भुवनेश्वर: प्रकृति (Nature) अपने आप में कई रहस्य समेटे हुए है, जिनके बारे में जान पाना आम इंसानों के बस की बात नहीं है. अगर प्रकृति स्वयं चाहे तो उन रहस्यों से पर्दा उठ सकता है, जैसा कि हाल ही में ओडिशा (Odisha) में देखने को मिला है. ओडिशा के पद्वावती गांव (Padmavati village) में महानदी (Mahanadi) में जलमग्न प्राचीन गोपीनाथ मंदिर (Gopinath Temple) के ऊपरी हिस्से का नदी की लहरों से अचानक बाहर आना किसी चमत्कार से कम नहीं है. करीब डेढ़ सौ साल पहले आई बाढ़ के कारण नदी में डूबा भगवान विष्णु (Lord Vishnu) को समर्पित ऐतिहासिक गोपीनाथ मंदिर (Ancient Gopinath Temple) का शिवाला पिछले एक हफ्ते से नदी के ऊपर दिख रहा है.
नदी की लहरों से ऊपर आए इस मंदिर का इतिहास 500 साल पुराना है, जिसका निर्माण 15वीं या 16वीं सदी में किया गया था. इंडियन नेशनल ट्रस्ट फॉर आर्ट एंड कल्चरल हेरिटेज (INTACH) की टीम का दावा है कि उन्होंने ही इस मंदिर को खोज निकाला है. INTACH के रिसर्च स्कॉलर अनिल कुमार धीर (Anil Kumar Dheer) का कहना है कि एक हफ्ते पहले हमें पता चला कि इस मंदिर का मस्तक पानी के ऊपर नजर आ रहा है, जिसके बाद हमने वहां जाकर देखा और हमें पता चला कि ये मंदिर 55-60 फीट ऊंचा था जो सिर्फ 8 फीट पानी में है. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि इस मंदिर का फिर से पूर्ण उद्धार किया जाना चाहिए. यह भी पढ़ें: ओडिशा: महानदी में डूबा 500 साल पुराना गोपीनाथ मंदिर का ऊपरी हिस्सा फिर से आया नदी के ऊपर, डेढ़ सौ साल पहले हुआ था जलमग्न
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हमें इस मंदिर की खोज थी एक हफ्ते पहले हमें पता चला कि इस मंदिर का मस्तक पानी के ऊपर नज़र आ रहा है।फिर हमने वहां जाकर देखा और हमें पता चला कि ये मंदिर 55-60 फीट ऊंचा मंदिर था जो सिर्फ 8 फीट पानी में है। हम चाहेंगे कि इस मंदिर को फिर से पूर्ण उद्धार किया जाए:अनिल कुमार धीर, INTACH https://t.co/eZt6Ra18Om pic.twitter.com/aLJMIrhQQk
— ANI_HindiNews (@AHindinews) June 17, 2020
बताया जाता है कि करीब 150 साल पहले महानदी में भयंकर बाढ़ आई थी, जिसके चलते यह प्राचीन मंदिर और गांव नदी में डूब गए थे. हालांकि मंदिर के आसपास रहने वाले लोग नदी में बढ़ते जलस्तर से आनेवाले खतरे को भांपते हुए मंदिर में विराजामान प्रतिमाओं को अपने साथ लेकर ऊंचे स्थान पर चले गए थे. यहां के स्थानीय लोगों का कहना है कि पद्मावती गांव के आसपास ही करीब 22 मंदिर थे, जो महानदी में जलमग्न हो गए. गौरतलब है कि कुछ साल पहले भी इस मंदिर का ऊपरी हिस्सा नदी के ऊपर दिखाई दिया था.