नई दिल्ली: ऑनलाइन शॉपिंग (Online Shopping) करने वालों के लिए बुरी खबर है. दरअसल केंद्र सरकार ने प्राइस वॉर को रोकने के लिए ई-कॉमर्स वेबसाईटों के लिए नियम और भी कड़े करते हुए नई पॉलिसी लागू की है. इसके तहत ई-कॉमर्स वेबसाईटों पर अब उन कंपनियों के प्रोडक्ट्स नहीं बिकेंगे, जिसमें उनकी हिस्सेदारी होगी. परिणामस्वरुप अब महासेल के नाम पर भारी डिस्काउंट नहीं मिल सकेगी.
वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय ने यह फैसला पिछले साल दिसंबर महीने में ही ले लिया था. जो आज यानि 1 फरवरी से लागू हो गई है. दरअसल केंद्र ने ऑनलाइन सेल को लेकर अपने नए नियमों को लागू करने की तारीख को आगे बढ़ाने से इनकार कर दिया है. जिसके कारण अब से भारी डिस्काउंट पर ऑनलाइन सामान मिलना असंभव हो गया है.
एक अधिकारिक बयान में मंत्रालय ने कहा था कि ई-कॉमर्स में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) नीति में किए गए संशोधन से ऑनलाइन रिटेल कंपनियां (ई-मार्केटप्लेस) अपने प्लेटफार्म पर किसी भी कंपनी के उत्पाद एक्सक्लूसिव रूप से नहीं बेच सकेंगी. मतलब ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म सप्लायर को खास रियायत नहीं दे सकता है. इस नियम का सीधा असर ऑनलाइन शॉपिंग करनेवालों की जेब पर पड़ने की उम्मीद जताई जा रही है.
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इसके पीछे सरकार का तर्क है कि यह कदम भारतीय रिटेलरों और कारोबारियों के हितों की रक्षा के लिए उठाया गया है. दरअसल ऑफलाइन व्यवसाय करने वाले व्यापारियों का आरोप था कि ऑनलाइन रिटेलर भारी छूट दे रहे हैं, जिससे उनका कारोबार चौपट हो रहा है और भारी नुकसान सहना पड़ रहा है.
आपको बता दें कि बड़ी ई-कॉमर्स कंपनियां अपनी होलसेल इकाइयों या समूह की दूसरी कंपनियों से बड़ा स्टॉक एक साथ खरीदते है. यह लेनदेन वह उन चुनिंदा कंपनियों से करते है जो अपना प्रोडक्ट खुले बाजार में नहीं बेचती. इसके साथ ही ई-कॉमर्स कंपनियां एक खास एग्रीमेंट भी करती है जिससे प्रोडक्ट बाजार में कंट्रोल किया जा सके.