तीन साल में 391 अफगानी और 1595 पाकिस्तानी प्रवासियों को दी गई भारतीय नागरिकता
भारतीय शरणार्थी (Photo Credits: Getty Images)

नई दिल्ली: ऐतिहासिक नागरिकता संशोधन विधेयक (Citizenship Amendment Bill) को संसद से हरी झंडी मिल गई है. गुरुवार को लंबी बहस के बाद राज्यसभा (Rajya Sabha) में विधेयक को 105 के मुकाबले 125 मतों से मंजूरी मिली. अब राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद (Ram Nath Kovind) की स्वीकृति के बाद पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश के छह अल्पसंख्यक समुदायों को भारत में नागरिकता आसानी से मिल सकेगी. वहीं मोदी सरकार ने पिछले तीन वर्षों के दौरान 391 अफगानी (Afghan) और 1595 पाकिस्तानी (Pakistani) प्रवासियों (Migrants) को भारत की नागरिकता दी है.

केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय (Nityanand Rai) ने बुधवार को संसद में बताया कि साल 2016 से 2018) के बीच कुल 391 अफगान और 1,595 पाकिस्तानी प्रवासियों को भारतीय नागरिकता दी गई. राय ने यह जानकारी राज्यसभा को सांसद किरोड़ी लाल मीणा (Kirodi Lal Meena) के एक सवाल के जवाब में दी. हालांकि राय ने अफगानिस्तान और पाकिस्तान से आए हिंदुओं और सिख शरणार्थियों की संख्या के बारे में नहीं बताया. नागरिकता संशोधन बिल पर हंगामा, SC में याचिका डालेगी इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग

उन्होंने उच्च सदन में कहा “ऑनलाइन उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार, पिछले तीन वर्षों (2016 से 2018) के दौरान 391 अफगानी और 1,595 पाकिस्तानी प्रवासियों को भारतीय नागरिकता प्रदान की गई. जबकि सिर्फ इसी साल 6 दिसंबर तक 40 अफगानी और 712 पाकिस्तानी प्रवासियों को भारतीय नागरिकता दी गई है.”

उल्लेखनीय है कि नागरिकता संशोधन विधेयक 2019 बुधवार को राज्यसभा में भी पारित हो गया. यह विधेयक लोकसभा में पहले ही पारित हो चुका है. राज्यसभा में कांग्रेस से हाथ मिलाने वाली शिवसेना ने विधेयक पर वोटिंग नहीं की. वहीं, जनता दल (यूनाइटेड) ने विधेयक का समर्थन किया.

नागरिकता संशोधन विधेयक को संसद की मंजूरी मिलने के बाद अब देश के विभिन्न हिस्सों में अवैध तरीके से निवास करने वाले अप्रवासियों के लिए अपने निवास का कोई प्रमाण पत्र नहीं होने के बावजूद नागरिकता हासिल करना सुगम हो जाएगा. भारत की राष्ट्रीय के लिए पात्र होने की समय सीमा 31 दिसंबर 2014 होगी. मतलब इस तिथि के पहले या इस तिथि तक भारत में प्रवेश करने वाले नागरिकता के लिए आवेदन करने के पात्र होंगे. जबकि नागरिकता पिछली तिथि से लागू होगी.

राजनीतिक रूप से संवेदनशील नागरिकता संशोधन विधेयक पर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने पहले ही साफ़ कहा है कि ये बिल मुस्लिम समुदाय के खिलाफ है. इस बिल से भारत के नागरिक मुसलमान का कुछ लेना देना नहीं है उनका इस बिल में कोई उल्लेख नहीं हैं. वो भारत के नागरिक हैं और रहेंगे.