भुवनेश्वर: ओडिशा (Odisha) के पद्वावती गांव (Padmavati village) में महानदी (Mahanadi) में डूबा हुआ करीब 500 साल पुराना ऐतिहासिक गोपीनाथ मंदिर (Gopinath Temple) का ऊपरी हिस्सा एक बार फिर से नदी के ऊपर दिखने लगा है. महानदी में जलमग्न इस प्राचीन मंदिर (Ancient Temple) का शिवाला नदी के बीचों-बीच अचानक से ऊपर आ गया है. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, इस मंदिर का इतिहास 15वीं या 16वीं सदी से जुड़ा हुआ है. स्थानीय लोगों का मानना है कि इस मंदिर में भगवान गोपीनाथ (Lord Gopinath) की प्रतिमाएं स्थापित थीं, जिन्हें भगवान विष्णु (Lord Vishnu) का ही स्वरूप माना जाता है. इससे पहले मंदिर का ऊपरी हिस्सा कुछ साल पहले नदी का जलस्तर कम होने के कारण ऊपर दिखाई दिया था और एक बार फिर इस मंदिर का शिवाला नदी के ऊपर दिखने लगा है.
इंडियन नेशनल ट्रस्ट फॉर आर्ट एंड कल्चरल हेरिटेज (INTACH) की टीम की मानें तो उन्होंने ही इस प्राचीन मंदिर की खोज की है. INTACH के रिसर्च स्कॉलर अनिल कुमार धीर के अनुसार, करीब डेढ़ सौ साल पहले महानदी में जब बाढ़ (Flood In Mahanadi) आई थी, तब यह मंदिर और गांव नदी में जलमग्न हो गए थे, लेकिन यहां के स्थानीय अपने साथ भगवान की प्रतिमाओं को लेकर ऊंचे स्थान पर चले गए थे.
देखें ट्वीट-
ओडिशा: पद्मावती गांव में महानदी में डूबा हुआ 500 साल पुराना गोपीनाथ मंदिर का ऊपरी हिस्सा फिर से नदी के ऊपर दिखने लगा है।INTACH के रिसर्च स्कॉलर अनिल कुमार धीर ने बताया,'डेढ़ सौ साल पहले महानदी में जब बाढ़ आई थी तब ये मंदिर और गांव नदी में डूब गए थे।" pic.twitter.com/4pFRegEUQT
— ANI_HindiNews (@AHindinews) June 17, 2020
INTACH की टीम की मानें तो ओडिशा में कई ऐसे मंदिर हैं, जो अभी भी जलमग्न हैं. राज्य की विभिन्न नदियों में ढेरों मंदिरों के मौजूद होने का प्रमाण है. टीम का कहना है कि जलमग्न इन प्राचीन मंदिरों में कुछ ढह गए हैं, जबकि कुछ मंदिर अभी भी खड़े हैं. टीम का कहना है कि पद्मावती गांव में मौजूद गोपीनाथ मंदिर को महानदी से निकालकर एक मॉडल के तौर पर स्थापित करना चाहिए. यह भी पढ़ें: चमत्कार! ओडिशा के महानदी से अचानक बाहर आया 500 साल पुराना गोपीनाथ देव मंदिर, भगवान विष्णु को है समर्पित
नदी के ऊपर दिख रहे इस प्राचीन मंदिर की ऊंचाई करीब 60 फीट बताई जाती है. इसके निर्माण, वास्तुकला को देखकर कहा जा रहा है कि यह मंदिर 15वीं या 16वीं सदी का है. कहा जाता है कि करीब 150 साल पहले नदी में भयंकर बाढ़ आई थी, जिसके कारण मंदिर और आसपास का इलाका जलमग्न हो गया था. इस मंदिर के आसपास रहने वाले लोग नदी में बढ़ते जलस्तर को देखते हुए मंदिर में विराजामान प्रतिमाओं को अपने साथ लेकर ऊंचे स्थान पर चले गए थे. यहां के स्थानीय लोगों का कहना है कि पद्मावती गांव के आसपास ही करीब 22 मंदिर थे, जो महानदी में जलमग्न हो गए थे.
गौरतलब है कि INTACH ने नदी में जलमग्न मंदिरों की खोज के लिए डॉक्यूमेंटेशन ऑफ दी हेरिटेज ऑफ दी महानदी रिवर वैली योजना शुरू की है. जिसके तहत छत्तीसगढ़ में महानदी के उद्गम स्थल से लेकर ओडिशा के जगतसिंहपुर जिले के पारादीप तक मौजूद या जलमग्न ऐतिहासिक धरोहरों की पहचान की जा रही है.