New Farm Laws: कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने फिर दोहराई अपनी बात, कहा- सरकार किसान संगठनों से बातचीत को तैयार, बताएं कहां है आपत्ति
किसान व कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर (Photo Credits PTI)

नई दिल्ली: कृषि कानूनों को लेकर किसानों का पिछले करीब 6 महीने से ज्यादा समय से आंदोलन जारी है. लेकिन सरकार और किसानों के बीच कई दौर की वार्ता हुई. लेकिन बीच का रास्ता नहीं निकलने की वजह से किसानों का आंदोलन और खींचता जा रहा है. ऐसे में किसान जहां चाहते हैं कि सरकार एक बार फिर से उनकी मांगो को लेकर उनसे बात करें. वहीं बुधवार को केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर (Narendra Singh Tomar) ने कहा कि सरकार विरोध कर रहे किसानों के साथ बातचीत फिर से शुरू करने के लिए तैयार है. लेकिन वे ठोस तर्क के साथ सरकार के पास आये और बताएं कि कहां पर आपत्ति हैं.

वहीं भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत (Rakesh Tikait) अपनी मांगों को समर्थन के लिए बुधवार को पश्चिम बंगाल पहुंचे थे. वहां पहुंचने के बाद उन्होंने सीएम ममता बनर्जी (CM Mamata Banerjee) से मुलाकात की. मुलाकात के दौरान उन्होंन कृषि और स्थानीय किसानों से जुड़े मुद्दों पर चर्चा की. चर्चा के बाद सीएम ममता बनर्जी ने भी टिकैत को आश्वसन दिया कि उनकी तरफ से किसान आंदोलन को उनका समर्थन है. यह भी पढ़े: Farmers Protest: राकेश टिकैत ने पश्चिम बंगाल में सीएम ममता बनर्जी से की मुलाकात, किसान नेताओं के आंदोलन को समर्थन करने का मिला आश्वासन

कांग्रेस ने भी इस मामले में सरकार के खिलाफ हमला एक बार फिर करना शुरू कर दी है. पार्टी के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने तोमर ने अपने एक बयान में कहा, कि  'किसान को भीख नहीं, न्याय चाहिए. किसान को अहंकार नहीं, अधिकार चाहिए. घमंड के सिंहासन से उतरिए, राजहठ छोड़िए, तीनों काले क़ानून ख़त्म करना ही एकमात्र रास्ता है. वहीं शिरोमणि अकाली दल  के अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल ने तोमर से केन्द्र के कृषि कानूनों को निरस्त करने की मांग को लेकर आंदोलन कर रहे किसानों से बिना शर्त वार्ता करने का आह्वान किया. 

बता दें कि कृषि कानूनों को रद्द करने को लेकर किसान नेताओं और केंद्र के साथ करीब 11 दौर की बातचीत की है, जिसमें आखिरी वार्ता 22 जनवरी को हुई थी. लेकिन इस सभी वार्ता में सरकार ने उनके कुछ मांगों को जरूर मानने को तैयार हो गई. लेकिन किसानों की तरफ से जो उनकी मांग है कि इस पूरे कानून को ही रद्द किया जाये तो सरकार इस बात को मानने को तैयार नहीं है. सरकार सिर्फ कानून में संशोधन की बात कह रही है.