जन्मदिन विशेष: पीएम मोदी के बचपन से जुड़े वो किस्से जिन्हें बहुत कम लोग जानते हैं
प्रधानमंत्री आज के युवाओं के लिए सबसे बेतरीन प्रेरणा स्त्रोत हैं. चाय की एक छोटी सी दूकान से देश के प्रधानमंत्री तक के सफर के सभी मोड़ पीएम के उच्च व्यक्तित्व और कठिन परिश्रम को दिखाते हैं.
सोमवार 17 सितंबर को देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपना 68 वां जन्मदिन मना रहे हैं. इस जन्मदिन पर पीएम अपने संसदीय चुनाव क्षेत्र वाराणसी में हैं. इस मौके पर प्रधानमंत्री कई परियोजनाओं की घोषणा करेंगे. प्रधानमंत्री आज के युवाओं के लिए सबसे बेहतरीन प्रेरणा स्त्रोत हैं. चाय की एक छोटी सी दूकान से देश के प्रधानमंत्री तक के सफर के सभी मोड़ पीएम के उच्च व्यक्तित्व और कठिन परिश्रम को दिखाते हैं. नरेंद्र मोदी एक बेहतरीन वक्ता के साथ-साथ अन्तर्मुखी और सदा काम करते रहने वाले व्यक्ति है.
पीएम मोदी के कठिन परिश्रम और एकाग्र लक्ष्य का ही परिणाम है कि वे आज देश के सबसे लोकप्रिय नेता हैं. उनकी लोकप्रियता की सीमा कहीं खत्म नहीं होती है. पीएम को चाहने वाले लोगों में अप्रवासी भारतीय और विदेशी लोग भी शामिल हैं. पीएम की लोकप्रियता का ग्राफ सिर्फ नेताओं की लिस्ट में ऊंचा नहीं हैं. इस दौड़ में पीएम मोदी बॉलीवुड, हॉलीवुड, खेल जगत की हस्तियों के साथ अन्य सभी को पछाड़तें हैं.
- गुजरात के 2500 साल पुराने वाडनगर नाम के एक छोटे से गांव में नरेंद्र मोदी का जन्म हुआ. नरेंद्र मोदी अपने सात भाई-बहनों में बीच के हैं. सभी भाई-बहनों में नरेंद्र मोदी तीसरे नंबर पर आते हैं.
- नरेंद्र मोदी एक मामूली परिवार से आते हैं. उनके पिता वाडकर रेलवे स्टेशन पर चाय बेचते थे. इसमें नरेंद्र मोदी भी उनकी मदद करते थे. इस दौरान उन्होंने ट्रेन में भी चाय बेची. इंडो-पाक युद्ध के दौरान उन्होंने रेलवे स्टेशन पर सैनिक बनकर सेवा भी की थी.
- पीएम मोदी शून्य से शिखर का सबसे बेहतरीन उदहारण हैं. नरेंद्र मोदी अक्सर कहा करते हैं कि मैंने गरीबी को करीब से देखा है. यह वाकई सच है. लोग अक्सर इस बात का मजाक उड़ाते रहे हैं. जबकि यह सच है. ना सिर्फ नरेंद्र मोदी के पिता चाय बेचते थे बल्कि उनकी मां भी लोगों के घरों में जाकर बर्तन साफ किया करती थी.
- नरेंद्र मोदी के किस्सों में चाय का किस्सा सबसे अधिक मशहूर है. देश में तो सभी उनके जीवन के इस भाग से परिचित ही हैं, साथ ही विदेशों में भी लगभग सभी इस तथ्य से वाकिफ हैं. नरेंद्र मोदी के आलोचक अक्सर उन्हें चाय वाला कहकर संबोधित करते हैं. लेकिन उन्होंने कभी इस बात से भागने की कोशिश नहीं की. वे इस बात को हर मौके पर सहर्ष स्वीकारते हैं.
- पढाई के मामले में नरेंद्र मोदी कुछ खास नहीं थे. हालांकि उनके डिबेट करने का अंदाज बचपन से ही दोस्तों और टीचर्स के बीच वाहवाही का कारण बना. पीएम मोदी पहले से राजनीति में नहीं आना चाहते थे. यह तथ्य सबसे रोचक है कि उन्हें एक्टिंग का बहुत शौक था और इसीलिए उन्होंने थियेटर भी जॉइन किया. बचपन में थिएटर और नाटकों में काफी दिलचस्पी रही.
- हम सभी के तरह नरेंद्र मोदी का भी एक निकनेम है. यह नाम है नारिया. हालांकि कहा जाता है कि नरेंद्र मोदी को अपना यह निकनेम रास नहीं आता था. नरेंद्र मोदी की मां उन्हें आज भी उन्हें नारिया ही कहकर बुलाती हैं.
- बचपन में नरेंद्र मोदी भी एक शरारती बच्चे थे. उनकी शरारत उनके गांव, उनके टीचर्स और बचपन के दोस्तों के बीच आज भी यादगार है. शरारती होने के साथ-साथ नरेंद्र मोदी बचपन से दयालु और भावुक भी थे. आज भी कई मौकों पर पीएम मोदी भावुक हो जाते हैं. उनके मन के भाव और आंखों के पानी को अक्सर कैमरा बयान कर देता है.
- यह बात काफी दिलचस्प है कि स्कूल की पढ़ाई के बाद ही नरेंद्र मोदी के मन में सन्यासी बनने का खयाल आया. अपनी इस चाह को पूरा करने के चक्कर में नरेंद्र मोदी घर से भी भाग गए थे. इस दौरान उन्होंने पश्चिम बंगाल के रामकृष्ण आश्रम के अलावा कई और जगहों का भ्रमण किया. यह वो समय था जब नरेंद्र मोदी की रूचि आध्यात्म की ओर बढ़ी. इसी के साथ उनकी तर्कशक्ति को भी बल मिला.
- नरेंद्र मोदी की सगाई बचपन में ही पड़ोस में रहने वाली जशोदाबेन से तय कर दी गई थी, लेकिन मोदी गृहस्थ जीवन नहीं बिताना चाहते थे. उनके दिल में बचपन से देश सेवा फितूर था. वो घर की जिम्मेदारी में ना बंधकर अपने देश के लिए कुछ करना चाहते थे. सही अर्थों में नरेंद्र मोदी अपना जीवन देश सेवा में समर्पित करना चाहते थे. इसी कारण उन्होंने वो शादी ठुकरा दी और साथ ही घर भी छोड़ दिया.
- पीएम मोदी के आलोचक अक्सर उनकी शादी को विवादों से जोड़ने की कोशिश करते आए हैं. जबकि जशोदा बेन को आज तक इस बात से ऐतराज नहीं हुआ कि नरेंद्र मोदी ने उनका साथ छोड़ा. बल्कि उन्हें गर्व है कि नरेंद्र मोदी ने देशसेवा के लिए अपनी शादी का त्याग किया.