No Winter Session: कोरोना वायरस महामारी के कारण नहीं होगा संसद का शीतकालीन सत्र, जनवरी में होगा बजट सत्र

भारत में कोरोना वायरस संक्रमण की रफ्तार घट रही है. भारत में 161 दिनों बाद कोविड-19 के एक दिन में 22,065 नए मामले सामने आए है. जबकि भारत का राष्ट्रीय रिकवरी रेट बढ़कर 95.12 फीसदी हो गया है. इस बीच केंद्र सरकार ने इस साल संसद का शीतकालीन सत्र नहीं बुलाने का फैसला लिया है.

संसद (Photo Credits: Twitter)

नई दिल्ली: भारत में कोरोना वायरस (Coronavirus) संक्रमण की रफ्तार घट रही है. भारत में 161 दिनों बाद कोविड-19 के एक दिन में 22,065 नए मामले सामने आए है. जबकि भारत का राष्ट्रीय रिकवरी रेट बढ़कर 95.12 फीसदी हो गया है. इस बीच केंद्र सरकार ने इस साल संसद (Parliament) का शीतकालीन सत्र (Winter Session) नहीं बुलाने का फैसला लिया है. संसद का शीतकालीन सत्र यथाशीघ्र बुलाया जाए: मनीष तिवारी

मिली जानकारी के मुताबिक केंद्र सरकार ने कोरोना वायरस संकट के मद्देनजर दिसंबर महीने में संसद का शीतकालीन सत्र नहीं बुलाने का निर्णय लिया है. संसदीय मामलों के मंत्री प्रह्लाद जोशी (Pralhad Joshi) ने लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीररंजन चौधरी (Adhir Ranjan Chowdhury) को एक पत्र लिखकर यह जानकारी दी है. सरकार का कहना है कि सभी दलों के नेताओं से चर्चा के बाद यह आम राय बनी. महामारी के चलते सत्र नहीं बुलाया जायेगा. जबकि संसद का बजट सत्र जनवरी महीने में होगा.

उल्लेखनीय है कि कृषि कानूनों को लेकर कांग्रेस शीतकालीन सत्र बुलाने की मांग कर रही थी. हाल ही में कांग्रेस सांसद शशि थरूर जंतर-मंतर पर नए कृषि कानूनों को वापस लेने और संसद के शीतकालीन सत्र को आयोजित करने की मांग को लेकर अपने पार्टी के सहयोगियों के विरोध प्रदर्शन में शामिल हुए. शशि थरूर ने तब कहा था कि सांसद कह रहे हैं कि केंद्र किसान यूनियन के साथ मामला सुलझाए और संसद का शीतकालीन सत्र बुलाए.

वहीं, सितंबर महीने में संसद का मानसून सत्र अपने निर्धारित समय से करीब आठ दिन पहले अनिश्चितकाल के लिए स्थगित हुआ. राज्यसभा और लोकसभा दोनों सदनों ने लगातार दस दिनों तक काम किया. शनिवार और रविवार को सदन में अवकाश नहीं रहा. छोटी अवधि होने के बावजूद संसद के दोनों सदनों में सत्र के दौरान 25 विधेयकों को पारित किया गया. पिछले सत्र के दौरान कृषि क्षेत्र से संबंधित तीन महत्वपूर्ण विधेयक, महामारी संशोधन विधेयक, विदेशी अभिदाय विनियमन संशोधन विधेयक और जम्मू-कश्मीर आधिकारिक विधेयक पारित किए गए. (एजेंसी इनपुट के साथ)

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