घबराने की जरूरत नहीं, सुरक्षित हैं भारतीय मसाले! FSSAI ने कहा- विदेशों में फैली 'जहरीली' अफवाह
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हॉन्ग कॉन्ग और सिंगापुर में कुछ भारतीय मसालों पर प्रतिबंध की खबरों ने लोगों के मन में चिंता की लहर दौड़ा दी. क्या हमारे मसाले, जो सदियों से हमारे खाने को स्वाद और रंग देते आए हैं, अब जहर बन गए हैं? क्या हमारी थाली में मौत का तड़का लग रहा है?

ऐसे सवालों के जवाब ढूंढ़ने के लिए हमें थोड़ा पीछे जाना होगा, खेतों तक, जहाँ मसालों की खेती होती है. वहाँ किसान फसल को कीड़ों से बचाने के लिए कीटनाशकों का इस्तेमाल करते हैं. लेकिन ये कीटनाशक मसालों के साथ हमारे शरीर में भी पहुंच सकते हैं. इसलिए, सरकार ने खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (FSSAI) के ज़रिए एक सुरक्षा कवच तैयार किया है - अधिकतम अवशेष सीमा (MRL).

MRL का मतलब है कि किसी खाद्य पदार्थ में कितना कीटनाशक अवशेष होना सुरक्षित है. यह सीमा वैज्ञानिक आकलन के आधार पर तय की जाती है, जिसमें भारतीय आहार की आदतें, विभिन्न आयु वर्ग के लोगों की सेहत, और कीटनाशक के प्रभाव जैसे कारकों को ध्यान में रखा जाता है.

एफएसएसएआई वर्तमान में घरेलू बाजारों में बेचे जाने वाले MDH और एवरेस्ट सहित ब्रांडेड मसालों के सैंपल एकत्र कर रहा है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि वे इसके गुणवत्ता मानदंडों का अनुपालन करते हैं या नहीं. एक बयान में, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने स्पष्ट किया कि जोखिम मूल्यांकन के आधार पर विभिन्न खाद्य उत्पादों के लिए अधिकतम अवशेष सीमाएँ अलग-अलग हैं.

मंत्रालय ने कहा, "कुछ मीडिया रिपोर्टों में दावा किया जा रहा है कि भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) जड़ी-बूटियों और मसालों में 10 गुना अधिक कीटनाशक अवशेषों की अनुमति देता है. ऐसी खबरें झूठी और दुर्भावनापूर्ण हैं." इसमें कहा गया है कि भारत में अधिकतम अवशेष सीमा (एमआरएल) के मानक दुनिया में सबसे कड़े मानकों में से एक हैं.

मसालों की बात करें तो इनका सेवन दूसरे खाद्य पदार्थों की तुलना में कम मात्रा में होता है. इसलिए, कुछ कीटनाशकों के लिए मसालों में एमआरएल थोड़ी अधिक हो सकती है. लेकिन यह पूरी तरह से सुरक्षित सीमा के भीतर होती है और इससे सेहत को कोई खतरा नहीं होता.

FSSAI के मानक अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप हैं, जैसे Codex Alimentarius Commission (विश्व स्वास्थ्य संगठन और संयुक्त राष्ट्र के खाद्य और कृषि संगठन द्वारा बनाया गया एक अंतरराष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा और गुणवत्ता मानक निर्धारित करने वाला निकाय) और यूरोपीय संघ के मानक.

इसके अलावा, एमआरएल की नियमित समीक्षा की जाती है और नए वैज्ञानिक आँकड़ों के आधार पर उन्हें अपडेट किया जाता है. यह सुनिश्चित करता है कि हमारे खाद्य पदार्थ, जिनमें मसाले भी शामिल हैं, सुरक्षित रहें और हमारी सेहत को कोई नुकसान न पहुँचे.

तो अगली बार जब आप अपने खाने में मसालों का तड़का लगाएं, तो बेफ़िक्र रहें. सरकार और FSSAI आपके स्वाद के सफ़र में सुरक्षा का पहरा दे रहे हैं. बस, ख़बरों की सुर्ख़ियों से परे जाकर सच्चाई को जानने की कोशिश करें.