Mahakumbh 2025: महाकुंभ स्नान के दौरान गंगा में डुबकी लगाना कितना सुरक्षित? CPCB ने संगम में फेकल बैक्टीरिया के स्तर में वृद्धि के दिए संकेत, NGT ने जताई चिंता

इंडिया टुडे की रिपोर्ट के अनुसार, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने संगम के बारे में NGT को जो रिपोर्ट दी है, उसमें यह बताया गया कि गंगा में फेकल बैक्टीरिया का स्तर बढ़ गया है, जिसके बाद NGT ने यूपी प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से 19 फरवरी तक विस्तृत रिपोर्ट मांगी है.

Mahakumbh 2025: महाकुंभ स्नान के दौरान गंगा में डुबकी लगाना कितना सुरक्षित? CPCB ने संगम में फेकल बैक्टीरिया के स्तर में वृद्धि के दिए संकेत, NGT ने जताई चिंता
महाकुंभ 2025 (Photo Credits: Pixabay)

Mahakumbh 2025: यूपी के प्रयागराज में 13 जनवरी से चल रहे महाकुंभ में अब तक करीब 53 करोड़ लोग गंगा में स्नान कर चुके हैं। देश-विदेश से लोग अभी भी महाकुंभ में स्नान करने के लिए आ रहे हैं, और अनुमान है कि गंगा में स्नान करने वालों का आंकड़ा 60 करोड़ के पार कर सकता है. महाकुंभ स्नान के दौरान गंगा में फेकल बैक्टीरिया का स्तर बढ़ गया है. प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) की रिपोर्ट के बाद राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण (NGT) ने इस पर चिंता जताई है.

NGT ने CPCB से मांगा विस्तृत रिपोर्ट

इंडिया टुडे की रिपोर्ट के अनुसार, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने संगम के बारे में NGT को जो रिपोर्ट दी है, उसमें यह बताया गया कि गंगा में फेकल बैक्टीरिया का स्तर बढ़ गया है, जिसके बाद NGT ने यूपी प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से 19 फरवरी तक विस्तृत रिपोर्ट मांगी है. यह भी पढ़े: Guinness Team at Mahakumbh 2025: महाकुंभ में बन रहे हैं 3 विश्व रिकॉर्ड! गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड टीम पहुंची प्रयागराज! जानें चौथा रिकॉर्ड क्या बन रहा है!

जानें CPCB ने क्या कहा

दरअसल, 3 फरवरी को दायर की गई CPCB की रिपोर्ट में महाकुंभ मेला के दौरान फेकल कोलीफॉर्म बैक्टीरिया में वृद्धि के संकेत दिए गए.  रिपोर्ट के अनुसार, 12-13 जनवरी को किए गए निरीक्षण के दौरान गंगा के पानी की गुणवत्ता जैव रासायनिक ऑक्सीजन मांग (BOD) के संदर्भ में स्नान मानदंडों से मेल नहीं खाती थी.

रिपोर्ट में यह भी उल्लेख किया गया है कि महाकुंभ के दौरान, खासकर शुभ दिनों पर, गंगा में स्नान करने वाले लोगों की बड़ी संख्या के कारण फेकल बैक्टीरिया का स्तर बढ़ा है. शाही स्नान और अन्य प्रमुख अनुष्ठानों के दौरान प्रदूषण स्तर में वृद्धि देखी गई है.

NGT की अध्यक्षता ने रिपोर्ट की समीक्षा की

राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण (NGT) की अध्यक्षता न्यायमूर्ति प्रकाश श्रीवास्तव, जो कि कोलकाता उच्च न्यायालय के पूर्व मुख्य न्यायाधीश हैं, ने इस मामले में रिपोर्ट की समीक्षा की और उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (UPPCB) के अधिकारियों को 19 फरवरी को वर्चुअली उपस्थित होने का आदेश दिया.  इसके साथ ही अधिकारियों से बढ़ते प्रदूषण स्तरों के मद्देनजर उठाए गए कदमों का स्पष्टीकरण मांगा गया है.


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