई महिला अगर भारत के किसी अन्य राज्य के व्यक्ति से विवाह कर लेती तो उस महिला की नागरिकता समाप्त हो जाती थी. इसके विपरीत अगर वह पकिस्तान के किसी व्यक्ति से विवाह कर ले तो उसे भी जम्मू-कश्मीर की नागरिकता मिल जाती थी. जबकि अब ऐसा नहीं है.धारा 370 हटने के बाद जम्मू-कश्मीर की महिला किसी दूसरे राज्य के व्यक्ति से विवाह करती है तो भी वो सिर्फ भारतीय ही कहलाएगी. यह भी पढ़े-जम्मू-कश्मीर: 4 नेताओं को नजरबंदी से किया गया रिहा, आर्टिकल 370 हटाए जाने के बाद से ही हिरासत में रखा गया था
कश्मीरी पंडित सुशील ने बताया कि प्राचीन इतिहास का सबसे बड़ा साम्राज्य ललितादित्य का था. सन् 719 से 750 के बीच कश्मीर में राजधानी रखने वाले ललितादित्य का साम्राज्य पूर्व में असम, उत्तर-पश्चिम में कैस्पियन सागर और दक्षिण में कावेरी तक फैला हुआ था. यह सम्राट अशोक और अकबर के साम्राज्य से भी बड़ा था। उसी वक्त इस्लाम का तेजी से फैलाव शुरू हुआ था.
उन्होंने कहा, "हमारे देश के भविष्य हमारे युवाओं को पढ़ाना चाहिए."मुख्य वक्ता सुशील पंडित को पूर्व सैनिक प्रकोष्ठ प्रमुख मेजर राजकिशोर ने स्मृति चिन्ह भेंट कर सम्मानित किया.
'हमारा परिवार' के मार्गदर्शक डॉ. पी.के सिंघल और मेजबान कृष्णकांत भारद्वाज ने कार्यक्रम के अध्यक्ष ब्रिगेडियर एन.के. डबास को माल्यार्पण और तुलसी का पौधा देकर सम्मानित किया. सेवानिवृत्त ब्रिगेडियर एन.के. डबास ने कार्यक्रम की अध्यक्षता की. इस मौके पर डॉ. सुरेंद्र ने बताया कि हमारा परिवार के कार्यकर्ता राष्ट्रवाद के विचार को लेकर पूर्णतया अनुशासित रहकर समाज के भिन्न भिन्न क्षेत्रों में काम कर रहे हैं.