Nirbhaya Gangrape Case: दोषी अक्षय ने एक बार फिर लगाई दया याचिका, कहा- पुरानी पिटीशन में नहीं थे सभी तथ्य
दोषी अक्षय ने दया याचिका सुधार कर राष्ट्रपति के पास भेजी है. इससे पहले एक बार राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद निर्भया के दोषी अक्षय की दया याचिका खारिज कर चुके हैं.
नई दिल्ली: निर्भया गैंगरेप केस (Nirbhaya Gangrape Case) में चार दोषियों में से एक अक्षय (Akshay) ने एक बार फिर फांसी के फंदे से बचने के लिए कानून का सहारा लिया है. दोषी अक्षय ने दया याचिका सुधार कर राष्ट्रपति के पास भेजी है. इससे पहले एक बार राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद निर्भया के दोषी अक्षय की दया याचिका (Mercy Petition) खारिज कर चुके हैं. न्यूज एजेंसी ANI के मुताबिक अब दोषी अक्षय ने नई दया याचिका लगाई है, जिसमें उसने दावा किया कि पहले दायर की गई दया याचिका में सभी तथ्य नहीं थे. इसके अलावा शुक्रवार को निर्भया के दोषी पवन कुमार ने फांसी से बचने के लिए सुप्रीम कोर्ट में क्यूरेटिव पिटीशन दायर की. उसने अपनी क्यूरेटिव पिटीशन में मौत की सजा को आजीवन कारावास में बदलने की मांग की.
दोषी पवन कुमार के वकील एपी सिंह ने दलील दी कि अपराध के समय पवन कुमार नाबालिग था और मौत की सजा उसे नहीं दी जानी चाहिए. दोषी पवन की क्यूरेटिव पिटीशन पर सुप्रीम कोर्ट सोमवार को सुनवाई करेगा. सुप्रीम कोर्ट के पांच जजों की बेंच 2 मार्च को सुनवाई करेगी पवन ने अपनी अर्जी में कहा है कि वो घटना के वक्त नाबालिग था.
दोषी अक्षय ने दाखिल की नई दया याचिका-
इस मामले में उसकी रिव्यू अर्जी खारिज हो चुकी है. पवन ने अब क्यूरेटिव पिटीशन दाखिल की है. पवन के पास अभी दया याचिका का विकल्प भी बाकी है. गौरतलब है कि निर्भया के गुनाहगारों को 3 मार्च को फांसी पर लटकाने के लिए डेथ वारंट जारी किया जा चुका है. डेथ वारंट के अनुसार तीन मार्च को सुबह छह बजे उन्हें फांसी पर लटकाया जाना है लेकिन दोषी अभी तक बचने की उम्मीद में हैं.
जेल प्रशासन का कहना है कि अभी फांसी को लेकर तैयारी जारी हैं. हालांकि इस बार दोषियों को फांसी होगी या नहीं इसे लेकर भी कुछ नहीं कहा जा सकता. लगातार 2 बार दोषियों की फांसी टल चुकी है. अगर पहले तरह कोर्ट ने इस बार भी फांसी याक कहकर टाल दी कि कोर्ट में याचिका लंबित है तो फांसी टलने की उम्मीद है. इससे पहले दोषियों दो बार डेथ वारंट जारी किया जा चुका है. दोषियों को सबसे पहले 22 जनवरी को फांसी की तारीख मुकर्रर हुई थी. दूसरी बार 1 फरवरी को फांसी की तारीख तय की गई थी.