सहारनपुर दंगों को लेकर 2 IAS अधिकारियों को नोटिस जारी
इलाहाबाद हाईकोर्ट (Photo Credits: Twitter)

प्रयागराज, 21 दिसंबर: इलाहाबाद (Allahabad) हाई कोर्ट ने 2017 में सहारनपुर (Saharanpur) में हुए दंगों के पीड़ितों को आर्थिक मदद देने के दौरान एससी/एसटी एक्ट के प्रावधानों की कथित रूप से अनदेखी करने के लिए 2 आईएएएस अधिकारियों को नोटिस दिया है. 5 मई, 2017 को सहारनपुर के शब्बीरपुर (Shabbirpur) गांव में दलित और राजपूत समुदाय के बीच भड़की हिंसा में एक व्यक्ति की मौत हो गई थी और कई लोग घायल हो गए थे. ये हिंसा महाराणा प्रताप जयंती के मौके पर निकाले गए जुलूस में बजाए जा रहे तेज म्यूजिक को लेकर भड़की थी. इसे लेकर 56 दलित घरों में आग लगा दी गई थी.

दलितों का प्रतिनिधित्व कर रहे वकील राज कुमार (Raj Kumar) ने कहा कि अक्टूबर में वी.के. लाल की विशेष एससी/एसटी अदालत ने 2 अधिकारियों - सहारनपुर के पूर्व जिला मजिस्ट्रेट आलोक पांडे (Alok Pandey) और समाज कल्याण विकास विभाग के पूर्व अतिरिक्त मुख्य सचिव मनोज सिंह (Manoj Singh) द्वारा कानून को लागू करने में विफलता को लेकर तीखी टिप्पणियां की थीं.

यह भी पढ़े: Allahabad High Court on Conversion: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा-केवल शादी के लिए धर्म परिवर्तन मान्य नहीं.

उन्होंने पाया था, "ऐसी अवमानना करना राजद्रोह का मामला है. एससी/एसटी अधिनियम में शिकायत के पंजीकरण का कोई प्रावधान नहीं है, लेकिन विशेष अदालत ने 2 आईएएस अधिकारियों के खिलाफ राजद्रोह की प्राथमिकी दर्ज करने के बजाय ऐसा किया. हमने इस आदेश को इलाहाबाद उच्च न्यायालय में चुनौती दी थी. उन्होंने हमारी याचिका स्वीकार कर ली और दोनों अधिकारियों को नोटिस जारी कर दिया."

कुमार ने कहा कि दलित पीड़ितों को जिला समाज कल्याण विकास विभाग ने 3 लाख रुपये दिए थे. जबकि एससी/एसटी एक्ट के तहत, डकैती, हत्या, बलात्कार और अन्य गंभीर अपराधों के पीड़ितों को 8.20 लाख रुपये का मुआवजा दिया जाना चाहिए.

पुलिस ने अपनी चार्जशीट में कहा है कि संघर्ष के आरोपियों पर आईपीसी की धारा 395 (डकैती) और 307 (हत्या का प्रयास) के अलावा एससी/एसटी अधिनियम की संबंधित धाराओं के तहत मामला दर्ज किया था. लेकिन अधिकारियों ने इन प्रावधानों को नजरअंदाज कर दिया और 90 पीड़ितों को मुआवजे के रूप में सिर्फ 3 लाख रुपये मिले. कुमार ने कहा, "इसके अलावा जिला मजिस्ट्रेट को 5,000 रुपये की मासिक पेंशन की व्यवस्था भी करनी थी, जो अब तक नहीं हुई."