MP Politics: चुनाव से पहले मध्य प्रदेश में बढ़ने वाला है दल-बदल का खेल

मध्यप्रदेश में विधानसभा चुनाव से पहले एक बार फिर दल-बदल खेल के तेज होने की संभावनाएं बढ़ने लगी हैं. कांग्रेस की नजर जहां भाजपा के असंतुष्ट नेताओं पर है तो वहीं भाजपा ने कांग्रेस के जनाधार वाले नेताओं की खोज तेज कर दी है.

CM Shivraj Singh and Digvijay Singh (Photo Credits PTI)

भोपाल, 2 मई: मध्यप्रदेश में विधानसभा चुनाव से पहले एक बार फिर दल-बदल खेल के तेज होने की संभावनाएं बढ़ने लगी हैं. कांग्रेस की नजर जहां भाजपा के असंतुष्ट नेताओं पर है तो वहीं भाजपा ने कांग्रेस के जनाधार वाले नेताओं की खोज तेज कर दी है. मध्य प्रदेश के पड़ोसी राज्य छत्तीसगढ़ में नंदकुमार साय के भाजपा छोड़कर कांग्रेस में शामिल होने के बाद से राज्य में भी दल बदल के संभावित नेताओं की चर्चाएं जोरों पर हैं. यह भी पढ़ें: Ladli Behna Yojana: ‘मुख्यमंत्री लाड़ली बहना योजना’ में 1.25 करोड़ से ज्यादा महिलाओं ने कराया पंजीकरण

राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री और राज्य सभा सदस्य दिग्विजय सिंह इन दिनों राज्य के विभिन्न हिस्सों के दौरे पर हैं. वह पार्टी के असंतुष्ट को तो मना ही रहे हैं, साथ ही इस दौरान वे भाजपा के उन नेताओं से भी संपर्क कर रहे हैं जो असंतुष्ट चल रहे हैं और पार्टी से किनारा करने को भी तैयार हैं. भाजपा छोड़ने की तैयारी कर रहे नेताओं में इन दिनों सबसे बड़ा नाम पूर्व मंत्री दीपक जोशी चर्चाओं में हैं. जोशी भी यह बात कह चुके हैं कि वे इसी सात तारीख को बड़ा फैसला करेंगे, जो उन्हें सहारा देगा उसके साथ खड़े होंगे. वर्तमान में वे भाजपा से भी नाराज चल रहे हैं.

एक तरफ जहां कांग्रेस की कोशिश असंतुष्टों को मना कर भाजपा में सेंधमारी करने की है, तो वहीं भाजपा भी अपने नेताओं को मनाने में जुटी हुई है. हाल ही में दमोह से नाता रखने वाले पूर्व मंत्री जयंत मलैया के बेटे जयंत मलैया को फिर से पार्टी में शामिल कर लिया गया है, तो वहीं अब अन्य असंतुष्टों को भी पार्टी मनाने की कोशिश कर रही है. इसके अलावा कांग्रेस के उन नेताओं पर उसकी खास नजर है, जिनका जनाधार है और वह पार्टी नेतृत्व से खुश नहीं हैं.

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि इसी साल होने वाले विधानसभा चुनाव दोनों ही राजनीतिक दलों के लिए महत्वपूर्ण है. यही कारण है कि वे चुनाव जीतने के लिए हर दांवपेच आजमाने की तैयारी में हैं. दूसरे दल के असंतुष्ट उनके लिए जीत का फार्मूला हो सकते हैं तो वे दलबदल कराने के बाद नए लोगों को टिकट देने में भी हिचक नहीं दिखाएंगे. दोनों ही दल अपने विधायकों की जमीनी स्तर से आ रही रिपोर्ट से खुश नहीं है, इसीलिए उनके लिए ऐसे व्यक्तियों की तलाश है जो चुनाव जीत सकें.

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