Mumbai 26/11 Attack Case: मुंबई पुलिस ने 26/11 मामले में तहव्वुर राणा के खिलाफ नए सिरे से दाखिल किया आरोप पत्र, कोर्ट में फिर से होगी सुनवाई

अमेरिका की एक अदालत द्वारा मुंबई 26/11 के आतंकवादी हमलों में उसके कनेक्शन के लिए पाकिस्तानी-कनाडाई व्यवसायी तहव्वुर हुसैन राणा के भारत प्रत्यर्पण के आदेश के पांच महीने बाद यहां स्‍थानीय पुलिस ने उसके खिलाफ ताजा सबूतों के आधार पर आरोप पत्र दायर किया है.

Tahawwur Hussain Rana (Photo Credit: ANI)

मुंबई, 26 सितंबर: अमेरिका की एक अदालत द्वारा मुंबई 26/11 के आतंकवादी हमलों में उसके कनेक्शन के लिए पाकिस्तानी-कनाडाई व्यवसायी तहव्वुर हुसैन राणा के भारत प्रत्यर्पण के आदेश के पांच महीने बाद यहां स्‍थानीय पुलिस ने उसके खिलाफ ताजा सबूतों के आधार पर आरोप पत्र दायर किया है. यह भी पढ़ें: India-Canada Row: पंजाब में टारगेट किलिंग, PAK में आतंक की ट्रेनिंग, जिस निज्जर के लिए भारत से पंगा ले रहे ट्रूडो उसकी करतूतों का काला चिट्ठा

पंद्रह साल पुराने मामले में एक विशेष अदालत में 400 पन्नों से अधिक का आरोपपत्र दायर किया गया है जो इस मामले में चौथा है. सत्यापन पूरा होने के बाद मंगलवार को अदालत इस पर विचार कर सकती है. दस्तावेजों और बयानों जैसे नए सबूतों के आधार पर, मुंबई पुलिस ने राणा के खिलाफ गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम की धारा 39ए जोड़ी है जो एक आतंकी संगठन को दी गई मदद से संबंधित है. वह वर्तमान में अमेरिकी जेल में है.

कैलिफोर्निया के अमेरिकी जिला न्यायालय के न्यायाधीश जैकलीन चूलजियान ने मई में राणा को भारत प्रत्यर्पित करने का मार्ग प्रशस्त किया था, लेकिन उसने जून में आदेश को चुनौती दी थी. पिछले महीने, एक अमेरिकी जिला न्यायाधीश, सेंट्रल डिस्ट्रिक्ट ऑफ कैलिफोर्निया, न्यायाधीश डेल एस. फिशर ने राणा द्वारा दायर बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका को खारिज कर दिया था.

राणा और उसके बचपन के दोस्त, पाकिस्तानी-अमेरिकी डेविड कोलमैन हेडली - जो वर्तमान में शिकागो जेल में बंद हैं - पर 26 नवंबर 2008 के मुंबई आतंकवादी हमलों में उनकी भूमिका के लिए कई आरोप हैं. लगभग 60 घंटों तक दक्षिण मुंबई में कई स्थानों पर हुए उन हमलों और आतंकवादियों की पुलिस के साथ मुठभेड़ में नौ पाकिस्तानी आतंकवादियों सहित 175 लोग मारे गए थे.

जिंदा पकड़े गए एकमात्र बंदूकधारी अजमल कसाब पर मुकदमा चलाया गया, उसे दोषी पाया गया और फिर नवंबर 2012 में पुणे की यरवदा सेंट्रल जेल में उसे फांसी दे दी गई.

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