मध्यप्रदेश में सरकार भले बदल गई हो मगर सरकारी अस्पतालों की व्यवस्थाओं और कार्यशैली में सुधार नहीं आया है. ताजा मामला दमोह जिले का है जहां एक गर्भवती महिला को सिर्फ इसलिए उपचार नहीं मिला क्योंकि उसके परिजन नर्स की 5000 रुपये की मांग पूरी नहीं कर पाए. पीड़ित महिला को उपचार के लिए जबलपुर रेफर कर दिया गया. जानकारी के अनुसार, तेंदूखेड़ा क्षेत्र के खमरिया गांव की रहने वाली गर्भवती साधना रैकवार को असहनीय पीड़ा होने पर तेंदूखेडा के सरकारी अस्पताल लाया गया.
साधना के पति ब्रजेश रैकवार का आरोप है कि मंगलवार की देर शाम को वह अपनी पत्नी को लेकर अस्पताल पहुंचे, वहां तैनात नर्स ने इलाज के लिए 5000 हजार रुपये की मांग की, जब उसे चाही गई रकम नहीं मिली तो उसने इलाज नहीं किया. तेंदूखेड़ा के अनुविभागीय अधिकारी, राजस्व (एसडीएम) नारायण सिंह ने बताया कि साधना को उपचार के लिए अस्पताल लाया गया था. साधना के परिजनों का आरोप है कि 5000 रुपये की मांग पूरा न करने पर नर्स ने इलाज नहीं किया। साधना को जबलपुर रेफर किया गया है.
सिंह के अनुसार, पीड़ित पक्ष की शिकायत पर उन्होंने विकासखंड चिकित्सा अधिकारी (बीएमओ) को जांच के आदेश दिए हैं. यह पता किया जा रहा है कि किस नर्स ने रकम क्यों मांगी. वहीं, महिला की हालत अच्छी न होने पर जबलपुर उपचार के लिए भेजा गया है. महिला लगभग पांच-छह माह गर्भवती है.