मोदी सरकार ने इन्फ्रास्ट्रक्चर सेक्टर के लिए खोला अपना पिटारा, 2025 तक खर्च करेगी 105 लाख करोड़
पीएम मोदी और निर्मला सीतारमण (Photo Credits: PTI/File)

नई दिल्ली: देश की सुस्त पड़ी अर्थव्यवस्था (Economy) को नई गति देने के लिए मोदी सरकार ने साल के आखिरी दिन यानि 31 दिसंबर को बड़ा ऐलान किया है. केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) ने मंगलवार को कहा कि केंद्र ने नेशनल इन्फ्रास्ट्रक्चर पाइपलाइन (एनआईपी) का गठन किया है. इसके अलावा उन्होंने बताया कि चरणबद्ध तरीके से वित्तवर्ष 2025 तक 105 लाख करोड़ रुपये के बुनियादी ढांचे के विकास की योजना भी तैयार की गई है. इस दौरान सीतारमण ने यह भी कहा कि सरकार को उम्मीद है कि साल 2025 तक इंफ्रास्ट्रक्चर सेक्टर में निजी हिस्सेदारी बढ़कर 30 प्रतिशत हो जाएगी.

केंद्रीय वित्त मंत्री ने आज एक प्रेस कांफ्रेंस कर कहा “नेशनल मीडिया सेंटर के कॉन्फ्रेंस हॉल से एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए, उन्होंने कहा, "केवल 4 महीनों में टास्क फोर्स ने मंत्रालयों, राज्य सरकारों, डेवलपर्स, एनबीएफसी (NBFCs), बैंकर और अन्य लोगों के साथ 70 अलग-अलग हितधारकों के तालमेल बिठाया.” उन्होंने कहा कि अगले कुछ हफ्तों में अन्य 3 लाख करोड़ की परियोजनाएं जोड़ी जाएंगी. एक वार्षिक वैश्विक निवेश संगठन बैठक का आयोजन किया जाएगा जहां केंद्र और राज्य सभी निवेशकों से मिल सकेंगे और बुनियादी ढांचों के अवसरों के बारे में बात कर सकेंगे.

इससे पहले 20 दिसंबर को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने उद्योग जगत से अपील की थी कि संदेह से बाहर निकलकर खुलकर निवेश किया जाएं. तब उन्होंने कहा था कि उद्योग जगत को अपनी खुद से बनी संदेह वाली सोच से बाहर निकलना चाहिये और उत्साह के साथ निवेश के रास्ते पर आगे बढ़ना चाहिये. उन्होंने जोर देते हुये कहा कि बजट के बाद उठाये गये अनेक कदमों का जमीनी स्तर पर परिणाम दिखाई देने लगा है.

उल्लेखनीय है कि कुछ दिन पहले ही सरकार ने घाटे में चल रहे सार्वजनिक क्षेत्र के तीन बैंकों को वित्तीय सहायता दी थी. इसके तहत घाटे में चल रहे इलाहाबाद बैंक, इंडियन ओवरसीज बैंक (आईओबी) और यूको बैंक को सरकार से 8,655 करोड़ रुपये की नई वित्तीय सहायता (कैपिटल इनफ्यूजन) दी. इसमें से इलाहाबाद बैंक को 2,153 करोड़ रुपये, यूको बैंक को 2,142 करोड़ रुपये और इंडियन ओवरसीज बैंक को 4,360 करोड़ रुपये के शेयरों के तरजीही आवंटन के जरिये नई पूंजी लगाने को मंजूरी दी.